- राजनयिक प्रतिरक्षा कुछ कानूनों एवं करों से छूट संबंधी विशेषाधिकार है, जो किसी देश द्वारा अपने यहाँ नियुक्त अन्य देशों के राजनयिकों को प्रदान किया जाता है। इसका उद्देश्य, राजनयिकों को मेज़बान देश में बिना किसी डर-धमकी एवं खतरे के कार्य करने की स्वतंत्रता प्रदान करना है।
- किसी भी देश में राजनयिकों को यह प्रतिरक्षा दो अभिसमयों के माध्यम से प्रदान की गई है:
★ राजनयिक संबंधों पर अभिसमय, 1961
★ कॉन्सुलर संबंधों पर अभिसमय, 1963
- इन दोनों ही अभिसमयों को 'विएना अभिसमय' के नाम से जाना जाता है। विश्व के 187 देशों द्वारा इन अभिसमयों पर हस्ताक्षर किये गए हैं, जो इन्हें मानने के लिये बाध्य हैं।
- विएना अभिसमय के मुताबिक, किसी देश के दूतावास में नियुक्त राजनयिक को यह प्रतिरक्षा प्राप्त होती है, जिसका उल्लंघन नहीं किया जा सकता है। इसके तहत किसी भी राजनयिक तथा उसके परिवार को दूतावास तथा उसके आवास पर न तो गिरफ़्तार किया जा सकता है और न ही उसे बंदी बनाया जा सकता है।
- किंतु, राजनयिक के गृह देश को यह अधिकार है कि वह उसके विरुद्ध मुकदमा चला सकता है, यदि उसने अपने राजनयिक दायित्व से इतर कोई गंभीर अपराध किया हो। दूतावास में नियुक्त राजनयिक की तरह वाणिज्य दूतावास (Consulate) में नियुक्त राजनयिक को भी यह प्रतिरक्षा प्राप्त होती है।