कैलिफोर्निया स्थित बर्कले प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों ने आवर्त सारणी के 99 परमाणु क्रमांक वाले तत्त्व के गुणों का अध्ययन किया। इसे अल्बर्ट आइंस्टीन के नाम पर ‘आइंस्टीनियम’ कहा गया है। इस अध्ययन के बाद पहली बार शोधकर्ता ‘तत्त्वों के गुणों’ को चिह्नित करने में सक्षम हुए हैं।
वैज्ञानिकों के इस दल ने तत्त्व के अधिक स्थिर समस्थानिकों में से एक ‘आइंस्टीनियम-254’ का अध्ययन किया, जिसका अर्द्ध-जीवनकाल 276 दिन होता है। आइंस्टीनियम तत्त्व के सबसे सामान्य समस्थानिक ‘आइंस्टीनियम 253’ का अर्द्ध-जीवनकाल 20 दिन होता है।
उच्च रेडियोधर्मिता और सभी समस्थानिकों के अल्प जीवनकाल के कारण इस तत्त्व का क्षरण हो गया है और अब यह प्राकृतिक रूप से नहीं पाया जाता है, किंतु गहन और सटीक रासायनिक प्रक्रियाओं द्वारा इसे निर्मित किया जा सकता है।
इस तत्त्व की खोज वर्ष 1952 में पहले हाइड्रोजन बम विस्फोट के पश्चात् प्राप्त मलबे से हुई थी। यह विस्फोट दक्षिण प्रशांत महासागर में ‘एनीवेटोक एटोल’ पर स्थित एलुगेलैब नामक एक द्वीप पर एक परीक्षण के दौरान ‘आइवी माइक’ नामक एक थर्मोन्यूक्लियर उपकरण में हुआ था, जो नागासाकी में हुए विस्फोट की तुलना में 500 गुना अधिक विनाशकारी था।
वर्तमान में यह तत्त्व सीमित मात्रा में उपलब्ध है, जिसका उपयोग केवल वैज्ञानिक अनुसंधान के लिये किया जा सकता है। इसे नग्न आँखों से नहीं देखा जा सकता है। इस शोध के बाद वैज्ञानिक, कण त्वरक (Particle Accelerator) द्वारा निर्मित एक सटीक एक्स-रे का उपयोग करते हुए इस तत्त्व के अन्य परमाणुओं के साथ बंधों (Bonds) की जटिलता को समझने में सक्षम हुए हैं।
इस परमाणु व्यवस्था का अध्ययन कर वैज्ञानिक अन्य तत्त्वों और इसके समस्थानिकों के महत्त्वपूर्ण रासायनिक गुणों का पता लगा सकते हैं, जो परमाणु ऊर्जा उत्पादन और रेडियोफार्मास्युटिकल के लिये उपयोगी हो सकते हैं।