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क्षुद्रग्रह “डिंकिनेश” (Asteroid Dinkinesh)

प्रारम्भिक परीक्षा – क्षुद्रग्रह “डिंकिनेश” (Asteroid Dinkinesh), लुसी मिशन
मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-1और 3

संदर्भ

  • नासा के लुसी मिशन से पता चला है कि क्षुद्रग्रह “डिंकिनेश” (Dinkinesh) वास्तव में दो क्षुद्रग्रहों की एक द्विआधारी प्रणाली है।

Asteroid-Dinkinesh

         

प्रमुख बिंदु

  • लूसी मिशन : नासा ने इस मिशन को 16 अक्टूबर, 2021 को लॉन्च किया था। 
  • इस मिशन को बृहस्पति ग्रह के ट्रोजन ऐस्टेरॉयड में जीवाश्मों की खोज करने के लिए नासा द्वारा लॉन्च किया गया है। 
  • ट्रोजन के अध्ययन का मुख्य उद्देश्य सौरमंडल की उत्पत्ति के बारे में जानकारी प्राप्त करना  है।

ट्रोजन क्षुद्रग्रह (The Trojan asteroids)

  • बृहस्पति ग्रह के आगे-पीछे गैस के पिंडों से घिरे एक झुंड में चल रहे क्षुद्रग्रहों के दो समूहों को ट्रोजन ऐस्टेरॉयड  कहते हैं।
  • डिंकिनेश क्षुद्रग्रह  के बड़े पिंड की चौड़ाई लगभग 790 मीटर है जबकि छोटे पिंड का आकार लगभग 220 मीटर है।

क्षुद्रग्रह या अवान्तर ग्रह

  • क्षुद्रग्रह मंगल और बृहस्पति ग्रह के मध्य क्षेत्र में सूर्य की परिक्रमा करने वाले छोटे आकार (1 मीटर से लगभग 1000 किमी व्यास) या इससे अधिक आकार के पिंडो के समूह को कहा जाता है। 
  • इनकी उत्पति ग्रहों के विस्फोट के फलस्वरूप टूटे हुए खंडों से हुई है।
  • क्षुद्रग्रह आकार में ग्रहों से छोटे लेकिन उल्कापिंडों से बड़े होते हैं । छोटे क्षुद्रग्रह को “लघु ग्रह/ बौने ग्रह” तथा बड़े क्षुद्रग्रह को प्लैनेटॉइड्स के नाम से जाना जाता है। 
  • इन क्षुद्रग्रहों का गठन सौर मंडल के प्रारंभिक गठन लगभग 4.6 अरब वर्ष के बाद बचे हुए अवशेष से हुआ है।   

मिशन का नाम लूसी रखने का कारण 

  • वर्ष 1974 में इथियोपिया के हदार नामक जगह से एक मानव कंकाल मिला था। उसके अध्ययन से पता चला कि यह दुनिया का सबसे प्राचीनतम मानव कंकाल है। 
  • इस कंकाल का अध्ययन करने के पश्चात् ऐसा माना जा रहा है कि इसका संबंध होमो प्रजाति से है जिससे आधुनिक मानव का जन्म हुआ है।
  • इस कंकाल को नासा द्वारा लूसी (ऑस्ट्रैलोपिथिकस अफ़रैन्सिस) नाम दिया गया है। 
  • बृहस्पति ग्रह पर ट्रोजन की खोज के लिए नासा ने अपने मिशन का नाम इसी लूसी नाम के कंकाल पर रखा है।
  • यह अंतरिक्षयान उन जीवाश्मों की खोज करेगा जो पृथ्वी से करोड़ों किलोमीटर दूर, बृहस्पति के साथ सूर्य की परिक्रमा कर रहे हैं।
  • यह ट्रोजन ऐस्टेरॉयड अपनी कक्षा में 60 डिग्री तक बृहस्पति के साथ या उसके आगे चलते हैं।
  • ये बृहस्पति और सूर्य के बीच के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव के कारण से वहां पर बने हुए हैं। 

प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न :निम्नलिखित में से “डिंकिनेश” नामक क्षुद्रग्रह किस ग्रह की परिक्रमा कर रहा है ?

(a) मंगल

(b) बृहस्पति 

(c) शनि

(d) शुक्र

उत्तर - (b)

मुख्य परीक्षा प्रश्न : क्षुद्रग्रह क्या हैं? इनके के महत्त्व की व्याख्या कीजिए

स्रोत: INDIAN EXPRESS

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