New
UPSC GS Foundation (Prelims + Mains) Batch | Starting from : 20 May 2024, 11:30 AM | Call: 9555124124

इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क

प्रारंभिक परीक्षा: अंतरराष्ट्रीय महत्व की वर्तमान घटनाएं
मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2: भारत से जुड़े द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह, भारत के लिए इंडो-पैसिफिक का महत्व आदि।

संदर्भ:

  • अमेरिका के डेट्रॉयट में आईपीईएफ़ देशों की दूसरी मंत्रीस्तरीय बैठक हुई जिसमें भारत की ओर से वाणिज्य मंत्री ने वर्चुअली हिस्सा लिया

ipef

उद्देश्य:

  • इस समझौते का उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों का आपस में सप्लाई चेन बनाना और चीन पर अपनी निर्भरता कम करने और भविष्य की आपूर्ति श्रृंखला संकटों को दूर का प्रयास है।
  • इस समझौते में सूचना साझा करना और संकट के समय साथ में उस पर काम करना भी शामिल है

इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क: 

  • इसमें  संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस) और भारत सहित इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (IPEF) में 14 भागीदार देश शामिल हैं।  
  • आईपीईएफ़ का पूरा नाम इंडो-पैसिफ़िक इकोनॉमिक फ़्रेमवर्क फ़ॉर प्रोस्पेरिटी है। 
  • इसे मई 2022 में अमेरिका की पहल पर शुरू किया गया था। एक तरह से ये अमेरिका की मेज़बानी में बना समूह है।
  • इस फ़्रेमवर्क का उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र की अर्थव्यवस्थाओं के बीच लचीलापन, स्थिरता, समावेशिता, आर्थिक विकास और निष्पक्षता स्थापित करना है।
  • आईपीईएफ़ के 14 साझीदार देश पूरी दुनिया की कुल अर्थव्यवस्था का 40 फ़ीसदी हैं और वैश्विक वस्तुओं और सेवाओं के व्यापार का 28 फ़ीसदी इन्हीं देशों में होता है।
  • अमेरिका और भारत के अलावा आईपीईएफ़ में ऑस्ट्रेलिया, ब्रूनेई, फ़िजी, इंडोनेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, न्यूज़ीलैंड, फ़िलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं।
  • इस फ़्रेमवर्क को चीन के हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ते दबदबे और वैश्विक व्यापार में उसकी भूमिका को सीमित करने के लिए अमेरिका लेकर आया है।

इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क  अन्य व्यापार समझौतों से कैसे अलग है?

  • यह एक व्यापार समझौता नहीं है और कई स्तंभों का प्रावधान सदस्यों को चुनने का विकल्प प्रदान करता है कि वे किसका हिस्सा बनना चाहते हैं।
  • इसमें सिर्फ शामिल होने या न होने में से एक चुनने का विकल्प नहीं है , जैसा कि अधिकांश बहुपक्षीय व्यापार सौदे में होता है।
  • चूंकि आईपीईएफ एक नियमित व्यापार समझौता नहीं है, सदस्य अब तक हस्ताक्षरकर्ता होने के बावजूद सभी चार स्तंभों को मानने के लिए बाध्य नहीं हैं।
  • इसलिए, व्यवस्था के ‘व्यापार भाग’ से दूर रहते हुए, भारत बहुपक्षीय व्यवस्था के अन्य तीन स्तंभों – ‘आपूर्ति श्रृंखला’, ‘कर और भ्रष्टाचार-विरोधी’ और ‘स्वच्छ ऊर्जा’ में शामिल हो गया है।

भारत-प्रशांत क्षेत्र के लिए भारत का दृष्टिकोण क्या है?

  • इस क्षेत्र में भारत का व्यापार तेजी से बढ़ रहा है, विदेशी निवेश पूर्व की ओर से हो रहे हैं, उदाहरण के लिए, जापान, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर के साथ व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते, और आसियान (दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संघ) और थाईलैंड के साथ मुक्त व्यापार समझौते हुए हैं।
  • भारत एक स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक का बड़ा खिलाड़ी बन रहा है, जिसे अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और आसियान के सदस्यों द्वारा कई बार व्यक्त किया जाता रहा है।
  • भारत, अपने क्वाड भागीदारों के साथ , इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपनी भूमिका बढ़ा रहा है।
  • भारत का उद्देश्य भारत-प्रशांत क्षेत्र में अन्य समान विचारधारा वाले देशों के साथ काम करना है ताकि एक बहुध्रुवीय क्षेत्रीय व्यवस्था को स्थापित किया जा सके और किसी एक शक्ति को इस क्षेत्र में या इसके जलमार्गों पर नियन्त्रण स्थापित करने से रोका जा सके।
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR