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साइबर सुरक्षा और ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी पर बैठक

प्रारंभिक परीक्षा - समसामयिकी, I4C, NCRP, DIGITA, BULA, CFCFRMS
मुख्य परीक्षा – सामान्य अध्ययन, पेपर-3

संदर्भ-

  • वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग (DFC) के सचिव विवेक जोशी की अध्यक्षता में 28 नवंबर,2023 को वित्तीय सेवा क्षेत्र में साइबर सुरक्षा से संबंधित मुद्दों और हाल ही में ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी की बढ़ती घटनाओं पर चर्चा करने के लिए नई दिल्ली में एक बैठक संपन्न हुई।

cyber-security

मुख्य बिंदु-

  • यह बैठक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक यूको बैंक द्वारा हालिया 820 करोड़ रुपये के गलत धन हस्तांतरण से जुड़े मामले के सामने आने के बाद हुआ।
  • ऐसी दूसरी बैठक जनवरी,2024 के मध्य में होने की उम्मीद है।
  • इस बैठक में भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C), गृह मंत्रालय ने राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) में रिपोर्ट किए गए डिजिटल भुगतान धोखाधड़ी के नवीनतम आंकड़ों, इन वित्तीय धोखाधड़ी के विभिन्न स्रोतों, वित्तीय साइबर अपराधों का मुकाबला करने के लिए चुनौतियों सहित धोखेबाजों द्वारा अपनाई गई कार्यप्रणाली पर एक प्रस्तुति दी। 
  • भारतीय स्टेट बैंक  के प्रतिनिधियों ने एसबीआई द्वारा कार्यान्वित प्रोएक्टिव रिस्क मॉनिटरिंग (PRM) रणनीति पर एक संक्षिप्त प्रस्तुति दी। 
  • पेटीएम और रेज़रपे (Razorpay) के प्रतिनिधियों ने भी अपने बेहतर कार्यप्रणाली को प्रस्तुत किया, जिससे उन्हें इस तरह की धोखाधड़ी को कम करने में मदद मिली है।
  • डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म के माध्यम से रिपोर्ट किए गए साइबर अपराध/वित्तीय धोखाधड़ी में शामिल 70 लाख मोबाइल कनेक्शन अब तक काट दिए गए हैं।
  • इस कार्य से रु. 900 करोड़ की ठगी की रकम बचाई गई, जिससे 3.5 लाख पीड़ितों को फायदा हुआ।
  • सिम स्तर पर उपयोगकर्ताओं को ब्लॉक करने के अलावा, हितधारकों ने अंतर्राष्ट्रीय मोबाइल उपकरण पहचान (IMEI) नंबरों के माध्यम से डिवाइस स्तर पर उपयोगकर्ताओं को ब्लॉक किया।

चर्चा में शामिल मुद्दे-

  • वास्तविक समय पर नज़र रखने और धोखाधड़ी किए गए धन को रोकने के लिए पुलिस, बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के बीच सहज समन्वय की सुविधा पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित किया गया।
  • एनबीएफसी और प्रमुख सहकारी बैंकों सहित सभी वित्तीय संस्थानों को 'सिटीजन फाइनेंशियल साइबर फ्रॉड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम (CFCFRMS)' प्लेटफॉर्म पर लाना, जिसमें 259 वित्तीय मध्यस्थ पहले से ही शामिल हैं।
  • बैंकों द्वारा अवैध खातों के खतरे से निपटने की रणनीति तैयार करना होगा. अवैध खाते अक्सर उन खातों का आधार बनते हैं, जिनमें ऑनलाइन घोटाले के माध्यम से इकट्ठा किया गया पैसा जमा किया जाता है।
  • बैंक विभिन्न एजेंसियों से प्राप्त ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी पर अलर्ट से निपटने में त्वरित प्रतिक्रिया देने के समय में सुधार किया जाएगा।
  • कानून प्रवर्तन एजेंसियों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा क्षेत्रीय/राज्य स्तरीय नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी।
  • व्यापारियों की ऑनबोर्डिंग और केवाईसी के मानकीकरण की एक केंद्रीय रजिस्ट्री बनाना होगा।
  • प्रासंगिक हितधारकों के साथ परामर्श के माध्यम से डिजिटल ऋण देने वाले ऐप्स की श्वेत सूची बनाना होगा।
  • डिजिटल इंडिया ट्रस्ट एजेंसी (DIGITA) की स्थापना और एक नया कानून 'अनियंत्रित ऋण गतिविधियों पर प्रतिबंध (BULA) अधिनियम' लाने सहित डिजिटल ऋण कार्य समूह की सिफारिशों के कार्यान्वयन की स्थिति पर भी चर्चा हुई।
  • बैंकों और वित्तीय संस्थानों सहित सभी हितधारक डिजिटल भुगतान सुरक्षा पर अधिक ग्राहक जागरूकता और संवेदीकरण कार्यक्रम चलाएंगे।
  • बैठक में वित्तीय सेवा क्षेत्र में साइबर सुरक्षा से उत्पन्न चुनौतियों, डिजिटल भुगतान धोखाधड़ी की बढ़ती प्रवृत्ति से निपटने के लिए बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों की तैयारियों का जायजा लिया गया और ऐसे साइबर हमलों और धोखाधड़ी को कम करने के लिए एक केंद्रित दृष्टिकोण पर विचार-विमर्श किया गया। 
  • आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (एईपीएस) में होने वाली धोखाधड़ी को ध्यान में रखते हुए, राज्य सरकारों से कहा गया कि डेटा का वह हिस्सा जिसमें आधार बायोमेट्रिक्स का विवरण शामिल है, अपलोड नहीं किया जाना चाहिए। 

भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C )-

  • भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र ( I4C )  भारत में साइबर अपराध से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए एक सरकारी पहल है ।
  • यह भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अंतर्गत आता है।
  • इसे स्थापित करने की योजना को अक्टूबर 2018 में गृह मंत्रालय द्वारा अनुमोदित किया गया था । 
  • इसका उद्घाटन जनवरी 2020 में नई दिल्ली में भारत के गृह मंत्री अमित शाह द्वारा किया गया था । 
  • अक्टूबर 2023 में Google ने भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र के साथ काम करने के लिए भारतीय उपयोगकर्ताओं को ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचाने के लिए DigiKavach लॉन्च किया  

I4C के उद्देश्य-

  • देश में साइबर अपराध पर अंकुश लगाने के लिए एक नोडल बिंदु के रूप में कार्य करना।
  • महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले साइबर अपराध के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करना।
  • साइबर अपराध से संबंधित शिकायतों को आसानी से दर्ज करने और साइबर अपराध के रुझान और पैटर्न की पहचान करने की सुविधा प्रदान करना।
  • सक्रिय साइबर अपराध की रोकथाम और पता लगाने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए एक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के रूप में कार्य करना।
  • साइबर अपराध को रोकने के बारे में जनता के बीच जागरूकता पैदा करना।
  • साइबर फोरेंसिक, जांच, साइबर स्वच्छता, साइबर-अपराध विज्ञान आदि के क्षेत्र में पुलिस अधिकारियों, लोक अभियोजकों और न्यायिक अधिकारियों की क्षमता निर्माण में राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की सहायता करना।

राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP)-

  • I4C के तहत राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) 30.08.2019 को लॉन्च किया गया था। 
  • CCPWC योजना के तहत साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल का पुराना संस्करण केवल बाल अश्लीलता (सीपी)/बलात्कार या सामूहिक बलात्कार (आरजीआर) - यौन अपमानजनक सामग्री से संबंधित साइबर अपराध शिकायतें दर्ज करने में सक्षम था। 
  • पोर्टल का संशोधित संस्करण सभी प्रकार के साइबर अपराध की रिपोर्टिंग की अनुमति देता है। 
  • राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) 20 जनवरी 2020 को भारत के माननीय गृह मंत्री द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया गया था।

एनसीआरपी विशेषताएं-

  • सभी प्रकार की साइबर अपराध की घटनाओं की सूचना कहीं से भी दी जा सकती है।
  • ऑनलाइन बाल यौन शोषण सामग्री/बलात्कार-सामूहिक बलात्कार की घटनाओं की सामग्री रिपोर्टिंग पर विशेष ध्यान।
  • राष्ट्रीय/राज्य/जिला-स्तरीय निगरानी डैशबोर्ड।
  • शिकायतकर्ता के लिए ऑनलाइन स्थिति ट्रैकिंग सुविधा।
  • साइबर स्वयंसेवकों को साइबर जागरूकता प्रवर्तक के रूप में पंजीकृत किया गया।
  • पूर्वनिर्धारित सुविधाओं वाला एक स्वचालित चैटबॉट बनाया गया है और इसका नाम वाणी-साइबरडोस्ट चैटबॉट है जिसे एनसीआरपी पर तैनात किया गया है।
  • एक नया मॉड्यूल "नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली" विकसित किया गया है, जो 85 बैंकों/भुगतान मध्यस्थों और वॉलेट आदि को साइबर क्राइम बैकएंड पोर्टल से जोड़ता है। इससे नागरिकों को राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर 1930 पर साइबर वित्तीय धोखाधड़ी की रिपोर्ट करने में मदद मिलती है।
  • 1930 राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में चल रहा है।

नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली (CFCFRMS)-

  • साल 2021 में साइबर फ्रॉड रोकने के लिए CFCFRMS सिस्टम तैयार किया था, जो ऑनलाइन ठगी रोकने में बेहद कारगर साबित हुआ है।
  • इसे गृह मंत्रालय के साइबर क्राइम कॉर्डिनेशन सेंटर ने बनाया है, जो फ्रॉड को फाइनेंशियल सेक्टर में फैलने से रोकता है. 
  • वित्तीय धोखाधड़ी के जटिल विषय से निपटने के लिए, एक सामान्य एकीकृत मंच बनाना जरूरी है जहां सभी संबंधित हितधारक यानी कानून प्रवर्तन एजेंसियां ​​(एलईए), बैंक, आरबीआई, वित्तीय मध्यस्थ, भुगतान वॉलेट, एनपीसीआई इत्यादि मिलकर कार्य करती हैं।
  • यह सुनिश्चित करने के लिए कि निर्दोष नागरिकों से धोखेबाजों के पास भेजे गए धन के प्रवाह को रोकने के लिए त्वरित निर्णायक और सिस्टम-आधारित प्रभावी कार्रवाई की जाए। 
  • डिजिटल बैंकिंग/क्रेडिट/डेबिट कार्ड, भुगतान मध्यस्थों, यूपीआई आदि के उपयोग के कारण होने वाली वित्तीय साइबर धोखाधड़ी और मौद्रिक नुकसान की त्वरित रिपोर्टिंग के लिए नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली विकसित की गई है। 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न- भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।

  1. साइबर अपराध से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए एक सरकारी पहल है।
  2. यह भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आता है।

नीचे दिए गए कूट की सहायता से सही उत्तर का चयन कीजिए।

(a) केवल 1

(b) केवल 2

(c) 1 और 2 दोनों

(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर- (a)

मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न

प्रश्न- भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र की स्थापना का उद्देश्य बताएं। यह वित्तीय जालसाजी से निपटने में कितना सक्षम रहा है। समीक्षा कीजिए।

(स्रोत- PIB, गृह मंत्रालय)

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