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2027 से एटीएफ में टिकाऊ विमानन ईंधन के मिश्रण के लिए सांकेतिक लक्ष्य

प्रारंभिक परीक्षा- समसामयिकी, NBCC, ATF, SAF, CORSIA
मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन, पेपर-3

संदर्भ-

  • राष्ट्रीय जैव ईंधन समन्वय समिति (NBCC) ने विमानन टरबाइन ईंधन (ATF) के साथ मिलकर टिकाऊ विमानन ईंधन (SAF) के मिश्रण के लिए प्रारंभिक सांकेतिक लक्ष्य निर्धारित किया है, जो अनिवार्य मिश्रण के अंतिम कार्यान्वयन के लिए मंच तैयार करेगा।

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मुख्य बिंदु-

  • यह निर्णय अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) की कार्बन ऑफसेटिंग एंड रिडक्शन स्कीम फॉर इंटरनेशनल एविएशन (CORSIA) के अनिवार्य चरण के अनुरूप है, जो 2027 से प्रभावी होगा।
  • अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों पर लागू होने वाले CORSIA को 2020 के स्तर से परे कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में किसी भी वृद्धि की भरपाई के लिए वैश्विक स्तर पर इस प्रकार के एयरलाइनों की आवश्यकता होगी।
  • SAF के साथ मिश्रित जेट ईंधन का उपयोग उन तरीकों में से एक है जिसके माध्यम से वाहक अपने उत्सर्जन को अनुमेय स्तर के तहत रख सकते हैं। 
  • भारत हालांकि CORSIA के स्वैच्छिक चरणों में भागीदार नहीं है, किंतु उसे 2027 से शुरू होने वाले अनिवार्य चरण का पालन करना होगा। 
  • पेट्रोलियम मंत्रालय के अनुसार, हितधारकों से प्राप्त सुझावों के आधार पर देश में आने वाले स्थायी विमानन ईंधन संयंत्रों की क्षमता और अनुमानित ATF बिक्री, ATF में SAF के मिश्रण को प्रारंभ में निम्नलिखित प्रकार से मंजूरी दी गई है-
    1. प्रारंभ में वर्ष,2027 से अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए 1% SAF के सांकेतिक सम्मिश्रण का लक्ष्य। 
    2. वर्ष,2028 के शुरुआत में अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए 2% SAF के मिश्रण का लक्ष्य।

अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO)-

  • ICAO संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है, जिसकी स्थापना 1947 में की गई। 
  • यह अंतरराष्ट्रीय हवाई नेविगेशन के सिद्धांतों और तकनीकों का समन्वय करती है। 
  • यह सुरक्षित और व्यवस्थित विकास सुनिश्चित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय हवाई परिवहन की योजना और विकास को बढ़ावा देती है।
  • इसका मुख्यालय क्यूबेक, कनाडा में स्थित है।

अंतर्राष्ट्रीय विमानन के लिए कार्बन ऑफसेटिंग और न्यूनीकरण योजना (CORSIA) -

  • CORSIA एक वैश्विक बाजार-आधारित उपाय है, जिसे अंतर्राष्ट्रीय विमानन में CO2 उत्सर्जन की भरपाई के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • CORSIA घरेलू विमानन पर लागू नहीं होता है।
  • हवाई जहाज ऑपरेटरों द्वारा वैश्विक कार्बन बाजार से उत्सर्जन इकाइयों के अधिग्रहण और रद्दीकरण के माध्यम से CO2 उत्सर्जन की भरपाई हासिल की जाती है।
  • वर्ष.2018 में ICAO ने अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन पर कन्वेंशन के तहत CORSIA को लागू करने के लिए मानकों और अनुशंसित प्रथाओं (SARPs) को अपनाया।

राष्ट्रीय जैव ईंधन समन्वय समिति (NBCC)-

  • NBCC देश के महत्वाकांक्षी जैव ईंधन कार्यक्रम के समन्वय, कार्यान्वयन और निगरानी के लिए पेट्रोलियम मंत्री की अध्यक्षता में एक अंतर-मंत्रालयी पैनल है। 
  • पैनल में एक दर्जन से अधिक केंद्रीय मंत्रालयों के प्रतिनिधि शामिल हैं। 
  • पेट्रोलियम मंत्रालय के अनुसार, SAF निर्णय के हितधारकों में नागरिक उड्डयन मंत्रालय, सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) और नीति आयोग समेत अन्य शामिल हैं। 

टिकाऊ विमानन ईंधन (SAF)-

  • SAF एक ईंधन है जो टिकाऊ फीडस्टॉक से उत्पन्न होता है और इसमें पारंपरिक ATF या जेट ईंधन के समान रसायन होता है, जो कच्चे तेल से प्राप्त होता है। 
  • SAF का कार्बन फुटप्रिंट ATF से काफी कम है। 
  • SAF पर पेट्रोलियम मंत्रालय द्वारा गठित एक समिति ने कुछ महीने पहले सरकार को अपनी सिफारिशें सौंपी थीं।
  • पैनल ने 2025 से 1 प्रतिशत के प्रारंभिक एसएएफ SAF सम्मिश्रण जनादेश की सिफारिश की थी और बाद के वर्षों में इसे बढ़ाया जाना था।   
  • निजी क्षेत्र तेल विपणन कंपनियों की भागीदारी के साथ 1 प्रतिशत को एक मानक बना सकते हैं। 
  • इसके बाद फीडस्टॉक उपलब्धता के आधार पर इसे 4-5 प्रतिशत तक ले जा सकते हैं। 
  • SAF के इस तरह विकास से कृषि क्षेत्र को भी पर्याप्त लाभ होगा।
  • वर्तमान SAF उत्पादन-मौजूदा और भविष्य के कैलेंडर के आधार पर किया जा रहा है। 
  • यदि भारत जेट ईंधन में 1 प्रतिशत SAF मिश्रण का लक्ष्य रखता है, तो उसे प्रति वर्ष 14 करोड़ लीटर SAF की आवश्यकता होगी। 
  • 5 प्रतिशत SAF मिश्रण के लिए 70 करोड़ लीटर की आवश्यकता होगी।

SAF उत्पादन इकाई-

  • भारत की सबसे बड़ी तेल विपणन कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) SAF उत्पादन इकाई स्थापित करने के लिए प्राज इंडस्ट्रीज के साथ मिलकर कार्य कर रही है। 
  • IOC टिकाऊ ईंधन प्रौद्योगिकी कंपनी LanzaJet के साथ मिलकर पानीपत रिफाइनरी में एक SAF इकाई स्थापित कर रही है। 
  • उपर्युक्त दोनों इकाईयां अल्कोहल-टू-जेट ईंधन (एटीजे) पर आधारित होंगी, जो टिकाऊ ईंधन का उत्पादन करने के लिए उपलब्ध विभिन्न आधारों में से एक है। 
  • तेल और प्राकृतिक गैस निगम की सहायक कंपनी मैंगलोर रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल्स भी CSIR-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान की तकनीक पर आधारित एक SAF इकाई बनाने की योजना बना रही है, जो गैर-खाद्य तेलों और फीडस्टॉक के रूप में खाना पकाने के तेल का उपयोग करेगी।

आगे की राह-

  • भारत सरकार भारतीय कैरियर्स के लिए SAF सम्मिश्रण अधिदेशों की घोषणा करने की दिशा में आगे बढ़ रही है, किंतु SAF के निर्माण के लिए अत्यधिक प्रौद्योगिकी और उत्पादन लागत एयरलाइंस के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है।
  • सरकार को किफायती ईंधन बनाने के लिए एयरलाइंस और SAF निर्माताओं के लिए कोई समर्थन या प्रोत्साहन पेश करनी होगी। 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न- टिकाऊ विमानन ईंधन (SAF) के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।

  1. SAF एक ईंधन है, जो कच्चे तेल से प्राप्त होता है।
  2. SAF का कार्बन फुटप्रिंट ATF से अधिक है। 
  3. इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन पानीपत रिफाइनरी में एक SAF इकाई स्थापित कर रही है। 

नीचे दिए गए कूट की सहायता से सही उत्तर का चयन कीजिए।

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 2 और 3

(c) केवल 1 और 3

(d) 1, 2 और 3

उत्तर- (c)

मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न- टिकाऊ विमानन ईंधन के बारे में चर्चा करते हुए स्पष्ट करें कि यह विमानन क्षेत्र में CO2 को कम करने में किस प्रकार सहयोगी होगा?

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