प्रारम्भिक परीक्षा - तिरुक्कुरल मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 1 - भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू
सन्दर्भ
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री तथा पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री द्वारा तमिल ग्रन्थ तिरुक्कुरल का टोक पिसिन भाषा में विमोचन किया गया।
टोक पिसिन पापुआ न्यू गिनी की आधिकारिक भाषा है।
तिरुक्कुरल
यह तमिल भाषा में लिखी गई एक प्रसिद्ध कृति है।
इस रचना का काल ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी से लेकर ईसा की छठवीं शताब्दी के बीच माना जाता है।
'तिरुक्कुरल' के सूत्र या पद्य जीवन के प्रत्येक पहलू से संबंधित हैं, यह नीतिशास्त्र की महान् रचना है।
तमिल संस्कृति और जीवन पर इसका अत्यधिक प्रभाव पड़ा है।
यह 1,330 दोहों (कुरलों) का एक संग्रह है जो नैतिकता, शासन, प्रेम और आध्यात्मिकता सहित जीवन के विभिन्न पहलुओं से संबंधित हैं।
तिरुक्कुरल को तीन मुख्य वर्गों या पुस्तकों में विभाजित किया गया है - अराम (पुण्य ), पोरुल (धन) , और इनबम (प्रेम)।
1. अराम
यह धार्मिकता, सच्चाई, कृतज्ञता और करुणा जैसे सद्गुणों से संबंधित हैं।
यह एक धर्मी जीवन जीने और सभी परिस्थितियों में नैतिक मूल्यों को कायम रखने के महत्व पर बल देता है।
2. पोरुल
यह शासन, अर्थव्यवस्था और मित्रता सहित सांसारिक मामलों से संबंधित हैं।
यह धन प्रबंधन और प्रशासन जैसे विषयों पर ज्ञान प्रदान करता है।
3. इनबम
यह मानवीय भावनाओं, प्रेम और पारिवारिक जीवन की जटिलताओं को उजागर करता है।
प्रत्येक खंड विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला को शामिल करता है और पाठकों को नैतिक तथा व्यावहारिक मार्गदर्शन प्रदान करता है।
दोहे संक्षिप्त और काव्यात्मक रूप में रचे गए हैं, जो उन्हें आसानी से याद रखने और उद्धृत करने योग्य बनाते हैं।