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अमेरिका के नेतृत्व वाली ‘पैक्स सिलिका’ पहल

चर्चा में क्यों?

  • अमेरिका के नेतृत्व में पैक्स सिलिका (Pax Silica) पहल शुरू की गई है, लेकिन भारत को इसमें शामिल नहीं किया गया। कांग्रेस ने इस पहल से भारत को बाहर रखे जाने पर सवाल उठाया और इसे 'एक चूका हुआ अवसर' बताया है।

Pax-Silica

‘पैक्स सिलिका’ पहल का परिचय

  • पैक्स सिलिका (Pax Silica) अमेरिका के नेतृत्व वाली नई रणनीतिक पहल है, जिसका मुख्य उद्देश्य विश्वसनीय सहयोगियों के साथ मिलकर एक सुरक्षित और नवाचार-संचालित सिलिकॉन आपूर्ति श्रृंखला का निर्माण करना है।
  • लक्ष्य:
    • दबावपूर्ण निर्भरताओं को कम करना।
    • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के लिए आवश्यक मूलभूत सामग्रियों और क्षमताओं की सुरक्षा।
    • सहयोगी राष्ट्रों को बड़े पैमाने पर परिवर्तनकारी प्रौद्योगिकियों के विकास और तैनाती की क्षमता प्रदान करना।
  • इस पहल में अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, नीदरलैंड, यूनाइटेड किंगडम, इज़राइल, संयुक्त अरब अमीरात और ऑस्ट्रेलिया सहित कुल 9 देश शामिल हैं। 
  • भारत को इस समूह में शामिल नहीं किया गया है, जबकि क्वाड देशों में भारत शामिल है।

भारत पर प्रभाव

  • उच्च-तकनीकी आपूर्ति श्रृंखलाओं में भारत की भागीदारी कमजोर
    • भारत को इस पहल से बाहर रखने का अर्थ है कि वह इस वैकल्पिक और भरोसेमंद वैश्विक आपूर्ति नेटवर्क का औपचारिक हिस्सा नहीं बन पाया।
    • इससे भारत की भूमिका एक निर्णायक साझेदार के बजाय केवल एक संभावित उपभोक्ता या बाहरी सहयोगी तक सीमित हो जाती है।
  • सेमीकंडक्टर और AI पारिस्थितिकी तंत्र के विकास में बाधा
    • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), मशीन लर्निंग, क्लाउड कंप्यूटिंग और उन्नत डिजिटल तकनीकें सिलिकॉन-आधारित हार्डवेयर पर निर्भर हैं। 
    • पैक्स सिलिका जैसे मंच से जुड़ने पर भारत को अत्याधुनिक चिप डिजाइन, निर्माण तकनीक, और अनुसंधान सहयोग का लाभ मिल सकता था। 
    • बाहर रहने से भारत का AI इकोसिस्टम वैश्विक नवाचार चक्र से आंशिक रूप से कट जाता है।
  • विदेशी निवेश और तकनीकी हस्तांतरण के अवसरों का नुकसान
    • भारत की अनुपस्थिति से वैश्विक सेमीकंडक्टर कंपनियों और तकनीकी निवेशकों के लिए भारत एक दूसरी प्राथमिकता बन सकता है, जबकि समूह के सदस्य देशों को अधिक लाभ मिल सकता है।
  • वैश्विक तकनीकी मानक तय करने में सीमित प्रभाव
    • भारत का बाहर रहना उसे सेमीकंडक्टर, AI हार्डवेयर और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े वैश्विक मानकों के निर्धारण में प्रभावी आवाज़ से वंचित करता है, जबकि ये मानक भविष्य में भारत पर भी लागू होंगे।
  • इंडो-पैसिफिक रणनीति में भारत की भूमिका पर प्रश्न
    • भारत क्वाड का प्रमुख सदस्य है और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अमेरिका का रणनीतिक साझेदार माना जाता है। 
    • इसके बावजूद पैक्स सिलिका में भारत का न होना भारत-अमेरिका रणनीतिक तालमेल में आई खामियों की ओर संकेत करता है और भारत की क्षेत्रीय तकनीकी नेतृत्व की छवि को कमजोर करता है।
  • चीन-निर्भरता कम करने की वैश्विक रणनीति से दूरी
    • भारत स्वयं चीन पर तकनीकी और औद्योगिक निर्भरता कम करने की नीति पर काम कर रहा है। पैक्स सिलिका जैसी पहल इस लक्ष्य के अनुरूप थी। 
    • इसमें शामिल न होना भारत के लिए चीन-वैकल्पिक आपूर्ति श्रृंखला का केंद्र बनने का एक महत्वपूर्ण अवसर खोने जैसा है।
  • दीर्घकालिक तकनीकी प्रतिस्पर्धा में पिछड़ने का जोखिम
    • जब अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया, नीदरलैंड जैसे तकनीकी रूप से अग्रणी देश एक साझा रणनीतिक मंच पर भविष्य की तकनीक का रोडमैप बना रहे हों, तब भारत की गैर-मौजूदगी उसे दीर्घकाल में तकनीकी प्रतिस्पर्धा में पीछे धकेल सकती है।

सिलिका क्या है?

  • सिलिका एक प्राकृतिक रासायनिक यौगिक है, जिसे वैज्ञानिक रूप से सिलिकॉन डाइऑक्साइड (SiO) कहा जाता है। यह सिलिकॉन और ऑक्सीजन के संयोजन से बनता है। 
  • पृथ्वी की भूपर्पटी में पाए जाने वाले अधिकांश खनिजों और चट्टानों में सिलिका किसी न किसी रूप में मौजूद होती है। रेत, क्वार्ट्ज़ और ग्रेनाइट जैसी चट्टानें इसके सामान्य उदाहरण हैं।

सिलिका की भौतिक और रासायनिक विशेषताएँ

  • सिलिका सामान्यतः ठोस, कठोर और रासायनिक रूप से स्थिर पदार्थ होती है। यह उच्च तापमान सहन करने की क्षमता रखती है और सामान्य परिस्थितियों में आसानी से रासायनिक अभिक्रियाओं में भाग नहीं लेती है।
  • विद्युत चालकता कम होने के कारण यह इलेक्ट्रॉनिक उद्योग के लिए उपयुक्त मानी जाती है।

सिलिका के प्रमुख प्रकार

  • संरचना के आधार पर सिलिका मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है; क्रिस्टलीय और अक्रिस्टलीय।
  • क्रिस्टलीय सिलिका प्राकृतिक रूप से चट्टानों और रेत में पाई जाती है, जैसे क्वार्ट्ज़।
  • अक्रिस्टलीय सिलिका मानव निर्मित रूप में अधिक मिलती है, जैसे कांच और सिलिका जेल। 
  • दोनों प्रकार के उपयोग और प्रभाव अलग-अलग होते हैं।

सिलिका का महत्व

  • औद्योगिक और तकनीकी महत्व
  • आधुनिक औद्योगिक विकास में सिलिका का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है। सेमीकंडक्टर उद्योग में सिलिका से प्राप्त सिलिकॉन का उपयोग चिप्स, माइक्रोप्रोसेसर और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माण में किया जाता है।
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), मोबाइल फोन, कंप्यूटर, सर्वर और डेटा सेंटर इसी पर आधारित हैं।
  • ऊर्जा क्षेत्र में भूमिका
  • सिलिका आधारित सिलिकॉन सोलर पैनलों का मुख्य घटक है। सौर ऊर्जा उत्पादन में इसकी भूमिका के कारण यह स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा संक्रमण का एक महत्वपूर्ण आधार बन चुकी है।
  • निर्माण और पारंपरिक उद्योगों में उपयोग
  • कांच, सिरेमिक, टाइल्स, चीनी-मिट्टी, सीमेंट और कंक्रीट के निर्माण में सिलिका अनिवार्य कच्चा माल है। भवन निर्माण, सड़क, पुल और औद्योगिक ढांचे में इसका व्यापक उपयोग होता है।
  • रणनीतिक और भू-राजनीतिक महत्व
  • सिलिका उच्च-प्रौद्योगिकी और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा संसाधन है। सेमीकंडक्टर, AI और रक्षा तकनीक के लिए उच्च-शुद्धता सिलिका की उपलब्धता वैश्विक शक्ति संतुलन को प्रभावित करती है। इसी कारण पैक्स सिलिका जैसी अंतरराष्ट्रीय पहलें सामने आई हैं।

निष्कर्ष

  • पैक्स सिलिका पहल से भारत का बाहर रहना उसकी वैश्विक तकनीकी स्थिति के लिए चुनौतीपूर्ण है। 
  • यह सेमीकंडक्टर, AI और सुरक्षित आपूर्ति श्रृंखला में भारत की भूमिका को सीमित करता है। 
  • रणनीतिक साझेदार होने के बावजूद इस मंच से दूरी भारत-अमेरिका तालमेल में कमी दर्शाती है। 
  • भारत को आत्मनिर्भर तकनीकी क्षमता बढ़ाकर वैकल्पिक वैश्विक गठबंधनों में सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी।

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा देश अमेरिका के नेतृत्व वाली पैक्स सिलिका पहल में शामिल नहीं है?

(a) जापान

(b) दक्षिण कोरिया

(c) भारत

(d) नीदरलैंड

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