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मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र में सतत् जलीय कृषि 

(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3- संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन आदि से संबंधित विषय।)  

संदर्भ 

सुंदरबन क्षेत्र में ‘मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र में सतत् जलीय कृषि’ (Sustainable Aquaculture In Mangrove Ecosystem : SAIME) परियोजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है।    

परियोजना के बारे में 

  • इस परियोजना का उद्देश्य मैंग्रोव संरक्षण और बहाली पर ध्यान केंद्रित करते हुए सतत् जलीय कृषि प्रणालियों को बढ़ावा देना है।
    • पिछले कुछ दशकों में विश्व भर में झींगा पालन का विस्तार किये जाने के कारण मैंग्रोव वन गंभीर रूप से नष्ट हुए हैं। 
    • यहीं कारण है कि मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र को झींगा की खेती के साथ एकीकृत किया जा रहा है, ताकि झींगा पालन के विस्तार के साथ ही मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र को भी बहाल किया जा सकें।
  • यह परियोजना आर्थिक सहयोग और विकास के लिये जर्मन संघीय मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित है।

सुंदरबन में मैंग्रोव संरक्षण एवं सतत् जलीय कृषि

  • यह परियोजना सुंदरबन में वर्ष 2019 में शुरू हुई। इसके तहत इस क्षेत्र में स्थायी झींगा खेती को बढ़ावा देने के लिये समुदाय-आधारित पहल (Community-Based Initiative) को क्रियान्वित किया जा रहा है। 
  • इसमें गैर-सरकारी संगठनों- नेचर एनवायरनमेंट एंड वाइल्डलाइफ सोसाइटी (NEWS), ग्लोबल नेचर फंड (GNF), नेचरलैंड एवं बांग्लादेश एनवायरनमेंट एंड डेवलपमेंट सोसाइटी (BEDS) द्वारा भागीदारी की जा रही है।
  • इस पहल के तहत किसानों द्वारा पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना ज़िले के 20 हेक्टेयर और दक्षिण 24 परगना ज़िले के 10 हेक्टेयर क्षेत्र में मैंग्रोव संरक्षण के साथ-साथ झींगा की खेती की जा रही है। 
  • इसके तहत किसानों द्वारा झींगा तालाबों के आसपास मैंग्रोव वृक्ष लगाए जा रहे हैं। किसानों के अनुसार मैंग्रोव वृक्षों के अवशेष झींगा को पोषण प्रदान करते हैं, जबकि इससे पूर्व उन्हें झींगा पालन के लिये चारा खरीदना पड़ता था। 

सकारात्मक परिणाम

  • इस परियोजना ने विगत 3 वर्षों की अवधि में महत्त्वपूर्ण परिणाम प्रस्तुत किये हैं, जिसमें प्रति हेक्टेयर मछलियों एवं झींगों की औसत उपज 535 किलोग्राम है। 
  • इस परियोजना के दौरान मैंग्रोव वृक्षों के जीवित रहने की दर 5-10% से बढ़कर 30-50% तक हो गई है।

सुंदरबन क्षेत्र का महत्त्व 

  • इस क्षेत्र में मत्स्य पालन एवं झींगा की खेती प्रमुख व्यवसाय है। भारत के इस पारिस्थितिकी तंत्र के लगभग 15,000 से 20,000 हेक्टेयर क्षेत्र में झींगा की खेती की जाती है। 
  • इस क्षेत्र में ब्लैक टाइगर झींगों और विशाल मीठे पानी के झींगों जैसी स्वदेशी झींगा किस्मों की सतत् कृषि की जा रही हैं।

सुंदरवन मैंग्रोव वन

  • सुंदरबन विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा एवं मैंग्रोव वन है। यह बंगाल की खाड़ी में गंगा, ब्रह्मपुत्र और मेघना नदियों के डेल्टा पर स्थित है।
  • यह भारत एवं बांग्लादेश में लगभग 10,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विस्तृत है। सुंदरबन का 40% भारत में अवस्थित है।
  • यह क्षेत्र नदियों एवं निचले द्वीपों का एक जटिल नेटवर्क है जो दिन में दो बार ज्वारीय लहर का सामना करता हैं।
  • इसे 1987 (भारत) और 1997 (बांग्लादेश) में यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल में शामिल किया गया। 
  • इसे वर्ष 1989 में यूनेस्को के मैन एंड द बायोस्फीयर (एमएबी) कार्यक्रम के तहत मान्यता प्राप्त बायोस्फीयर रिजर्व के रूप में शामिल किया गया था। 
  • भारत के सुंदरबन आर्द्रभूमि को वर्ष 2019 में रामसर अभिसमय के तहत 'अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि' के रूप में मान्यता प्रदान की गई थी। 
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