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ओडिशा में एसटी द्वारा गैर-आदिवासियों को भूमि हस्तांतरण पर रोक

प्रारंभिक परीक्षा- समसामयिकी, जनजातीय सलाहकार परिषद
मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन, पेपर-2

संदर्भ-

  • ओडिशा कैबिनेट द्वारा अनुसूचित जनजातियों को अपनी जमीन गैर-आदिवासियों को हस्तांतरित करने की अनुमति देने वाले एक नियम में संशोधन करने के फैसले के विरोध के कारण सरकार ने 17 नवंबर 2023 को इसे रोक दिया।

मुख्य बिंदु-

  • ओडिशा सरकार ने 14 नवंबर,2023 को संशोधन उड़ीसा अनुसूचित क्षेत्र अचल संपत्ति हस्तांतरण (अनुसूचित जनजातियों द्वारा) विनियमन, 1956 के विनियमन -2 में संशोधन किया था, जिसके अंतर्गत-
    1. एसटी समुदाय के लोगों को उप-कलेक्टर के लिखित आदेश के बाद अपनी अचल संपत्तियों को गैर-आदिवासियों को हस्तांतरित करने की अनुमति दी गई थी। 
    2. संशोधन में एसटी को कृषि के अलावा अन्य उद्देश्य से भी किसी भी सार्वजनिक वित्तीय संस्थान के पास भूमि गिरवी रखने की भी अनुमति दी गई थी। 
  • ओडिशा सरकार ने 1956 के विनियमन -2 में प्रस्तावित संशोधन को रोक दिया गया है।
  • वर्ष,2002 में विनियमन में संशोधन किया गया था, तो आदिवासियों को केवल अन्य आदिवासियों को ही अचल संपत्ति बेचने की अनुमति दी गई थी। इस संशोधन में उन्हें केवल कृषि उद्देश्यों के लिए अपनी ज़मीनें गिरवी रखने की अनुमति थी।
  • राज्य की 22% से अधिक आबादी आदिवासियों की है।
  • उड़ीसा अनुसूचित क्षेत्र अचल संपत्ति हस्तांतरण (अनुसूचित जनजातियों द्वारा) विनियमन, 1956 पर कोई भी निर्णय लेने का अधिकार केवल भारत के राष्ट्रपति को है, मंत्रिमंडल को नहीं।

ओडिशा में पूर्व के विरोध प्रदर्शन-

  •  दिसंबर, 2000 को रायगढ़ा के माईकांच में बॉक्साइट खनन और हिंडाल्को की सहायक कंपनी उत्कल एल्यूमिना इंटरनेशनल लिमिटेड की एल्यूमिना रिफाइनरी के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन।
  • जनवरी 2006 को जाजपुर के कालीनगर में टाटा स्टील प्लांट परियोजना के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन।
  • 2013 में स्थानीय लोगों के विरोध के कारण भूमि अधिग्रहण में देरी के बाद आर्सेलर-मित्तल को आदिवासी बहुल क्योंझर में अपने इस्पात संयंत्र परियोजना को रद्द करना पड़ा।
  • कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी) डोंगरिया कोंध के विरोध के बाद वेदांत को नियमगिरि पहाड़ियों में अपनी बॉक्साइट खनन परियोजना को वापस लेना पड़ा।

जनजातीय सलाहकार परिषद (टीएसी)-

  • जनजाति सलाहकार परिषदों का गठन अनुसूचित क्षेत्र वाले राज्यों यानी आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान और गैर अनुसूचित क्षेत्र वाले राज्यों तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में किया गया है। 
  • जनजाति सलाहकार परिषद के संबंध में संविधान की पांचवीं अनुसूची के पैरा 4 (1) में प्रावधान किया गया है कि "अनुसूचित क्षेत्रों वाले प्रत्येक राज्य में इसकी स्थापना की जाएगी और यदि राष्ट्रपति निर्देश देते हैं, तो अनुसूचित जनजाति वाले किसी भी राज्य में भी इसकी स्थापना की जाएगी।" लेकिन उसमें अनुसूचित क्षेत्र नहीं। 
  • पांचवीं अनुसूची के पैरा 4 के खंड (2) के अनुसार, जनजाति सलाहकार परिषद का यह कर्तव्य होगा कि वह राज्य में अनुसूचित जनजातियों के कल्याण और उन्नति से संबंधित ऐसे मामलों पर गर्वनर को सलाह दे, जो उन्हें संदर्भित किए जाएं। 
  • जनजातीय सलाहकार परिषद (टीएसी) की अध्यक्षता मुख्यमंत्री करते हैं और इसमें विभिन्न राजनीतिक दलों के सदस्य शामिल होते हैं।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न- हाल ही में ओडिशा सरकार द्वारा ‘उड़ीसा अनुसूचित क्षेत्र अचल संपत्ति हस्तांतरण (अनुसूचित जनजातियों द्वारा) विनियमन, 1956’ में संशोधन कर क्या प्रस्तावित किया गया था?

  1. एसटी समुदाय के लोग अपनी अचल संपत्तियों को गैर-आदिवासियों को बेच सकते हैं।
  2. एसटी समुदाय के लोग कृषि उद्देश्यों के लिए अपनी ज़मीनें गिरवी रख सकते हैं।
  3. एसटी समुदाय के लोग किसी भी सार्वजनिक वित्तीय संस्थान के पास भूमि गिरवी रख सकते हैं।

उपर्युक्त में से कितना/कितने कथन सही है/हैं?

(a) केवल एक

(b) केवल दो

(c) सभी तीनों

(d) कोई नहीं

उत्तर- (c)

मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न- जनजातीय सलाहकार परिषद को स्पष्ट करते हुए जनजातीयों के कल्याण के उपाय बताएं।

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