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स्मार्ट विंडो टेक्नोलॉजी में प्रगति

(प्रारंभिक परीक्षा : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास व अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास)

संदर्भ

  • सतत विकास एवं ऊर्जा दक्षता की खोज में स्मार्ट विंडो एक परिवर्तनकारी तकनीक के रूप में उभरी हैं। ये नवाचारपूर्ण उपकरण एक स्विच के माध्यम से झटके से रंग बदल सकते हैं, गर्मी को रोक सकते हैं, ऊर्जा खपत को कम कर सकते हैं और यहाँ तक कि बिजली का भंडारण भी कर सकते हैं। 
  • भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के तहत एक स्वायत्त संस्थान ‘सेंटर फॉर नैनो एंड सॉफ्ट मैटर साइंसेज (CeNS)’ के शोधकर्ताओं ने लागत प्रभावी सामग्रियों का उपयोग करके इस तकनीक को अधिक सुलभ बनाया है। 

इलेक्ट्रोक्रोमिक स्मार्ट विंडो के बारे में 

  • क्या हैं : इलेक्ट्रोक्रोमिक स्मार्ट विंडो उन्नत ग्लेजिंग सिस्टम हैं जो छोटे विद्युत प्रेरण की प्रतिक्रिया में अपने ऑप्टिकल गुणधर्म (जैसे- रंग व पारदर्शिता) को बदल सकते हैं। 
  • प्रमुख विशेषताएँ : 
    • दृश्य एवं निकट-अवरक्त (NIR) प्रकाश को अवरुद्ध करना : सौर ऊष्मा को कम करके भवनों में ऊर्जा खपत को कम करता है।
    • इनडोर तापमान का नियमन : एयर कंडीशनिंग की आवश्यकता को कम करके ऊर्जा दक्षता में सुधार करता है।
    • दोहरी कार्यक्षमता : ये विंडो न केवल प्रकाश को नियंत्रित करती हैं बल्कि विद्युत ऊर्जा का भंडारण भी करती हैं जिससे ये सतत बुनियादी ढांचे के लिए टू-इन-वन समाधान बन जाती हैं।
  • पारंपरिक चुनौतियाँ : इलेक्ट्रोक्रोमिक स्मार्ट विंडो की क्षमता के बावजूद उनकी वाणिज्यिक उपलब्धता उच्च लागत वाली सामग्रियों, जैसे- टंगस्टन ऑक्साइड (WO3) और लिथियम-आधारित इलेक्ट्रोलाइट्स, के उपयोग के कारण सीमित रही है।  
    • ये महंगी सामग्रियां स्मार्ट विंडो को बड़े पैमाने पर अपनाने में बाधक होती हैं, विशेष रूप से विकासशील देशों में, जहाँ लागत एक महत्वपूर्ण कारक है।

CeNS का अभिनव समाधान

CeNS के शोधकर्ताओं ने उपर्युक्त चुनौती का समाधान करने के लिए एक लागत प्रभावी विकल्प विकसित किया है। 

  • टंगस्टन ऑक्साइड (WO3) को टाइटेनियम ऑक्साइड (TiO2) से प्रतिस्थापित करना : TiO2 एक प्रचुर एवं सस्ती सामग्री है जो लागत को काफी कम करती है।
  • लिथियम-आयन इलेक्ट्रोलाइट्स को एल्यूमीनियम-आयन-आधारित इलेक्ट्रोलाइट्स से बदलना : यह परिवर्तन न केवल लागत को कम करता है बल्कि सामग्री की उपलब्धता को भी बढ़ाता है।

तकनीकी प्रगति

हालाँकि, TiO2 में इलेक्ट्रोक्रोमिक गुण होते हैं किंतु इसकी कम रंगाई दक्षता (ऑप्टिकल घनत्व में परिवर्तन प्रति इकाई आवेश) के कारण इसका उपयोग कम हुआ है। शोधकर्ताओं ने TiO2 फिल्मों में ऑक्सीजन रिक्तियों को इंजीनियर करके इस सीमा को पार किया, जिससे रंगाई प्रदर्शन में सुधार हुआ। परिणामस्वरूप:

  • रंगाई दक्षता : लगभग 27 cm²/C, जो TiO2 के लिए अब तक की सबसे उच्च दर्ज की गई दक्षता में से एक है।
  • प्रकाश संचरण मॉड्यूलेशन 
    • सौर : 55%
    • दृश्यमान (ल्यूमिनस) : 47%
    • निकट-अवरक्त (NIR) : 41%
  • पतली फिल्में : ये परिणाम केवल 340 नैनोमीटर मोटी फिल्मों के साथ प्राप्त किए गए, जो सामग्री उपयोग को और अधिक कुशल बनाता है।
  • चार्ज भंडारण क्षमता : फिल्मों ने 34 mF/cm² की वास्तविक धारिता प्रदर्शित की, जो इलेक्ट्रोक्रोमिक विंडो को ऊर्जा भंडारण उपकरण के रूप में कार्य करने में सक्षम बनाती है।
  • चक्रीय स्थिरता : उपकरणों ने 2000 स्विचिंग चक्रों में 96% क्षमता बनाए रखी, जो दीर्घकालिक स्थायित्व के लिए महत्वपूर्ण है।

हालिया नवाचार का महत्त्व 

  • शून्य-ऊर्जा भवन : स्मार्ट विंडो शून्य-ऊर्जा भवनों की अवधारणा में योगदान देती हैं, जो भारत जैसे विकासशील देशों में ऊर्जा संरक्षण और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
  • पेरिस समझौता एवं SDG : यह तकनीक सतत विकास लक्ष्य (SDG) 7 (स्वच्छ एवं किफायती ऊर्जा) और 11 (सतत शहर एवं समुदाय) के अनुरूप है। साथ ही, भारत के पेरिस समझौते के तहत कार्बन उत्सर्जन में कमी के लक्ष्यों को भी समर्थन देती है।
  • स्मार्ट सिटी मिशन : स्मार्ट विंडो तकनीक को भारत के स्मार्ट सिटी मिशन के तहत एकीकृत किया जा सकता है जिससे शहरी बुनियादी ढांचे की ऊर्जा दक्षता में सुधार होगा।
  • नैनोटेक्नोलॉजी में प्रगति : TiO2 फिल्मों में ऑक्सीजन रिक्तियों की इंजीनियरिंग नैनोटेक्नोलॉजी में भारत की बढ़ती विशेषज्ञता को दर्शाती है।
  • स्वदेशी नवाचार : CeNS का यह कार्य आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया पहल के तहत स्वदेशी प्रौद्योगिकी विकास को उजागर करता है।
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