(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार) |
संदर्भ
- 22–23 नवंबर, 2025 को दक्षिण अफ्रीका के जोहांसबर्ग में आयोजित G-20 शिखर सम्मेलन कई कारणों से ऐतिहासिक रहा। पहली बार G-20 किसी अफ्रीकी देश में आयोजित हुआ है। साथ ही, अमेरिका (राष्ट्रपति) द्वारा उच्च-स्तरीय बहिष्कार के कारण यह विशेष राजनीतिक संदर्भ में आ गया।
- इस मंच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘समग्र मानवतावाद’ की अवधारणा को वैश्विक विकास मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया और स्वास्थ्य, कौशल, पारंपरिक ज्ञान, सतत विकास तथा वैश्विक सहयोग से जुड़े कई बड़े प्रस्ताव रखे।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- G-20 की स्थापना वर्ष 1999 में एशियाई वित्तीय संकट के बाद वैश्विक आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए की गई थी।
- प्रारंभ में यह वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नरों का मंच था, जिसे वर्ष 2008 के वैश्विक आर्थिक संकट के बाद वर्षिक नेताओं के शिखर सम्मेलन में परिवर्तित कर दिया गया।
- G-20 विश्व की लगभग 85% GDP, 75% वैश्विक व्यापार और दो-तिहाई जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता है। इसे आधुनिक समय की सर्वाधिक प्रभावशाली वैश्विक आर्थिक संस्था माना जाता है।
G-20 शिखर सम्मेलन 2025 के बारे में
- स्थान : जोहांसबर्ग, दक्षिण अफ्रीका
- तिथि : 22–23 नवंबर, 2025
- आयोजक : दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता में
- भाग लेने वाले देश
- G-20 के सदस्य देश: भारत, दक्षिण अफ्रीका, ब्राज़ील, यू.के., चीन, रूस, ऑस्ट्रेलिया, जापान, दक्षिण कोरिया, जर्मनी, फ्रांस, इटली, कनाडा, अर्जेंटीना, तुर्किये, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, मैक्सिको, यूरोपीय संघ
- विशेष आमंत्रित देश: सिंगापुर, मिस्र, नाइजीरिया, अंगोला सहित कई अफ्रीकी राष्ट्र।
- अमेरिका ने केवल राजनयिक स्तर पर भाग लिया अर्थात राष्ट्र प्रमुख (राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प) ने श्वेत व्यक्तियों के विरुद्ध नस्लवाद के आरोप के आधार पर भाग नहीं लिया।
- थीम: एकजुटता, समानता, संधारणीयता (Solidarity, Equality, Sustainability)
- प्रमुख विषय : वैश्विक अर्थव्यवस्था, जलवायु परिवर्तन, असमानता, स्वास्थ्य, सुरक्षा, कौशल विकास और तकनीकी सहयोग
उद्देश्य
- वैश्विक विकास मॉडलों का पुनर्मूल्यांकन
- जलवायु परिवर्तन से मुकाबला
- ग्लोबल साउथ और अफ्रीका के विकास को प्राथमिकता
- वित्तीय संस्थाओं में सुधार
- स्वास्थ्य, कौशल और तकनीकी सहयोग बढ़ाना
- नशा-आतंक गठजोड़ पर वैश्विक रणनीति बनाना
- पारंपरिक ज्ञान और सतत जीवनशैली को बढ़ावा देना
G-20 सम्मेलन के मुख्य परिणाम
- G-20 जोहांसबर्ग नेतृत्व घोषणा पत्र का सर्वसम्मत अनुमोदन (अमेरिका की गैर-मौजूदगी के बावजूद)
- जलवायु संकट से निपटने के लिए मजबूत प्रतिबद्धताएँ
- वैश्विक वित्तीय संस्थाओं में सुधार और विकासशील देशों के कर्ज संकट पर ठोस रणनीति
- अफ्रीका और ग्लोबल साउथ को केंद्र में रखते हुए समावेशी विकास मॉडल
- तकनीक, स्वास्थ्य, कौशल और स्वच्छ ऊर्जा पर नए सहयोग ढाँचे
- बहुपक्षीयता और संवाद को मजबूती
जोहांसबर्ग घोषणापत्र : प्रमुख बिंदु
- बहुपक्षवाद और वैश्विक सहयोग: घोषणापत्र में बहुपक्षवाद के मूल्य एवं बातचीत की आवश्यकता को महत्वपूर्ण बताया गया है। साथ ही, संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतर्राष्ट्रीय कानून के प्रति प्रतिबद्धता दोहराई गई।
- बल के प्रयोग से बचना: सदस्य देशों को संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीमाओं को बदलने के लिए बल या धमकी का उपयोग करने से बचना चाहिए।
- ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताएँ: विकासशील देशों के मुद्दों, विशेष रूप से अफ्रीकी प्राथमिकताओं पर अत्यधिक जोर दिया गया, जिसमें ऋण स्थिरता, विकास वित्तपोषण और असमानता जैसे मुद्दे शामिल थे।
- जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा संक्रमण: जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कार्रवाई का आह्वान किया गया, जिसमें कमजोर देशों के लिए जलवायु अनुकूलन सहायता और तकनीकी सहायता बढ़ाने पर जोर दिया गया। वर्ष 2030 तक वैश्विक स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता और ऊर्जा दक्षता में सुधार के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त की गई।
- ऋण स्थिरता: घोषणापत्र में स्वीकार किया गया है कि उच्च ऋण कई विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य सेवा व शिक्षा में निवेश करने की क्षमता को गंभीर रूप से सीमित करता है। ऋण उपचार के लिए G20 सामान्य ढांचे के कार्यान्वयन को मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई गई।
- डिजिटल अर्थव्यवस्था और AI: डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और AI (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) शासन संवादों के समर्थन पर सहमति बनी, जिसमें सुरक्षित, संरक्षित व विश्वसनीय AI विकास सुनिश्चित करने के लिए मानवाधिकारों की सुरक्षा, पारदर्शिता व जवाबदेही पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- सतत विकास और खाद्य सुरक्षा: सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्धता और खाद्य सुरक्षा प्रयासों को बढ़ावा देने तथा छोटे धारकों व आपूर्ति श्रृंखलाओं का समर्थन करने पर सहमति हुई।
- आपदा लचीलापन: जलवायु-प्रेरित प्राकृतिक आपदाओं के प्रति लचीलापन बढ़ाने और जोखिम वाले लोगों के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली विकसित करने को बढ़ावा देने का संकल्प लिया गया।
- अफ्रीका पर विशेष ध्यान: यह पहला G20 शिखर सम्मेलन था जो अफ्रीकी महाद्वीप पर आयोजित किया गया, जिसने अफ्रीकी संघ (AU) को G20 का स्थायी सदस्य बनाने की नई दिल्ली घोषणा की निरंतरता में अफ्रीकी प्राथमिकताओं को उजागर किया।
प्रधानमंत्री मोदी की भागीदारी
प्रधानमंत्री मोदी ने दो प्रमुख सत्रों में हिस्सा लिया, अनेक द्विपक्षीय मुलाकातें कीं और भारत के दृष्टिकोण को प्रमुखता से रखा। उनके अनुसार, मौजूदा वैश्विक विकास मॉडल से संसाधनों का असमान वितरण हुआ है और प्रकृति के अत्यधिक शोषण को बढ़ावा मिला है जिससे अफ्रीका सर्वाधिक प्रभावित हुआ है।
भारत द्वारा प्रस्तुत नई वैश्विक पहल
- ग्लोबल ट्रेडिशनल नॉलेज रिपॉजिटरी: पारंपरिक, टिकाऊ व संतुलित जीवनशैली का वैश्विक भंडार तैयार करने की पहल
- G-20–अफ्रीका कौशल मल्टीप्लायर पहल: भारत पूरे अफ्रीका में 10 लाख युवाओं को कौशल प्रशिक्षण देने के लिए तैयार
- G-20 वैश्विक स्वास्थ्य आपदा प्रतिक्रिया तंत्र: वैश्विक स्वास्थ्य आपदा प्रतिक्रिया तंत्र विकसित करने का प्रस्ताव
- Drug–Terror Nexus विरोध पहल: घातक ड्रग्स (जैसे- फेंटानिल) और आतंकवाद के वित्तपोषण के बीच संबंधों पर संयुक्त कार्रवाई प्रस्तावित
- G-20 ओपन सेटेलाइट डाटा पार्टनरशिप: कृषि, मत्स्य, जलवायु और आपदा प्रबंधन के लिए उपग्रह डाटा साझा करने का तंत्र
- क्रिटिकल मिनरल्स सर्कुलरिटी पहल: खनिजों का पुनर्चक्रण और टिकाऊ खनन को बढ़ावा देना
- ACITI साझेदारी (Australia-Canada-India Technology & Innovation Partnership): उभरती तकनीकों, AI, स्वच्छ ऊर्जा एवं आपूर्ति शृंखला सहयोग के लिए त्रिपक्षीय मंच
समग्र मानवतावाद (Integral Humanism) की अवधारणा
- वर्ष 1965 में पंडित दीनदयाल उपाध्याय द्वारा प्रतिपादित दर्शन।
- यह एक ऐसा दार्शनिक विचार है जो व्यक्ति एवं समाज के भौतिक, मानसिक, बौद्धिक व आध्यात्मिक विकास पर केंद्रित है।
- मानव को केवल आर्थिक इकाई नहीं, बल्कि सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भों में संपूर्ण व्यक्ति मानने की अवधारणा।
- ‘पश्चिमी मॉडल’ के अत्यधिक उपभोक्तावाद और व्यक्तिवाद का विकल्प।
- पीएम मोदी ने इसे एक वैश्विक विकास मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया, जो वर्तमान पर्यावरणीय और असमानता की चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत कर सकता है।
चुनौतियाँ
- अमेरिका की अनुपस्थिति से राजनीतिक संदेश और संतुलन पर प्रभाव
- क्लाइमेट फाइनेंस (जलवायु वित्त) पर विकसित देशों के बीच मतभेद
- ग्लोबल साउथ (वैश्विक दक्षिण) की मांगों पर धीमी प्रगति
- नशीली दवाओं और आतंकवाद पर वैश्विक सहमति बनाना चुनौतीपूर्ण
- पारंपरिक ज्ञान और तकनीक साझा करने में बौद्धिक संपदा से जुड़े विवाद
आगे की राह
- G-20 को अफ्रीका व ग्लोबल साउथ के हितों को लगातार प्राथमिकता देनी होगी।
- जलवायु वित्त, हरित ऊर्जा और तकनीकी हस्तांतरण पर ठोस रोडमैप की आवश्यकता है।
- भारत की पहल- कौशल, पारंपरिक ज्ञान, स्वास्थ्य प्रतिक्रिया को संस्थागत रूप देना होगा।
- बड़े देशों के बीच भू-राजनीतिक तनाव (अमेरिका–चीन, रूस–पश्चिम) को संतुलित करना होगा।
- बहुपक्षवाद को मजबूत करने और विकासशील दुनिया की आवाज उठाने में भारत को नेतृत्व बनाए रखना होगा।
निष्कर्ष
G-20 शिखर सम्मेलन, 2025 वैश्विक राजनीतिक व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। अफ्रीका की भागीदारी केंद्र में रही, जबकि अमेरिका की अनुपस्थिति ने संवाद की दिशा बदली और भारत ने अपने विचारों तथा पहलों के माध्यम से विकास, सततता, मानव–केंद्रित नीति एवं वैश्विक सहयोग का नया दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। समग्र मानवतावाद के सिद्धांतों के साथ भारत ने यह संदेश दिया कि विकास केवल आर्थिक वृद्धि का प्रश्न नहीं है बल्कि मानवीय गरिमा, प्रकृति के संतुलन और वैश्विक समानता की दिशा में सामूहिक प्रयास का मार्ग है।