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जोशीमठ में भू-धंसाव

प्रारंभिक परीक्षा – जोशीमठ, भूस्खलन
मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 1 – महत्त्वपूर्ण भू-भौतिकीय घटनाएँ

सन्दर्भ 

  • हाल ही में बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब की यात्रा के एक प्रमुख पारगमन बिंदु जोशीमठ में सड़क तथा भूमि धंसने तथा घरों में दरार आने की घटनाएँ सामने आई हैं।  

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भू-धंसाव के कारण 

  • 1976 की एक रिपोर्ट (मिश्रा आयोग) में पाया गया था कि जोशीमठ एक प्राचीन भूस्खलन स्थल पर स्थित है ।
    • क्षेत्र में बिखरी हुई चट्टानें पुराने भूस्खलन के मलबे से ढकी हुई हैं, जिनमें बोल्डर, नीस चट्टानें (अत्यधिक अपक्षयित), और ढीली मिट्टी होने के कारण इनकी वहन क्षमता कम होती है।
  • पिछले कुछ दशकों में निर्माण में वृद्धि, पनबिजली परियोजनाओं और राष्ट्रीय राजमार्गों के चौड़ीकरण ने ढलानों को अत्यधिक अस्थिर बना दिया है। 
  • विष्णुप्रयाग से लगातार बहने वाली जल धारायें और प्राकृतिक धाराओं के साथ पाई जाने वाली फिसलन अन्य प्रमुख कारणों में से एक है।
  • ऋषि गंगा नदी की बाढ़ तथा 2021 में अगस्त से अक्टूबर के बीच लगातार बारिश के कारण स्थिति और ज्यादा खराब हो गयी है।

आगे की राह 

  • जोशीमठ को इस आपदा से बचाने के लिए सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) जैसे सैन्य संगठनों की सहायता से सरकार और नागरिक निकायों के द्वारा एक समन्वित प्रयास करने की आवश्यकता है।
  • प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित करने की तत्काल आवश्यकता है तथा बदलते भौगोलिक कारकों को समायोजित करने के लिए नए सिरे से शहर की योजना बनाने की आवश्यकता है।
  • ड्रेनेज और सीवर योजना (अधिक से अधिक अपशिष्ट जल मिट्टी में रिस रहा है और इसे भीतर से ढीला कर रहा है) सबसे बड़े कारकों में से एक है जिसका अध्ययन और पुनर्विकास करने की आवश्यकता है।
  • पर्यावरण विशेषज्ञ इस क्षेत्र में विकास और पनबिजली परियोजनाओं को पूरी तरह से बंद करने की सलाह देते हैं।
  • इस क्षेत्र में, विशेष रूप से संवेदनशील स्थलों पर मिट्टी की क्षमता को बनाए रखने के लिए पुनर्रोपण की भी आवश्यकता है।
  • यहाँ पर्याप्त संख्या में राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) और राज्य डीआरएफ टीमों को तैनात किया जाना चाहिए और यदि आवश्यक हो तो हेलीकॉप्टर सुविधाएं भी प्रदान की जानी चाहिए।

जोशीमठ

  • जोशीमठ / ज्योतिर्मठ उत्तराखंड में चमोली जिले में 6150 फीट (1875 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित एक पहाड़ी शहर है।
  • जोशीमठ उच्च जोखिम वाले भूकंपीय क्षेत्र-V में शामिल है । 
  • यह कई हिमालय पर्वत चढ़ाई अभियानों, ट्रेकिंग ट्रेल्स (औली, फूलों की घाटी) तथा बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब जैसे तीर्थ केंद्रों का प्रवेश द्वार है।
  • जोशीमठ भारतीय सशस्त्र बलों के लिए भी बहुत सामरिक महत्व का है और सेना की सबसे महत्वपूर्ण छावनियों में से एक है।
  • यहाँ आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार प्रमुख मठों में से एक है – 
    • उत्तराखंड में बद्रीनाथ के पास जोशीमठ
    • कर्नाटक में शृंगेरी
    • गुजरात में द्वारका
    • ओडिशा में पुरी
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