हर वर्ष 19 जून को ‘विश्व सिकल सेल दिवस’ मनाया जाता है।
वर्ष 2025, विश्व सिकल रोग दिवस की थीम है " वैश्विक कार्रवाई, स्थानीय प्रभाव: प्रभावी स्व-वकालत के लिए समुदायों को सशक्त बनाना "।
इस दिवस की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2008 में की थी, ताकि सिकल सेल रोग को वैश्विक स्तर पर एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या के रूप में स्वीकार किया जा सके और इससे निपटने के प्रयासों को बल मिल सके।
विश्व सिकल सेल दिवस का उद्देश्य:
इस दिवस का प्रमुख उद्देश्य आम लोगों, सरकारों और स्वास्थ्य संगठनों को इस रोग की गंभीरता से अवगत कराना और संयुक्त प्रयासों के माध्यम से समय पर जांच, परामर्श और इलाज सुनिश्चित करना है।
यह दिन यह भी संदेश देता है कि यदि युवा जोड़ों को विवाह पूर्व जीन जांच और परामर्श मिल सके, तो भावी पीढ़ियों को इस रोग से बचाया जा सकता है।
यह दिवस प्रभावित लोगों के अधिकारों, उनके लिए सुलभ इलाज और सामाजिक स्वीकृति पर भी ध्यान आकर्षित करता है।
सिकल सेल रोग क्या है?
सिकल सेल रोग एक आनुवंशिक रक्त विकार है जिसमें व्यक्ति की लाल रक्त कोशिकाएं सामान्य गोल आकार की बजाय हंसिए के आकार की हो जाती हैं, जिससे वे कठोर हो जाती हैं और रक्त वाहिकाओं में आसानी से प्रवाहित नहीं हो पाती हैं।
इस स्थिति में ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित हो जाती है, जिससे शरीर के विभिन्न अंगों में तीव्र दर्द, सूजन, अंग क्षति, संक्रमण और कई बार मृत्यु तक की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
यह रोग तब होता है जब व्यक्ति को माता और पिता दोनों से दोषपूर्ण हीमोग्लोबिन जीन (HbS) प्राप्त होते हैं; यदि केवल एक जीन प्राप्त हो तो वह व्यक्ति 'कैरीयर' कहलाता है।
सिकल सेल रोग का उपचार और प्रबंधन:
सिकल सेल रोग का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों का प्रभावी प्रबंधन किया जा सकता है।
हाइड्रॉक्सी यूरिया नामक दवा से दर्द के दौरे कम होते हैं और कोशिकाएं लचीली बनती हैं।
नियमित रक्त आधान (ब्लड ट्रांसफ्यूजन) गंभीर स्थितियों में राहत देता है।
टीकाकरण, संक्रमण से सुरक्षा के लिए एंटीबायोटिक्स और संतुलित आहार, रोगियों को सामान्य जीवन जीने में मदद करते हैं।
कुछ मामलों में अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण (Bone Marrow Transplant) से रोग का स्थायी उपचार संभव हो सकता है, परंतु यह सभी के लिए सुलभ नहीं है।
भारत में सिकल सेल रोग की स्थिति:
भारत में यह रोग विशेष रूप से मध्य भारत और पूर्वी भारत के आदिवासी एवं सामाजिक रूप से पिछड़े समुदायों में अधिक देखा जाता है।
महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, गुजरात, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों में सिकल सेल रोग की व्यापकता अधिक है।
भारत में लाखों लोग या तो सिकल सेल रोग से प्रभावित हैं या इसके कैरीयर हैं, जिनमें अधिकांश लोग अपनी स्थिति से अनजान रहते हैं।
सरकारी प्रयास: राष्ट्रीय सिकल सेल उन्मूलन मिशन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 1 जुलाई 2023 को ‘राष्ट्रीय सिकल सेल उन्मूलन मिशन’ की शुरुआत की गई, जिसका लक्ष्य वर्ष 2047 तक भारत को सिकल सेल रोग से मुक्त बनाना है।
इस मिशन के अंतर्गत 7 करोड़ से अधिक लोगों की आनुवंशिक जांच की जाएगी, जिससे कैरीयर व्यक्तियों की पहचान कर उन्हें परामर्श एवं उपचार उपलब्ध कराया जा सके।
इस पहल के तहत सस्ती व मुफ्त स्क्रीनिंग, विवाह पूर्व और गर्भावस्था पूर्व परीक्षण, सार्वजनिक जागरूकता अभियान, और प्रभावित लोगों को निःशुल्क दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है।
वैश्विक स्थिति और आवश्यकता:
दुनिया भर में प्रतिवर्ष लगभग 3 लाख बच्चे सिकल सेल रोग के साथ जन्म लेते हैं, जिनमें से अधिकतर अफ्रीकी देशों, भारत और मध्य-पूर्वी क्षेत्रों में होते हैं।
इनमें से लगभग 50–70% बच्चे उचित उपचार के अभाव में पांच वर्ष की आयु तक नहीं पहुंच पाते।
इसलिए, वैश्विक स्तर पर नीतियों, संसाधनों और सहयोग की आवश्यकता है ताकि सिकल सेल रोग को रोका और नियंत्रित किया जा सके।
प्रश्न. प्रतिवर्ष विश्व सिकल सेल दिवस किस तिथि को मनाया जाता है?