भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India), जिसे हिंदी में निर्वचन आयोगया निर्वाचन आयोग भी कहा जाता है, भारत का एक संवैधानिक एवं स्वायत्त प्राधिकरणहै। इसे संविधान के अनुच्छेद 324–329के अंतर्गत स्थापित किया गया है
यह आयोग भारत में लोकसभा, राज्य विधानसभा, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपतिके चुनावों का संचालन करता है, जिससे लोकतंत्र की रीढ़ मजबूत रहती है
संरचना (Composition)
आयोग में एकमुख्य चुनाव आयुक्त (CEC)और दो चुनाव आयुक्त (ECs) शामिल होते हैं (प्रथम से अधिकतम तीन सदस्य)
मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, और उनकी कार्यावधि छह वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक होती है (जो भी पहले हो)
2023 में सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्ति प्रक्रिया को और स्वतंत्र बनाने के लिएसेलेक्शन कमिटी की व्यवस्था का प्रस्ताव रखा, जिसमें प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और केंद्रीय मंत्री शामिल होते हैं
मुख्य कार्य एवं अधिकार (Functions & Powers)
निर्वाचक नामावली (Voter Roll) की तैयारी, अद्यतन और सत्यापन
चुनाव कार्यक्रमजैसे नामांकन, मतदान और परिणामों की तिथियाँ निर्धारित करना।
आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct)जारी करना एवं इसका पालन सुनिश्चित करना
राजनीतिक दलों को पंजीकरण, चुनाव चिन्ह प्रदान करना, और राष्ट्रीय/state स्तर की पहचान देना।
प्रत्याशियों की योग्यताओं की जांच, आपराधिक या फर्जी दावों पर कार्रवाई करना।
चुनाव खर्च की सीमाएँ तय करना और निगरानी करना
निर्वाचन विवादों का निपटान (जैसे अयोग्यता, दल परिवर्तन) हेतु राष्ट्रपति या राज्यपाल को सलाह देना
EVM, VVPAT, पोस्टल वोटिंग जैसे चुनाव सुधार उपायों को लागू करना और नए इनोवेशन को बढ़ावा देना
कार्यप्रणाली (Working Mechanism)
निर्णय तीन आयुक्तों की बहुमत से लिए जाते हैं, किसी एक के एकाधिकार से नहीं
आयोग द्वारा नियुक्त राज्य मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) और जिला निर्वाचन अधिकारी (DEO) राज्य एवं जिला स्तर पर प्रशासन की मदद करते हैं। मतदान केन्द्र पर BLO एवं Returning Officer कार्य करते हैं
इतिहास एवं सुधार प्रयास
आयोग की स्थापना 25 जनवरी 1950 को हुई; यही भारत का राष्ट्रीय मतदाता दिवस के रूप में मनाया जाता है
प्रारंभिक रूप से यह एक सदस्यीय निकाय था, पर 1989 में दो अतिरिक्त चुनाव आयुक्त जोड़े गए; 1993 में पुनः तीन सदस्यीय संरचना बहाल हुई
हाल ही में चुनाव सुधारों के तहत मतदाता सहायता फॉर्म, ईपीआईसी-ई, वोटिंग उम्र संबंधी कट-ऑफ डेट स्प्लिट जैसी सिफारिशें सामने आई हैं
चुनौतियाँ और विवाद
चुनाव आयोग कीस्वायत्तता, निष्पक्षता और कार्यपालिका पर प्रभाव से जुड़े सवाल उठते रहे हैं। विपक्षी दल आयोग की भूमिका में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाते रहते हैं
निर्वाचन आयुक्तों के चयन में पारदर्शिता की कमी और कार्यपालिका का दबाव आयोग की विश्वसनीयता पर प्रश्न खड़े करता है
SIR (Special Intensive Revision)
यह भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) द्वारा मतदाता सूची (electoral rolls) को अद्यतन करने के लिए चलाया जाने वाला एक विशेष कार्यक्रम है।
SIR: Special Intensive Revision क्या है ?
उद्देश्य: मतदाता सूची में नामों की शुद्धता, नवीन पंजीकरण, विलोपन, सुधार व स्थानांतरण सुनिश्चित करना।
आवश्यकता क्यों पड़ती है ?
जब निर्वाचन आयोग को यह लगता है कि मतदाता सूची बहुत अधिक असंतुलित हो गई है (उदाहरण: मृत व्यक्तियों के नाम, डुप्लीकेट प्रविष्टियाँ, अपूर्ण जानकारी)।
जब आम मतदाता पुनरीक्षण (Annual Revision) पर्याप्त नहीं होता।
प्रक्रिया में क्या-क्या होता है ?
घर-घर जाकर सत्यापन (Door-to-door verification)
फॉर्म 6, 7, 8 के माध्यम से आवेदन (नया नाम जोड़ना, हटाना, सुधार करना)
ब्लॉक स्तर के अधिकारी (BLOs) की नियुक्ति
बूथ लेवल पर कैंप लगाना
कब होता है ?
यह एक विशेष परिस्थिति में किया जाता है। इसका समय निर्वाचन आयोग तय करता है, खासकर यदि कोई बड़ा चुनाव निकट हो।
SIR और Annual Revision में अंतर:
Annual Revision नियमित रूप से हर वर्ष होता है।
SIR विशेष परिस्थिति में, विशेष रूप से बड़ी गड़बड़ियों को ठीक करने के लिए किया जाता है।
अन्य जानकारी:-
यह प्रक्रिया भारत केRepresentation of the People Act, 1950 औरRegistration of Electors Rules, 1960 के तहत होती है।
ECI के निर्देशों पर राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) इसे लागू करते हैं।
प्रश्न :-. भारत निर्वाचन आयोग किस अनुच्छेद के अंतर्गत स्थापित किया गया है ?