हाल ही में, ‘एनिमल एक्सचेंज प्रोग्राम’ (Animal Exchange Programme) के तहत दक्षिण अफ्रीका से भारत के ‘मैसूर चिड़ियाघर’ में एक नर व दो मादा ‘अफ्रीकी चीते’ लाए गए हैं। अब, भारत में हैदराबाद के बाद मैसूर दूसरा ऐसा चिड़ियाघर बन गया है, जहाँ अफ्रीकी चीते उपस्थित हैं।
- ‘अफ्रीकी चीता’ पृथ्वी पर सबसे तेज़ रफ्तार वाला जीव है। यह प्राकृतिक रूप से पूर्वी व दक्षिणी अफ्रीका के निचले भू-भाग (सवाना घास के मैदान, कालाहारी मरुस्थल इत्यादि) में पाया जाता है।
- 'अफ्रीकी चीते' की संरक्षण स्थिति :
- आई.यू.सी.एन. (IUCN) – संवेदनशील (Vulnerable)
- साइट्स (CITES) – परिशिष्ट - I (Appendix - I)
- अफ्रीकी चीते का आकार व क्षमता ‘एशियाई चीते’ की तुलना में अधिक होती है। ध्यातव्य है कि वर्तमान में ‘एशियाई चीते’ 40-45 की संख्या में सिर्फ ईरान में ही पाए जाते हैं। भारत में एशियाई चीते को वर्ष 1952 में औपचारिक रूप से ‘विलुप्त’ (Extinct) घोषित कर दिया गया था।
- 'एशियाई चीते' की संरक्षण स्थिति :
- आई.यू.सी.एन. (IUCN) – गम्भीर संकटापन्न (Critically Endangered)
- साइट्स (CITES) – परिशिष्ट - I (Appendix - I)
- उल्लेखनीय है कि ‘एनिमल एक्सचेंज प्रोग्राम’ का क्रियान्वयन ‘केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण’ (CZA) द्वारा किया जा रहा है। ‘सी.ज़ेड.ए.’ का गठन वर्ष 1992 में ‘भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972’ के तहत 'पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय’ के के अंतर्गत एक सांविधिक निकाय के रूप में किया गया था।