08 मई, 2025 को भारत ने स्वदेशी रूप से निर्मित पहली एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट (ASW SWC) ‘अर्नाला’ को नौसेना में सम्मिलित कर लिया गया है। यह पोत भारत की तटीय सुरक्षा क्षमता को सुदृढ़ करता है।
08 मई 25 को एलएंडटी शिपयार्ड, कट्टुपल्ली में भारतीय नौसेना को सौंपा गया।
‘अर्नाला’ युद्धपोत के बारे में
क्या है :गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स, कोलकाता द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन व निर्मित आठ पनडुब्बी रोधी युद्धक उथले जल पोत (ASW SWC) में से पहला पोत
(Anti-Submarine Warfare Shallow Water Craft)
नामकरण :अर्नाला का नाम महाराष्ट्र के वसई में स्थित ऐतिहासिक किले 'अर्नाला' पर
उद्देश्य :
पनडुब्बी रोधी युद्ध (Anti-Submarine Warfare)
कम तीव्रता वाले समुद्री अभियान (LIMO)
माइंस बिछाने की क्षमता (Mine Laying)
बचाव एवं निगरानी अभियान (Search & Rescue, Underwater Surveillance)
डिजाइन एवं निर्माण : इस युद्धपोत को गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स द्वारा लार्सन एंड टुब्रो शिपयार्ड के साथ सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पी.पी.पी.) के तहत भारतीय शिपिंग रजिस्टर (IRS) के वर्गीकरण नियमों के अनुसार डिजाइन व निर्मित किया है।
तटीय रक्षा को मजबूती :भारत की 7,500 किमी लंबी समुद्री सीमा और संवेदनशील तटीय क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए अर्नाला जैसे पोत अत्यंत आवश्यक हैं। यह पोत उथले जल क्षेत्रों में पनडुब्बी गतिविधियों की निगरानी कर सकता है।
पनडुब्बी रोधी क्षमताओं का विस्तार :हाल के वर्षों में चीन की नौसैनिक गतिविधियों, विशेषकर हिंद महासागर में पनडुब्बियों की उपस्थिति, के मद्देनज़र अर्नाला जैसे पोत सामरिक दृष्टि से उपयोगी सिद्ध होंगे।
लचीली समुद्री उपस्थिति : अर्नाला की बहु-भूमिकात्मक क्षमताएँ (multi-role) इसे विभिन्न प्रकार के सैन्य, मानवीय व खोज अभियान चलाने में सक्षम बनाती हैं।