(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियाँ एवं उनका प्रबंधन- संगठित अपराध और आतंकवाद के बीच संबंध) |
संदर्भ
- भारत की तटीय रेखा लगभग 11,098 किमी. लंबी है और देश के व्यापार का 90% से अधिक हिस्सा समुद्री मार्गों के माध्यम से होता है। इतनी विशाल समुद्री गतिविधियों के बावजूद अब तक सभी बंदरगाहों के लिए एक समान सुरक्षा व्यवस्था नहीं थी।
- कई निजी बंदरगाह स्थानीय पुलिस या निजी एजेंसियों पर निर्भर थे जिससे सुरक्षा में खामियाँ बनी रहती थीं। इन्हीं चुनौतियों को देखते हुए सरकार ने देश के 250 से अधिक समुद्री बंदरगाहों के लिए सुरक्षा नियमों को एकीकृत करने का निर्णय लिया है।
भारतीय समुद्री बंदरगाह सुरक्षा का एकीकरण
- 21 नवंबर, 2025 को केंद्र सरकार ने केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) को पूरे देश के समुद्री बंदरगाहों का मुख्य सुरक्षा नियामक (Regulator) घोषित किया है।
- इससे पहली बार भारत के सभी प्रमुख एवं गैर-प्रमुख बंदरगाहों पर एक समान ‘सार्वभौम’ (Sovereign) सुरक्षा व्यवस्था लागू होगी।
CISF और बंदरगाह सुरक्षा समझौता
- सरकार ने निजी एवं सार्वजनिक दोनों तरह के बंदरगाहों की सुरक्षा एक केंद्रीय एजेंसी (CISF) को सौंपने का निर्णय लिया है।
- 80 प्रमुख EXIM (Export-Import) बंदरगाहों पर CISF तुरंत सुरक्षा का नियंत्रण संभालेगा।
- शेष लगभग 170 बंदरगाहों पर चरणबद्ध तरीके से CISF की सुरक्षा लागू की जाएगी।
- 18 नवंबर, 2025 को बंदरगाह, जहाजरानी एवं जलमार्ग मंत्रालय ने CISF को मान्यता प्राप्त सुरक्षा संगठन (RSO) घोषित किया है।
- सुरक्षा मॉडल हाइब्रिड होगा, मुख्य सुरक्षा CISF संभालेगी और सहायक कार्य राज्य पुलिस व निजी एजेंसियाँ करेंगी।
मुख्य बिंदु
- CISF को सभी समुद्री बंदरगाहों का सुरक्षा नियामक बनाया गया।
- भारत में कुल 250+ बंदरगाह अब एकीकृत सुरक्षा ढांचे में आएंगे।
- वर्तमान में CISF केवल 13 प्रमुख बंदरगाहों की सुरक्षा देखती है। अब यह दायरा सभी तक बढ़ाया जा रहा है।
- 80 EXIM बंदरगाहों पर तुरंत CISF की तैनाती होगी।
- प्रत्येक बंदरगाह के लिए 800-1,000 CISF कर्मियों की आवश्यकता है और CISF ने 10,000 अतिरिक्त कर्मियों की मांग की है।
- सुरक्षा के हाइब्रिड मॉडल के तहत मुख्य कार्य CISF द्वारा और सहायक कार्य स्थानीय पुलिस/निजी एजेंसियों द्वारा किया जाना है।
- यह कदम 2024 की संयुक्त समिति (CISF+DG Shipping) की रिपोर्ट पर आधारित है।
- ISPS Code के तहत बंदरगाह सुरक्षा के अंतर्राष्ट्रीय मानकों का पालन सुनिश्चित किया जाएगा।
इसका प्रभाव
- तटीय सुरक्षा में बड़े सुधार
- भारत की समुद्री सीमाएँ प्राय: ड्रग तस्करी, हथियारों की आवाजाही, मानव तस्करी और अवैध घुसपैठ के लिए संवेदनशील रही हैं। एक समान सुरक्षा ढांचा इन जोखिमों को काफी हद तक कम करेगा।
- निजी बंदरगाहों पर पहली बार ‘सार्वभौम’ सुरक्षा की तैनाती
- पहले कई निजी बंदरगाह केवल निजी सुरक्षा पर निर्भर थे। अब वहाँ CISF का नियंत्रण होगा, जिससे सुरक्षा का स्तर अंतर्राष्ट्रीय मानकों तक बढेगा।
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और निवेश में विश्वास बढ़ेगा
- समान सुरक्षा व्यवस्था से EXIM गतिविधियों की पारदर्शिता बढ़ेगी, जिससे विदेशी निवेशकों का भरोसा मजबूत होगा।
- राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति के अनुरूप कदम
- 2023 में जारी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति के तहत तटीय सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई थी। यह निर्णय उसी दिशा में एक बड़ा कदम है।
- भविष्य के समुद्री युद्ध, आतंकवाद और तस्करी के खिलाफ बेहतर तैयारी
- भारत की बढ़ती समुद्री गतिविधियों को देखते हुए यह कदम देश की ब्लू इकॉनमी और समुद्री रणनीतिक क्षमताओं को मजबूत करेगा।
निष्कर्ष
भारत की तटीय सुरक्षा लंबे समय से कई ढांचागत कमजोरियों से जूझ रही थी। सरकार द्वारा CISF को सभी समुद्री बंदरगाहों का सुरक्षा नियामक बनाना एक ऐतिहासिक एवं अत्यंत रणनीतिक कदम है। यह न केवल सुरक्षा में एकरूपता लाएगा बल्कि भारत के समुद्री व्यापार, तटीय सुरक्षा और राष्ट्रीय रणनीतिक हितों को भी मजबूत करेगा।