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पर्यावरणीय DNA (e DNA) 

प्रारम्भिक परीक्षा – पर्यावरणीय DNA (e DNA)
मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-3 

चर्चा में क्यों

हैदराबाद में स्थित CSIR -सेलुलर और आणविक जीवविज्ञान केंद्र CSIR-Centre for Cellular and Molecular Biology : CCMB), के शोधकर्ताओं ने पर्यावरण में पाए जाने वाले डीएनए टुकड़ों को अनुक्रमित/इकठ्ठा करके किसी भी पारिस्थितिकी तंत्र की कुल जैव विविधता का आकलन करने के लिए एक नई विधि विकसित की है।

e-DNA

प्रमुख बिंदु 

  • यह नई विधि लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण के लिए प्रयोगशाला (LaCONES) में पर्यावरणीय डीएनए का उपयोग करके, पारिस्थितिकी तंत्र में सभी जीवों की जैव विविधता को मापने के लिए एक नई विधि विकसित की गई है। 
  • यह नई विधि पानी, मिट्टी या हवा जैसे पर्यावरणीय नमूनों में पाए गए डीएनए टुकड़ों को अनुक्रमित करके किसी भी पारिस्थितिकी तंत्र की कुल जैव विविधता का आकलन करने की एक गैर-आक्रामक विधि (Non-invasive Method है।

लाभ 

  • इस विधि से बिना किसी प्रत्यक्ष कैप्चर या प्रजातियों की गिनती के बस कुछ लीटर पानी के नमूने से ही सभी प्रकार के जीवों जैसे- वायरस, बैक्टीरिया, आर्किया और यूकेरियोट्स जैसे- कवक, पौधे, कीड़े, पक्षी, मछलियां और अन्य जानवर के DNA आदि का पता लगाया जा सकता है। 
  • यह विधि विभिन्न आवासों में रहने वाले जीवों का सर्वेक्षण करने और समय के साथ उनके परिवर्तनों को ट्रैक करने में भी सहायक है। 

महत्व

  • यह नई विधि पारिस्थितिकी तंत्र में रहने वाले सभी सूक्ष्मजीवों और गैर-सूक्ष्मजीवों के कुल प्रजातियों की विविधता का अनुमान लगा सकती हैं। 
  • फ्री-फ्लोटिंग पर्यावरणीय डीएनए (ईडीएनए) में एन्कोड की गई आनुवंशिक जानकारी को निकालने और पढ़ने के लिए एक लसीका और पीसीआर-मुक्त आणविक दृष्टिकोण विकसित किया गया है। 
  • यह विधि अंतरिक्ष और समय में जैव विविधता में होने वाले परिवर्तनों की निगरानी करने में भी मदद कर सकती है। 

eDNA

  • यह एक ऐसा डीएनए है जो सभी जीवों द्वारा उनके जीवनकाल के दौरान या मृत्यु के बाद प्राकृतिक प्रक्रियाओं के माध्यम से उनके परिवेश में छोड़ा जाता/मौजूद रहता है।
  • इस नई पद्धति में, शोधकर्ता पर्यावरणीय नमूनों के स्रोत की पहचान के लिए ईडीएनए को फ़िल्टर करके उनके अनुक्रमों को पढ़ते/जांच करते हैं।
  • ओडिशा के चिल्का लैगून के अत्यधिक जैव विविधता वाले आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र में इस पद्धति का परीक्षण किया।
  • यह नई विधि मौसमी नमूनों के लगभग 10 अरब से अधिक अनुक्रमों की तुलना करके, जीव एवं वृक्षों के DNA का पता लगाने में सक्षम है। 
  • चिल्का लैगून में लगभग 1,071 प्रजातियों (वृक्ष एवं जीव) के DNA होने की सम्भावन व्यक्त की गई है। 
  • इसमें से यूकेरियोट्स के लगभग 799, बैक्टीरिया के 230, आर्किया के 27 और वायरस के 13 DNA होने की सम्भावन व्यक्त की गई है।

DNA

dna

  • DNA को डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (Deoxyribonucleic Acid) के नाम से जाना जाता है। यह एक कार्बनिक यौगिक है जिसमें एक अद्वितीय आणविक संरचना पाई जाती है। 
  • यह अणुओं का एक समूह होता है, जो माता-पिता से संतानों तक वंशानुगत सामग्री या आनुवंशिक निर्देशों को ले जाने और प्रसारित करने का कार्य करता है।
  • यह सभी प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं और यूकेरियोटिक कोशिकाओं में पाया जाता है। 
  • DNA की खोज सर्वप्रथम वर्ष 1869 में स्विस जीवविज्ञानी जोहान्स फ्रेडरिक मिशर ने श्वेत रक्त कोशिकाओं में की थी।
  • डीएनए अणु की डबल हेलिक्स संरचना की खोज जेम्स वॉटसन और फ्रांसिस क्रिक द्वारा किया गया। 

प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न : हैदराबाद में स्थित CSIR -सेलुलर और आणविक जीवविज्ञान केंद्र के शोधकर्ताओं ने पारिस्थितिकी तंत्र की कुल जैव विविधता का आकलन करने के लिए किस  नई विधि को विकसित किया है?

1.RNA की नई तकनीक eRNA

2. DNA की नई तकनीक eDNA

उपर्युक्त में से कौन-सा सही है ?

(a) केवल 1  

(b) केवल 2

(c) 1 और 2

(d) न तो 1 न तो 2 

उत्तर: (b)

मुख्य परीक्षा प्रश्न : eDNA क्या है ? इसके पारिस्थितिकी महत्व की व्याख्या कीजिए।

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