(प्रारंभिक परीक्षा: अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार, भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों का प्रभाव) |
संदर्भ
ट्रम्प प्रशासन ने अमेरिका की पहली राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति (NSS) जारी की है जिसे एक महत्वाकांक्षी रोडमैप के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। इसका प्राथमिक लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि आने वाले दशकों तक अमेरिका ‘दुनिया का सबसे मजबूत, सबसे धनी, सबसे शक्तिशाली व सबसे सफल देश बना रहे’।
पाँच शीर्ष प्राथमिकताएँ : अमेरिकी विदेश नीति का पुनर्गठन
वाशिंगटन ने अपनी विदेश नीति की दिशा को पुनर्परिभाषित करने वाली पाँच प्रमुख प्राथमिकताओं की पहचान की है:
- प्रवासन का अंत: बड़े पैमाने पर प्रवासन का युग अब समाप्त माना जा रहा है।
- मौलिक अधिकारों की रक्षा: अभिव्यक्ति एवं धर्म की स्वतंत्रता सहित मूलभूत अधिकारों और स्वतंत्रताओं की सुरक्षा को पहले से कहीं अधिक आवश्यक माना गया है।
- एटलस की भूमिका समाप्त: NSS की घोषणा के अनुसार अमेरिका द्वारा एटलस की तरह पूरी विश्व व्यवस्था को सहारा देने के दिन समाप्त हो गए हैं। यह सहयोगियों को अधिक जिम्मेदारी लेने पर मजबूर करने का स्पष्ट संकेत है।
- वैश्विक शांति समझौता नेतृत्व: व्हाइट हाउस अब विदेशों में अपने प्रभाव को मजबूत करने के लिए दुनिया भर में शांति समझौतों का नेतृत्व करने को अनिवार्य मानता है।
- आर्थिक सुरक्षा सर्वोपरि: विदेश नीति में आर्थिक सुरक्षा को सर्वोच्च महत्व दिया जाएगा।
आर्थिक सुरक्षा: NSS का अंतिम स्तंभ
आर्थिक सुरक्षा पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है जिसके तहत समन्वित विदेश नीति कार्रवाइयों का मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित लक्ष्यों को प्राप्त करना होगा-
- संतुलित व्यापार प्राप्त करना
- महत्वपूर्ण आपूर्ति श्रृंखलाओं और सामग्रियों तक पहुंच सुनिश्चित करना
- अमेरिकी अर्थव्यवस्था का पुन: औद्योगीकरण करना
- अमेरिकी रक्षा अवसंरचना को बढ़ावा देना
- ऊर्जा प्रभुत्व स्थापित करना
- वॉल स्ट्रीट को वैश्विक स्तर पर ‘गतिशील मुक्त बाजार प्रणाली और डिजिटल वित्त एवं नवाचार में अमेरिकी नेतृत्व’ का लाभ उठाने में सहायता करना
यूरोपीय सहयोगियों पर सीधा वार: क्षेत्रीय स्थिरता को खतरा
NSS का सबसे विवादास्पद पहलू यूरोपीय सहयोगियों के खिलाफ इसका व्यापक और तीखा वार है जो पूरे महाद्वीप में क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा पैदा करता है।
- उपहासपूर्ण दृष्टिकोण: NSS न केवल यूरोप के कथित आर्थिक पतन के कारण ‘सभ्यता के विनाश की भयावह संभावना’ का सामना करने की बात कहकर उसे उपेक्षापूर्ण ढंग से देखता है।
- दोषारोपण: यह दस्तावेज़ जर्मनी और यूरोपीय संघ के उन देशों को भी दोषी ठहराता है जिनकी ‘अस्थिर अल्पमत सरकारें’ हैं और जिनकी नीतिगत कार्रवाइयां यूक्रेन में रूस के युद्ध के संदर्भ में उनकी शांति की घोषित इच्छा से मेल नहीं खातीं हैं।
जिम्मेदारी साझा करने वाला नेटवर्क और वैश्विक निहितार्थ
- हालाँकि, NSS अमेरिकी राजनयिकों के लिए विदेश नीति लक्ष्यों की दिशा में एक एकीकृत दृष्टिकोण प्रदान करता है किंतु इसके नवीनतम संस्करण ने नाटो की एकजुटता और ताकत को लेकर चिंताएँ बढ़ा दी हैं।
- NSS के अनुसार, अमेरिका अपने सभी सहयोगियों को उनके क्षेत्रों में स्थिरता की जिम्मेदारी लेने के लिए मजबूर करने हेतु एक ‘जिम्मेदारी साझा करने वाला नेटवर्क’ स्थापित करना चाहता है।
- विश्लेषकों का मानना है कि यदि अमेरिका वास्तव में वैश्विक व्यवस्था को सहारा देने की अपनी भूमिका से पीछे हटता है तो यह दुनिया भर के निरंकुश शासकों को सत्ता की लालसा में क्षेत्रीय एवं मानवाधिकार मानदंडों की अवहेलना करने की मनमानी करने की प्रवृत्ति को अधिक बल दे सकता है। यह ‘अमेरिका फर्स्ट’ की नीति का एक ऐसा विस्तार है जो सहयोगी-केंद्रित गठबंधन प्रणाली के स्थान पर एक अधिक स्वार्थी व टकरावपूर्ण विश्व व्यवस्था की ओर संकेत करता है।