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AUKUS समझौता 

प्रारम्भिक परीक्षा: AUKUS, हिन्द प्रशांत क्षेत्र के देश
मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र:2द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।

संदर्भ 

  • हाल ही में,  ऑस्ट्रेलिया ने त्रिपक्षीय रक्षा समझौते ‘ऑकस’ (AUKUS) के तहत पांच अमेरिकी परमाणु-संचालित पनडुब्बियों को खरीदने की घोषणा की है। 

महत्त्वपूर्ण बिन्दु 

  • इसके अंतर्गत अमेरिका और ब्रिटेन द्वारा निर्मित परमाणु ऊर्जा से संचालित पनडुब्बियों को ऑस्ट्रेलिया को सौपा जाएगा। 
  • इस समझौते को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

समझौते की विशेषता

  • क्वाड  की धारणा के विपरीत यह गठबंधन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्पष्ट रूप से घोषित सैन्य गठबंधन है।
  • इस समझौते का प्रमुख उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भागीदारों के रणनीतिक हितों की रक्षा करना है। उल्लेखनीय है कि इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती गतिविधियाँ वैश्विक समुदाय के लिये चिंता का विषय हैं।
  • यह समझौता ऑस्ट्रेलिया एवं चीन के संबंधों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करेगा, जो पहले से ही कठिन दौर से गुजर रहे हैं। ध्यातव्य है कि चीन ऑस्ट्रेलिया के सबसे बड़े व्यापारिक भागीदारों में से एक है। वर्तमान में दोनों देशों के मध्य लगभग 200 बिलियन डॉलर का व्यापार होता है।

महत्त्व 

  • यह कदम इंडो-पैसिफिक में स्थिरता को बढ़ावा देगा और साझा मूल्यों और हितों का समर्थन करेगा।
  • यह एक शांतिपूर्ण और नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था सुनिश्चित करेगा।

परमाणु ऊर्जा सम्पन्न पनडुब्बी का महत्त्व 

  • परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों को लंबी अवधि के लिए तैनात किया जा सकता है और कम बार सतह पर आने की जरूरत होती है। 

समझौते के प्रति चीन का दृष्टिकोण

  • चीन ने इस समझौते के प्रति चिंता व्यक्त की है। उसका मानना है कि इस प्रकार के समझौते उसे केंद्र में रखकर तथा उसके हितों को प्रभावित करने के लिये किये जा रहे हैं।
  • चीन ने ऐसे समझौतों को क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता के लिये खतरा तथा हथियारों की होड़ को बढ़ावा देने वाला माना है।
  • गौरतलब है कि चीन के पास परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियाँ हैं। इनमें परमाणु मिसाइलों को भी लॉन्च करने की क्षमता है। ‘ऑकस’ समझौते के अंतर्गत ऑस्ट्रेलिया को परमाणु ऊर्जा से संचालित पनडुब्बियाँ प्राप्त होने के बाद हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उसकी नौसैनिक क्षमता में वृद्धि होगी।

भारत पर प्रभाव 

  • हालांकि भारत AUKUS समूह का सदस्य नहीं है  AUKUS के प्रति कथित उदासीनता के बावजूद, भारत AUKUS व्यवस्था से लाभ प्राप्त कर सकता है
    • जैसे चीन द्वारा 'घेरे की नीति' के संबंध में भारत की चिंताओं को AUKUS द्वारा आंशिक रूप से कम किया जा सकता है।
  • हालांकि बात की आशंका है कि इस सौदे से अंततः पूर्वी हिंद महासागर में परमाणु हमला करने वाली पनडुब्बियों की भीड़ हो सकती है, जिससे भारत की क्षेत्रीय श्रेष्ठता का क्षरण हो सकता है।

भारत में परमाणु संचालित पनडुब्बी

  • भारत विश्व के उन छह देशों में शामिल है, जिनके पास परमाणु संचालित पनडुब्बियाँ हैं। इसके अतिरिक्त अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, फ्रांस तथा चीन के पास भी ऐसी पनडुब्बियाँ हैं।
  • भारत ने वर्ष 1987 में सोवियत संघ से k-43 चार्ली क्लास परमाणु स्वचालित पनडुब्बी प्राप्त की थी। भारतीय नौसेना में इसे आईएनएस चक्र नाम दिया गया। इसने वर्ष 1991 तक भारतीय नौसेना को अपनी सेवाएँ दी थी।
  • भारत ने रूस से वर्ष 2012 में एक और परमाणु संचालित पनडुब्बी को लीज़ पर लिया था। इसे नौसेना में आईएनएस चक्र 2 नाम दिया गया।
  • आईएनएस अरिहंत परमाणु शक्ति चालित भारत की प्रथम पनडुब्बी है। इसका जलावतरण जुलाई 2009 में किया गया था। वर्ष 2018 में परमाणु हथियार लॉन्च करने की क्षमता का प्रदर्शन करने के बाद इसे रणनीतिक सहायक नयूक्लियर सबमरीन के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • आईएनएस अरिहंत भारत के परमाणु त्रय को पूरा करती है अर्थात देश को ज़मीन, विमान और पनडुब्बी से परमाणु मिसाइलों को लॉन्च करने की क्षमता प्राप्त है।
  • आईएनएस अरिहंत श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी आईएनएस अरिघात को भी जल्द ही नौसेना में शामिल किये जाने की संभावना है।
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