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मैतेई समुदाय

प्रारम्भिक परीक्षा : मैतेई समुदाय
मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 - केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय।

संदर्भ 

  • हाल ही में, मणिपुर में बहुसंख्यक मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति श्रेणी में शामिल करने के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन की उग्र स्थिति को देखते हुए मणिपुर सरकार ने हिंसाग्रस्त इलाकों में देखते ही गोली मारने के आदेश जारी कर दिए। 

महत्त्वपूर्ण बिन्दु 

  • दरअसल मणिपुर उच्च न्यायालय ने मैतेई समुदाय को राज्य की अनुसूचित जनजातियों की श्रेणी में शामिल करने संबंधित याचिका पर निर्णय देते हुए कहा कि मणिपुर सरकार को मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करने पर विचार करना चाहिए। 
  • साथ ही हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को इसके लिए चार हफ्ते का समय दिया।
  • वर्तमान में इसी फैसले के विरोध में अन्य आदिवासी वर्गों (नगा और कुकी) द्वारा ‘आदिवासी एकता मार्च’ आयोजित किया गया।   
  • इस मार्च का नेतृत्व छात्रों के संगठन All Tribal Students’ Union of Manipur (ATSUM) ने किया। 
  • एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार, इस रैली में हजारों आंदोलनकारियों ने हिस्सा लिया और इस दौरान चुराचांदपुर जिले के तोरबंग इलाके में आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच झड़प शुरू हो गई। 

विरोध क्यों ?

  • मणिपुर राज्य में मैतेई समुदाय के लोगों की संख्या लगभग 60% है। 
  • इस समुदाय के लोग इंफाल घाटी और उसके आसपास के इलाकों में रहते हैं। 
  • मैतेई समुदाय का कहना है कि राज्य में म्यांमार और बांग्लादेश के अवैध घुसपैठियों की वजह से उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 
  • वहीं, मौजूदा कानून के तहत उन्हें राज्य के पहाड़ी इलाकों में बसने की इजाजत नहीं है
  • यही वजह है कि मैतेई समुदाय ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर उन्हें जनजातीय वर्ग में शामिल करने की याचिका दायर की थी। 
  • अदालत में याचिकाकर्ता ने कहा कि 1949 में मणिपुर की रियासत के भारत संघ में विलय से पहले मैतेई समुदाय को एक अनुसूचित जनजाति के रूप में मान्यता थी। 

अन्य जनजाति समूह द्वारा विरोध क्यों ?

  • हाईकोर्ट के फैसले का राज्य के अन्य जनजातीय वर्ग विरोध कर रहे हैं उनका कहना है, 'मैतेई समुदाय को अगर जनजातीय वर्ग में शामिल कर लिया जाता है तो वह उनकी जमीन और संसाधनों पर कब्जा कर लेंगे।  
  • विरोध में एक और तर्क दिया जाता है कि जनसंख्या और राजनीतिक प्रतिनिधित्व दोनों में मैतेई समुदाय का प्रभुत्त्व है।

क्या अनुसूचित जनजाति स्टेटस की मांग ही हिंसा की एकमात्र वजह है?

  • राज्य की पहाड़ी जनजातियों में फैली अशांति को समझने के लिए यहाँ  की डेमोग्राफी समझना जरूरी है। 
  • भौगोलिक रूप से, मणिपुर राज्य दो क्षेत्रों, पहाड़ी और मैदानी में बटा है। 
  • 2011 की जनगणना के अनुसार, मणिपुर की जनसंख्या 28,55,794 है।
  • इसमें से 57.2 फीसदी मैदानी जिलों में और शेष 42.8 फीसदी पहाड़ी जिलों में रहते हैं। 
  • मैदानी क्षेत्रों में मुख्य रूप से मैतेई बोलने वाली आबादी रहती है। वहीं, पहाड़ी क्षेत्रों में मुख्य रूप से नगा, कुकी जैसी जनजातियां निवास करती हैं। 

मैतेई समुदाय के बारे में

  • मणिपुर में दो प्रमुख आदिवासी समुदाय - नगा और कुकी हैं, जो पहाड़ी जिलों में रहते हैं, लेकिन इस समुदाय से 10 जिलों की 60 सदस्यीय विधान सभा में से केवल 20 विधायक का ही नेतृत्व है, क्योंकि इनकी आबादी मैदानी क्षेत्रों की तुलना में कम है।
  • मैतेई समुदाय की आबादी राज्य की कुल आबादी का लगभग 60% हिस्सा है और ये बड़े पैमाने पर इंफाल घाटी में निवास करते हैं।
  • मैतेई समुदाय को वर्तमान में ओबीसी या एससी के रूप में वर्गीकृत किया गया है
  • मैतेई समुदाय का प्रतिनिधित्व राज्य के आधे से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में है।
  • मैतेई समुदाय में अधिकांश लोग हिंदू धर्म से संबंधित हैं, जबकि लगभग 8% मुस्लिम हैं।

अनुसूचित जनजाति

  • संविधान अनुसूचित जनजाति की मान्यता के मापदंडो का उल्लेख नहीं करता है।
  • संविधान के अनुच्छेद 366(25) के अनुसार अनुसूचित जनजातियों का अर्थ ऐसी जनजातियों या जनजातीय समुदाय से है, जिन्हें संविधान के अनुच्छेद 342 के अनुसार अनुसूचित जनजाति माना जाता है।
  • अनुच्छेद 342(1 ) के अनुसार राष्ट्रपति किसी राज्य या केन्द्रशासित प्रदेश के मामले में वहां के राज्यपाल से परामर्श करने के बाद किसी जनजाति या जनजातीय समूह को या उसके किसी हिस्से को उस राज्य या केन्द्रशासित प्रदेश के मामले में अनुसूचित जनजाति के रूप में विनिर्दिष्ट कर सकेगा।
  • अनुसूचित जनजाति की मान्यता राज्य या केन्द्रशासित प्रदेश विशिष्ट होती है। मतलब अनुसूचित जनजाति की सूची प्रत्येक राज्य के लिये अलग-अलग होती है।
  • कोई समुदाय जो एक राज्य में अनुसूचित जनजति के रूप में वर्गीकृत है, आवश्यक नहीं है, की वो किसी अन्य राज्य में भी अनुसूचित जनजाति माना जाये।

अनुसूचित जनजाति के मानदंड

  • संविधान में किसी समुदाय को अनुसूचित जनजाति के रूप में वर्गीकृत करने के लिये कोई मानदंड नहीं बताये गए है।
  • आदिम जीवनशैली, सामाजिक और भौगोलिक अलगाव, संकोची स्वाभाव तथा शैक्षिक और आर्थिक पिछड़ापन कुछ ऐसे लक्षण हैं, जो इन्हें अन्य समुदायों से अलग साबित करते हैं।

अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करने की प्रक्रिया

  • ST सूची में किसी समुदाय को शामिल करने की प्रक्रिया के अनुसार, ऐसी कोई भी सिफारिश संबंधित राज्य या केंद्रशासित प्रदेश सरकार के प्रस्ताव के साथ होनी चाहिए।
  • इसके बाद यह प्रस्ताव जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा भारत के रजिस्ट्रार जनरल (RGI) के कार्यालय को भेजा जाता है।
  • एक बार जब RGI का कार्यालय शामिल करने के लिए सहमत हो जाता है, तो राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग को भी ऐसा ही करना चाहिए।
  • उसके बाद ही कैबिनेट को प्रस्ताव भेजा जाता है, जिसके बाद भारत के राष्ट्रपति को शामिल किए जाने की सूचना देने के लिए संसद में एक विधेयक पारित करने की आवश्यकता होती है।

अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल होने के लाभ 

  • सरकार द्वारा अनुसूचित जनजातियों के लिए चलायी जा रही मौजूदा योजनाओं का लाभ प्राप्त करने की पात्रता हासिल।
  • सरकारी सेवाओं में आरक्षण का लाभ।
  • शिक्षा संस्थाओ में प्रवेश में आरक्षण।
  • अनुसूचित जनजाति वित्त एवं विकास निगम की तरफ से रियायती ऋण प्राप्त करने की पात्रता।
  • सरकार की तरफ से दी जा रही छात्रवृत्तियों का लाभ।
  • संविधान का अनुच्छेद 243(घ) पंचायतो में अनुसूचित जनजाति के लिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान करता है।
  • संविधान का अनुच्छेद 330 लोकसभा में अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान करता है।
  • संविधान का अनुच्छेद 332 विधानसभा में अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान करता है।
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