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जलवायु परिवर्तन के कारण जल की ख़राब गुणवत्ता

प्रारम्भिक परीक्षा – पर्यावरण
मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन पेपर-3

संदर्भ

  • जलवायु परिवर्तन, सूखे तथा बारिश की बढ़ती घटनाएं हमारे जल प्रबंधन के लिए गंभीर चुनौतियां पैदा करती हैं। इनके कारण न केवल पानी की उपलब्धता कम हो रही है, बल्कि उसकी गुणवत्ता पर भी भारी असर देखने को मिल रहा है।

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प्रमुख बिदु 

  • नवीनतम जलवायु परिवर्तन से संबंधित अंतर सरकारी पैनल (IPCC) रिपोर्ट के अनुसार, जल की कमी को दूर करने के लिए वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने दुनिया भर की नदियों में पानी की गुणवत्ता पर शोध किया है।
  • नेचर रिव्यूज अर्थ एंड एनवायरनमेंट में प्रकाशित अध्ययन से पता चलता है कि चरम मौसमी घटनाओं/अत्यधिक गर्मी के कारण नदी के पानी की गुणवत्ता खराब हो जाती है। जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन के कारण ये घटनाएं अधिक, लगातार और गंभीर होती जा रही हैं, पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य और सुरक्षित पानी तक लोगों की पहुंच खतरे में पड़ती जा रही है। 
  • यूट्रेक्ट विश्वविद्यालय के डा. मिशेल वैन ब्लिसेट के नेतृत्व में किए गए अध्ययन में सूखे, लू या अत्यधिक गर्म हवाएं, भयंकर बारिश और बाढ़ जैसी चरम मौसमी घटनाओं के साथ-साथ जलवायु में लंबी अवधि के बदलावों के दौरान नदी के पानी की गुणवत्ता में बदलाव के 965 मामलों का विश्लेषण किया गया। 

पानी की गुणवत्ता में बदलाव का कारण 

  • अध्ययनकर्ताओं ने पानी की गुणवत्ता के अलग-अलग कारणों जैसे- पानी का तापमान, घुलनशील आक्सीजन, खारापन और पोषक तत्त्व, विभिन्न धातु, सूक्ष्मजीवों, फार्मास्यूटिकल्स और प्लास्टिक की मात्रा आदि को पाया।
  • अध्ययन के मुताबिक, विश्लेषण से पता चलता है कि ज्यादातर मामलों में सूखे और लू जो कि 68 फीसद, बारिश और बाढ़ 51 फीसद और जलवायु के कारण लंबी अवधि में बदलाव 56 फीसद  रहने के दौरान पानी की गुणवत्ता खराब हो जाती है।
  • सूखे के दौरान प्रदूषकों को पतला करने के लिए पानी की उपलब्धता कम होती है, जबकि आंधी-बारिश और बाढ़ के कारण आम तौर पर प्रदूषक तत्त्व अधिक होते हैं जो जमीन से नदियों और नालों में बह जाते हैं।
  • कुछ मामलों में प्रतिरोधी तंत्रों के कारण पानी की गुणवत्ता में सुधार या मिश्रित प्रतिक्रियाएं भी दर्ज की जाती हैं, उदाहरण के लिए जब बाढ़ की घटनाओं के दौरान प्रदूषकों के पानी में बहकर उनकी वृद्धि होती है। 
  • पानी की गुणवत्ता नदी के प्रवाह और पानी के तापमान में बदलाव से प्रभावित होती है। भूमि उपयोग और अपशिष्ट जल उपचार जैसे अन्य मानवजनित कारण भी इसे प्रभावित करते हैं। 
  • अध्ययनकर्ता के अनुसार, जलवायु, भूमि उपयोग और मानवजनित कारणों के बीच जटिल अंतर-संबंध को समझना अहम है, जो मिलकर प्रदूषकों के स्रोतों और उनके एक जगह से दूसरी जगह पहुंचने को प्रभावित करते हैं। 
  • शोध में पश्चिमी देशों को छेड़कर, अन्य हिस्सों के अधिक आंकड़े एकत्र कर पानी की गुणवत्ता के और अधिक अध्ययन की भी मांग की गई है ।
  • अध्ययनकर्ता ने कहा कि हमें अफ्रीका और एशिया में पानी की गुणवत्ता की बेहतर निगरानी करने की जरूरत है। 
  • अधिकांश जल गुणवत्ता, अध्ययन अब उत्तरी अमेरिका और यूरोप की नदियों और नालों पर आधारित है। 

आगे की राह

  • अध्ययन के नतीजे चरम मौसमी घटनाओं के दौरान पानी की गुणवत्ता में बदलाव और आपस में जुड़े तंत्र की बेहतर समझ की तत्काल जरूरत को उजागर करते हैं। 
  • अध्ययनकर्ता के अनुसार, जब हम प्रभावी जल प्रबंधन रणनीतियों को विकसित करने में सक्षम होंगे तब हम स्वच्छ पानी तक पहुंच को सुनिश्चित कर सकते हैं और जलवायु परिवर्तन और मौसम की बढ़ती चरम स्थितियों के तहत पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य को सुनिश्चित कर सकते हैं।

प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न : निम्नलिखित में से जल की गुणवत्ता में बदलाव के कारण हैं?

  1. पोषक तत्त्व का अभाव 
  2. खारापन में वृद्धि
  3. जल के तापमान में वृद्धि
  4. प्लास्टिक की मात्रा अधिक

उपर्युक्त में से कितने कथन सही  हैं?

(a) केवल एक

(b) केवल दो

(c) केवल तीन

(d) सभी चार

उत्तर : (d)

मुख्य परीक्षा प्रश्न : जलवायु परिवर्तन के कारण जल की गुणवत्ता में हो रहे परिवर्तन के प्रभाव को कैसे कम किया जा सकता है? उपाय सुझाएँ।

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