लौह अंश की प्रचुरता वाला ‘बाओ-धान’ असम की ब्रह्मपुत्र घाटी में रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग के बिना उगाया जाता है। यह असमिया भोजन का एक अभिन्न हिस्सा है।
‘एंथोसाइनिन’ (Anthocyanin) नामक तत्त्व की उपस्थिति के कारण इसका रंग लाल होता है, अत: इसे ‘रेड राइस’ भी कहते हैं।
भारत की चावल निर्यात क्षमता को बढ़ावा देने के लिये इसकी पहली खेप अमेरिका भेजी गई है। इसके निर्यात में वृद्धि से ब्रह्मपुत्र के अपवाह क्षेत्र में आने वाले किसानों की आय में वृद्धि होगी।
सरकार ने ‘कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण’ के अंतर्गत ‘चावल निर्यात संवर्धन मंच’ की स्थापना की थी। यह चावल उद्योग, निर्यातकों एवं अधिकारियों के साथ-साथ पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़ तथा ओडिशा सहित प्रमुख चावल उत्पादक राज्यों के निदेशकों का प्रतिनिधित्व करता है।