(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय) |
संदर्भ
हाल ही में, एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग एजेंसी ने भारत की दीर्घकालिक सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को ‘बीबीबी- (BBB-)’ से बढ़ाकर ‘बीबीबी (BBB)’ कर दिया है। यह 18 वर्षों बाद पहली बार रेटिंग में सुधार किया गया है। यह रेटिंग सुधार भारत की मजबूत आर्थिक वृद्धि, राजकोषीय अनुशासन एवं नियंत्रित मुद्रास्फीति का परिणाम है।
भारत की नई रेटिंग के बारे में
- दीर्घकालिक रेटिंग: ‘बीबीबी-’ से ‘बीबीबी’ (स्थिर दृष्टिकोण के साथ)
- अल्पकालिक रेटिंग: ‘ए-3’ से ‘ए-2’
- स्थानांतरण और परिवर्तनीयता मूल्यांकन: ‘बीबीबी+’ से ‘ए-’
- यह रेटिंग सुधार जनवरी 2007 के बाद पहली बार हुआ है जो भारत की आर्थिक स्थिरता एवं विश्वसनीयता को दर्शाता है।
रेटिंग परिवर्तन के कारण
- मजबूत आर्थिक वृद्धि: भारत ने महामारी के बाद उल्लेखनीय सुधार दिखाया है जिसमें वित्त वर्ष 2022-2024 के बीच 8.8% की औसत जी.डी.पी. वृद्धि दर्ज की गई, जो एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सर्वाधिक है।
- बुनियादी ढांचा निवेश: सरकार ने सड़कों, बंदरगाहों और रेलवे जैसे बुनियादी ढांचे में भारी निवेश किया है, जो आर्थिक विकास की बाधाओं को दूर कर रहा है।
- राजकोषीय अनुशासन: सरकार ने राजकोषीय घाटे को कम करने और व्यय की गुणवत्ता में सुधार करने पर ध्यान केंद्रित किया है।
- मुद्रास्फीति नियंत्रण: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मुद्रास्फीति को 2-6% के लक्ष्य के भीतर रखने में सफलता हासिल की है।
- मौद्रिक नीति सुधार: मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ने मूल्य स्थिरता सुनिश्चित की है, जिससे आर्थिक विश्वास बढ़ा है।
राजकोषीय संतुलन एवं मुद्रा स्फीति
- राजकोषीय संतुलन: सरकार ने बड़े बुनियादी ढांचा निवेश को वित्तपोषित करते हुए चालू खाता घाटे को नियंत्रित किया है। केंद्र सरकार का अस्थायी घाटा वर्ष 2025 में जी.डी.पी. का 4.8% और वर्ष 2026 में 4.4% अनुमानित है।
- मुद्रास्फीति: RBI की नीतियों ने मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखा है जिसमें हाल ही में रेपो दर को 100 आधार अंक घटाकर 5.5% किया गया।
- वैश्विक जोखिम: अस्थिर कमोडिटी कीमतें चालू खाता घाटे के लिए जोखिम बनी हुई हैं किंतु भारत की मजबूत बाह्य स्थिति इसे संतुलित करती है।
बेहतर रेटिंग के लाभ
- उधार लागत में कमी : बेहतर रेटिंग से सरकार और निजी क्षेत्र के लिए विदेशी उधार सस्ता होगा।
- निवेशक विश्वास: वैश्विक निवेशकों का भारत में निवेश के प्रति भरोसा बढ़ेगा, जिससे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में वृद्धि होगी।
- आर्थिक स्थिरता: रेटिंग सुधार भारत की आर्थिक लचीलापन और दीर्घकालिक विकास की संभावनाओं को मजबूत करता है।
- बाजार प्रभाव: बॉन्ड यील्ड में कमी और रुपए की स्थिरता से वित्तीय बाजारों में सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
- वैश्विक प्रतिष्ठा: भारत को मेक्सिको, इंडोनेशिया जैसे देशों के समकक्ष माना जा रहा है, जिससे उसकी वैश्विक छवि मजबूत होगी।
निष्कर्ष
एसएंडपी ग्लोबल द्वारा भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग में सुधार देश की आर्थिक ताकत, अनुशासित नीतियों और दीर्घकालिक विकास की संभावनाओं का प्रमाण है। यह उपलब्धि भारत को वैश्विक निवेश के लिए एक आकर्षक और स्थिर गंतव्य के रूप में स्थापित करती है। सरकार की बुनियादी ढांचा निवेश, राजकोषीय अनुशासन एवं मुद्रास्फीति नियंत्रण की रणनीतियां देश को ‘विकसित भारत 2047’ के लक्ष्य की ओर अग्रसर कर रही हैं।