New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 05th Jan., 2026 Winter Sale offer UPTO 75% + 10% Off GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 15th Dec., 11:00 AM Winter Sale offer UPTO 75% + 10% Off GS Foundation (P+M) - Delhi : 05th Jan., 2026 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 15th Dec., 11:00 AM

लद्दाख में हिम तेंदुओं की स्थिति एवं संरक्षण

(प्रारंभिक परीक्षा : पर्यावरणीय पारिस्थितिकी, जैव-विविधता और जलवायु परिवर्तन संबंधी सामान्य मुद्दे)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3: प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन, संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)

भूमिका

लद्दाख के वन्यजीव संरक्षण विभाग द्वारा किए गए एक अध्ययन में हिम तेंदुआ के संबंध में जानकारी प्रदान की गई है। यह अध्ययन न केवल जैव विविधता संरक्षण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है बल्कि मानव-पशु सह-अस्तित्व के एक सफल मॉडल की ओर भी संकेत करता है।

अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष

  • हिम तेंदुओं की आबादी एवं वितरण
    • लद्दाख क्षेत्र में अनुमानित 477 हिम तेंदुए पाए गए हैं जो भारत में हिम तेंदुओं की कुल अनुमानित आबादी का लगभग 68% है।
    • ये तेंदुए लगभग 47,500 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैले हुए हैं।
    • हेमिस नेशनल पार्क में विश्व का सर्वाधिक घनत्व (1 से 3 प्रति 100 वर्ग किमी.) दर्ज किया गया है।
  • सह-अस्तित्व एवं पारिस्थितिकी
    • लद्दाख में 61% हिम तेंदुए स्थानीय आबादी के साथ सह-अस्तित्व में रहते हैं।
    • मध्यम जलवायु, संसाधन-समृद्ध घास के मैदान और अल्प मानवीय हस्तक्षेप वाले क्षेत्र इनका पसंदीदा निवास स्थान हैं।
  • तकनीकी नवाचार
    • शोधकर्ताओं ने कैमरा ट्रैप और कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित फिंगरप्रिंटिंग तकनीक का उपयोग किया।
    • माथे के विशिष्ट पैटर्न के आधार पर हर हिम तेंदुए की अलग पहचान की गई।
    • इससे राष्ट्रीय फोटो लाइब्रेरी का निर्माण संभव हुआ जो अवैध शिकार पर नजर रखने में सहायक होगी।

पर्यावरणीय एवं सामाजिक महत्व

  • जैव विविधता संरक्षण : हिम तेंदुआ एक शीर्ष शिकारी है जो पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी उपस्थिति दर्शाती है कि पारिस्थितिकी तंत्र स्वस्थ और शिकार प्रजातियाँ पर्याप्त मात्रा में मौजूद हैं।
  • स्थानीय समुदायों की भूमिका : लद्दाख के बौद्ध बहुल क्षेत्रों में वन्यजीवों के प्रति गहरा सम्मान और सह-अस्तित्व की संस्कृति पाई जाती है।
    • पर्यटन, पशु-पुनर्भरण एवं शिक्षा से संबंधित कार्यक्रमों ने हिम तेंदुआ संरक्षण को आर्थिक लाभों से जोड़कर स्थायित्व दिया है।
  • संघर्ष प्रबंधन और पर्यटन : ‘हिम तेंदुआ पर्यटन’ जैसे प्रयासों ने आर्थिक लाभ और संरक्षण दोनों के बीच संतुलन साधा है। इससे मानव-वन्यजीव संघर्ष में कमी आई है और स्थानीय लोगों की भागीदारी में वृद्धि हुई है।

प्रमुख चुनौतियाँ 

  • कठिन भूभाग और दूरदराज क्षेत्र 
  • अवैध शिकार और अंगों की तस्करी 
  • जलवायु परिवर्तन 
  • मानवीय हस्तक्षेप और अतिक्रमण

संभावित समाधान 

  • सौर ऊर्जा आधारित रिमोट सेंसर और मोबाइल डाटा कलेक्शन यूनिट्स का इस्तेमाल
  • राष्ट्रीय फोटो लाइब्रेरी और अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क के जरिए निगरानी
  • जलवायु-स्थिर क्षेत्रों की पहचान और उनके संरक्षण की नीति

नीतिगत सुझाव

  • हिम तेंदुआ लैंडस्केप नीति को राष्ट्रीय स्तर पर अपनाया जाना चाहिए जो संरक्षण एवं आजीविका को जोड़ सके।
  • स्थानीय समुदायों को सह-प्रबंधन में शामिल करना, उन्हें प्रशिक्षण देना और वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करना 
  • AI-आधारित सर्वेक्षण तकनीकों को अन्य प्रजातियों के लिए भी लागू किया जाना चाहिए।
  • भारत-नेपाल-चीन-पाकिस्तान के बीच हिम तेंदुआ संरक्षण के लिए सीमा-पार सहयोग को बढ़ावा देना।

हिम तेंदुए के बारे में 

  • वंश : पेंथेरा (Panthera)
  • कुल : फेलिडे (Felidae)
  • वितरण : हिम तेंदुआ मध्य एशिया और भारतीय उपमहाद्वीप के पहाड़ों में पाया जाता है। ये चीन, भूटान, नेपाल, भारत, पाकिस्तान, रूस और मंगोलिया सहित 12 देशों में पाए जाते हैं।
    • भारत में वे बड़े पैमाने पर जम्मू एवं कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम व अरुणाचल प्रदेश के ऊंचे ठंडे, शुष्क एवं ऊबड़-खाबड़ क्षेत्रों में पाए जा सकते हैं।
  • संरक्षण स्थिति : 
    • IUCN रेड लिस्ट : संवेदनशील (Vulnerable)
    • CITES : परिशिष्ट I 
    • वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 : अनुसूची I
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR