(प्रारंभिक परीक्षा : योजनाएं एवं कार्यक्रम) (मुख्य परीक्षा, समान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 व 3: (विकास प्रक्रिया तथा विकास उद्योग- गैर-सरकारी संगठनों, स्वयं सहायता समूहों, विभिन्न समूहों और संघों, दानकर्ताओं, लोकोपकारी संस्थाओं, संस्थागत एवं अन्य पक्षों की भूमिका, भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय |
संदर्भ
केंद्रीय कैबिनेट ने औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (ITI) के उन्नयन एवं कौशल विकास के लिए पाँच राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्रों (NCOEs) की स्थापना के लिए राष्ट्रीय योजना को मंजूरी दी। यह योजना ‘विकसित भारत @2047’ के संकल्प को मूर्त रूप देने के लिए व्यावसायिक शिक्षा की गुणवत्ता एवं पहुँच में आमूलचूल परिवर्तन लाने का प्रयास है।
योजना की आवश्यकता
- भारत में आई.टी.आई. प्रणाली 1950 के दशक से राज्य सरकारों द्वारा संचालित होती रही है। वर्ष 2014 से अब तक इनकी संख्या में 47% की वृद्धि हुई है और कुल 14,615 आई.टी.आई. में लगभग 14.4 लाख विद्यार्थी नामांकित हैं।
- पूर्ववर्ती योजनाओं में धन की कमी, पाठ्यक्रम की प्रासंगिकता की कमी और प्रशिक्षकों की गुणवत्ता जैसे मुद्दों पर प्रभावी समाधान नहीं हो पाया था।
राष्ट्रीय आई.टी.आई. उन्नयन एवं कौशल विकास योजना के बारे में
- परिचय : यह एक केंद्रीय प्रायोजित योजना (Centrally Sponsored Scheme) है।
- उद्देश्य : इसका उद्देश्य राज्य सरकारों और उद्योग जगत के सहयोग से मौजूदा आई.टी.आई. को सरकारी स्वामित्व वाले तथा उद्योग जगत के प्रबंधन कौशल के आकांक्षी संस्थान के रूप में स्थापित करना है।
- घोषणा : इसकी घोषणा वर्ष 2024-25 और 2025-26 के बजट में की गई थी।
- वित्तीय परिव्यय : इस योजना के लिए 60,000 करोड़ रुपए का परिव्यय रखा गया है जिसमें केंद्र सरकार द्वारा 30,000 करोड़ रुपए, राज्य सरकारों द्वारा 20,000 करोड़ रुपए और उद्योग जगत द्वारा 10,000 करोड़ रुपए होगा।
- इसके अलावा एशियाई विकास बैंक और विश्व बैंक द्वारा समान रूप से केंद्रीय हिस्से के 50% की सीमा तक का सह-वित्तपोषण किया जाएगा।
- योजनावधि : पाँच वर्ष
योजना की प्रमुख विशेषताएँ
- आईटीआई उन्नयन का दायरा : देश भर के 1,000 सरकारी आईटीआई को हब एंड स्पोक मॉडल के तहत उन्नत किया जाएगा तथा उद्योगों की मांग के अनुसार नवीन पाठ्यक्रमों व आधुनिकीकरण पर ज़ोर दिया जाएगा।
- राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना : इस योजना के तहत प्रशिक्षकों के बेहतर प्रशिक्षण से जुड़ी सुविधाओं के लिए पाँच राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थानों (NSTI) को उत्कृष्टता केंद्रों में बदला जाएगा।
- ये संस्थान भुवनेश्वर, चेन्नई, हैदराबाद, कानपुर एवं लुधियाना में स्थित हैं।
- प्रशिक्षकों (Trainers) की क्षमता वृद्धि : इसके तहत 50,000 प्रशिक्षकों को प्री-सर्विस एवं इन-सर्विस प्रशिक्षण दिया जाएगा तथा प्रशिक्षण अवसंरचना को आधुनिक बनाया जाएगा।
- उद्योग-संवर्धित एस.पी.वी. मॉडल : इस योजना के तहत उद्योग के नेतृत्व वाली विशेष प्रयोजन इकाई (SPV) के माध्यम से कार्यान्वयन होगा। इससे परिणाम आधारित दृष्टिकोण एवं सतत उद्योग सहभागिता सुनिश्चित की जाएगी।
प्रभाव
- 20 लाख युवाओं को आगामी 5 वर्षों में उद्योग-संगत कौशल से प्रशिक्षित किया जाएगा।
- स्थानीय कार्यबल आपूर्ति एवं उद्योग की माँग में समन्वय स्थापित होगा।
- MSMEs एवं उच्च-विकास क्षेत्रों, जैसे- इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल एवं नवीकरणीय ऊर्जा के लिए तैयार कार्यबल मिलेगा।
- आई.टी.आई. को एक ‘सरकारी स्वामित्व एवं उद्योग प्रबंधित’ संस्थान के रूप में रूपांतरित किया जाएगा।
महत्व
यह योजना न केवल भारत के कौशल परिदृश्य को पुनर्परिभाषित करेगी, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ और ‘विकसित भारत’ के दृष्टिकोण को भी सशक्त बनाएगी। इससे भारत को वैश्विक कौशल राजधानी बनने की दिशा में गति मिलेगी और युवाओं को रोजगारोन्मुख शिक्षा प्रदान कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का मार्ग प्रशस्त होगा।