(प्रारंभिक परीक्षा: सरकारी योजनाएं एवं कार्यक्रम) |
संदर्भ
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 15वें वित्त आयोग चक्र (FCC) (2021-22 से 2025-26) के दौरान चल रही केंद्रीय क्षेत्र योजना ‘प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना’ (PMKSY) के लिए 1920 करोड़ रुपए के अतिरिक्त परिव्यय सहित कुल 6520 करोड़ रुपए के परिव्यय को स्वीकृति दी है।
प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (PMKSY) के बारे में
- परिचय : यह एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है जिसका पूरा नाम ‘कृषि-समुद्री प्रसंस्करण एवं कृषि-प्रसंस्करण समूहों का विकास’ (SAMPADA) है।
- प्रारंभ : भारत सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को बढ़ावा देने और किसानों की आय दोगुनी करने के लिए वर्ष 2017 में शुरू की थी।
- उद्देश्य : इसका उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण अवसंरचना को मजबूत करना, आपूर्ति श्रृंखला को सुधारना और किसानों को बेहतर मूल्य प्रदान करना है।
- यह योजना आत्मनिर्भर भारत अभियान का हिस्सा है जो कृषि उपज के अपव्यय को कम करने और रोजगार सृजन पर केंद्रित है।
- लक्ष्य :
- खाद्य प्रसंस्करण और संरक्षण क्षमता का निर्माण व विस्तार
- कृषि उपज के अपव्यय को कम करना और मूल्य संवर्धन को बढ़ावा देना
- किसानों की आय बढ़ाने के लिए बैकवर्ड और फॉरवर्ड लिंकेज सुनिश्चित करना
- 20 लाख किसानों को लाभ पहुँचाना और 5,30,500 प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित करना
- खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता आश्वासन को मजबूत करना
प्रमुख विशेषताएँ
- मेगा फूड पार्क : बड़े पैमाने पर खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के लिए एकीकृत सुविधाएँ
- एकीकृत कोल्ड चेन और मूल्य संवर्धन अवसंरचना : नाशपत्ती की उपज को संरक्षित करने के लिए कोल्ड स्टोरेज एवं परिवहन
- कृषि-प्रसंस्करण समूह : क्लस्टर-आधारित प्रसंस्करण इकाइयों का विकास
- बैकवर्ड और फॉरवर्ड लिंकेज : कच्चे माल की आपूर्ति और बाजार तक पहुँच सुनिश्चित करना
- खाद्य सुरक्षा एवं गुणवत्ता आश्वासन : प्रयोगशालाओं एवं गुणवत्ता नियंत्रण इकाइयों की स्थापना
- मानव संसाधन विकास : प्रशिक्षण एवं कौशल विकास कार्यक्रम
- PMFME (सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन) : सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को औपचारिक बनाने और तकनीकी सहायता प्रदान करने की उप-योजना
अभी तक की सफलता
- आर्थिक प्रभाव: नाबार्ड के 2020 के अध्ययन के अनुसार, इस योजना के तहत परियोजनाओं से फार्म-गेट कीमतों में 12.38% की वृद्धि
- रोजगार सृजन: 2019-20 तक 5,30,500 प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने की संभावना
- परियोजनाएँ : 41 मेगा फूड पार्क, 353 कोल्ड चेन परियोजनाएँ और 321 कृषि-प्रसंस्करण इकाइयों की स्वीकृत
- किसान लाभ : प्रत्येक परियोजना से औसतन 9,500 किसानों को लाभ
- PMFME के तहत : 2 लाख सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को सहायता से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार में वृद्धि
- खाद्य प्रसंस्करण क्षमता में 334 लाख मीट्रिक टन की वृद्धि।
चुनौतियाँ
- अपर्याप्त अवसंरचना : ग्रामीण क्षेत्रों में कोल्ड चेन और भंडारण सुविधाओं की कमी
- वित्तीय बाधाएँ : छोटे एवं सूक्ष्म उद्यमों के लिए ऋण व सब्सिडी तक पहुँच में कठिनाई
- जागरूकता की कमी : किसानों एवं छोटे उद्यमियों में योजना के लाभों की जानकारी का अभाव
- उच्च परिचालन लागत : ऊर्जा एवं परिवहन लागत के कारण प्रसंस्करण इकाइयों की लाभप्रदता पर प्रभाव
- बाजार लिंकेज : प्रसंस्कृत उत्पादों के लिए घरेलू एवं अंतर्कराष्ट्रीय बाजार तक सीमित पहुँच
- जलवायु जोखिम : मौसम परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं से कच्चे माल की उपलब्धता पर प्रभाव
आगे की राह
- अवसंरचना विस्तार : ग्रामीण क्षेत्रों में कोल्ड चेन और भंडारण सुविधाओं का विकास
- डिजिटल एकीकरण : बाजार लिंकेज के लिए ई-कॉमर्स व डिजिटल प्लेटफॉर्म का प्रयोग
- कौशल विकास : खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में युवाओं व महिलाओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम
- निर्यात प्रोत्साहन : प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के लिए वैश्विक बाजारों में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाना
- सतत प्रथाएँ : पर्यावरण-अनुकूल प्रसंस्करण तकनीकों को अपनाना
- वित्तीय समर्थन : सूक्ष्म उद्यमों के लिए आसान ऋण और सब्सिडी योजनाएँ
- जागरूकता अभियान : योजना के लाभों को किसानों और उद्यमियों तक पहुँचाने के लिए प्रचार