(प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: विभिन्न सुरक्षा बल और संस्थाएँ तथा उनके अधिदेश) |
संदर्भ
सरकार ने थल सेना प्रमुख (चीफ ऑफ़ आर्मी स्टॉफ) को प्रादेशिक सेना (Territorial Army: TA) के अधिकारियों एवं कार्मिकों को नियमित सेना की ‘आवश्यक सुरक्षा प्रदान करने या सहायता या अनुपूरण के उद्देश्य से शामिल होने’ के लिए बुलाने का अधिकार दिया है।
वर्तमान घटनाक्रम के प्रमुख बिंदु
- सैन्य कार्य विभाग द्वारा 06 मई, 2025 को जारी अधिसूचना 10 फरवरी, 2025 से 09 फरवरी, 2028 तक तीन वर्षों के लिए लागू रहेगी।
- अधिसूचना के अनुसार, प्रादेशिक सेना नियम, 1948 के नियम-33 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्र सरकार ने सेना प्रमुख को यह अधिकार प्रदान किया है।
- इसमें कहा गया है कि मौजूदा 32 टीए इन्फैंट्री बटालियनों में से 14 इन्फैंट्री बटालियनों को दक्षिणी कमान, पूर्वी कमान, पश्चिमी कमान, मध्य कमान, उत्तरी कमान, दक्षिण पश्चिमी कमान, अंडमान एवं निकोबार कमान और सेना प्रशिक्षण कमान के क्षेत्रों में तैनाती के लिए बुलाया जा सकता है।
प्रादेशिक सेना की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- 1857 : भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ‘Volunteer Force’ का गठन किया गया।
- 1898 एवं 1905 : महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में वॉलेंटियर फोर्स के रूप में हिस्सा लिया।
- 1917 : भारतीय रक्षा बल अधिनियम पारित किया गया। सभी विश्वविद्यालयों से रक्षा बलों में योगदान मांगा गया।
- 1918 : नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने कलकत्ता विश्वविद्यालय कॉर्प्स जॉइन किया और नेहरू ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय कॉर्प्स में हिस्सा लिया।
औपनिवेशिक युग में विकास
- भारतीय रक्षा बल में दो शाखाएँ
- सहायक बल (Auxiliary Force) : केवल यूरोपीय और एंग्लो-इंडियन के लिए
- भारतीय प्रादेशिक सेना (Indian Territorial Force) : केवल भारतीयों के लिए
- अगस्त 1920 : भारतीय प्रादेशिक बल विधेयक पारित किया गया जिसे सर चार्ल्स मोनरो ने प्रस्तुत किया।
स्वतंत्रता के बाद
- 18 अगस्त, 1948: प्रादेशिक सेना अधिनियम पारित हुआ।
- 9 अक्तूबर, 1949: प्रादेशिक सेना का पहला कैंप श्री सी. राजगोपालाचारी ने उद्घाटन किया। इसी दिन को अब प्रादेशिक सेना दिवस के रूप में मनाया जाता है।
संगठनात्मक विकास
- प्रारंभिक इकाइयाँ:
- पैदल सेना (Infantry), बख्तरबंद (Armoured), तोपखाना (Artillery), एडी (AD), इंजीनियर्स, सिग्नल, ईएमई (EME), एएससी (ASC), एएमसी (AMC), कोस्ट बैटरी, आदि।
- 1972 तक अधिकांश इकाइयाँ नियमित सेना में समाहित या भंग कर दी गईं; केवल इन्फेंट्री (TA) बनी रही।
- वर्तमान स्वरूप
- बल की संख्या: 65 विभागीय व गैर-विभागीय इकाइययों में लगभग 50,000 कर्मी
- इकाइयों की श्रेणियाँ:
- विभागीय इकाइयाँ : रेलवे, आई.ओ.सी. (IOC), ओ.एन.जी.सी. (ONGC) आदि।
- गैर-विभागीय इकाइयाँ : पैदल सेना (Infantry), पारिस्थितिकी (Ecological), इंजीनियर रेजिमेंट (एलओसी फेंसिंग)
- पारिस्थितिकी इकाई द्वारा अब तक 6.65 करोड़ पौधारोपण से 66,000 हेक्टेयर भूमि पर हरियाली लाई गयी है। इसकी स्थापना 1982 में की गई थी।
- नवीनतम इकाई : राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के लिए समग्र पारिस्थितिकी कार्य बल (CETF), प्रयागराज में गठित की जा रही है।
ऑपरेशनों में भागीदारी
- युद्धकालीन योगदान: 1962, 1965, 1971 युद्ध
- प्राकृतिक आपदाओं में सहायता: लातूर भूकंप, उत्तरकाशी भूकंप एवं ओडिशा सुपर साइक्लोन
- अप्रत्यक्ष युद्ध कार्य:
- ऑपरेशन पवन (श्रीलंका) : श्रीलंकाई गृहयुद्ध के दौरान 1987 में भारतीय शांति सेना द्वारा लिट्टे या तमिल टाइगर्स से श्रीलंकाई जाफना प्रायद्वीप पर नियंत्रण पाने के लिए की गई एक सैन्य कार्रवाई।
- ऑपरेशन रक्षक (जम्मू एवं कश्मीर, पंजाब) : जम्मू एवं कश्मीर व पंजाब में आतंकवादियों के खिलाफ
- पूर्वोत्तर में ऑपरेशन राइनो और ऑपरेशन बजरंग : उल्फा की गतिविधियों पर नकेल के लिए
- पुरस्कार एवं सम्मान : कीर्ति चक्र (1), अति विशिष्ट सेवा पदक (5), वीर चक्र (5), शौर्य चक्र (5), युद्ध सेवा पदक (1) और सेना पदक व विशिष्ट सेवा पदक आदि।