ग्रैंड पुनर्जागरण बाँध को लेकर मिस्र तथा इथोपिया के बीच खींचतान बढ़ती जा रही है। हाल ही में सूडान भी इस विवाद में शामिल हो गया है, इस कारण वहाँ युद्ध जैसी परिस्थितियाँ उत्पन्न हो रही हैं। हालाँकि, संयुक्त राज्य अमेरिका ने इस मामले में मध्यस्थता के लिये प्रस्ताव रखा है।
ग्रैंड इथोपियाई पुनर्जागरण बाँध
- इसे हिडेस बाँध (Hidase Dam) भी कहा जाता है, पहले इसे मिलेनियम बाँध के नाम से जाना जाता था।
- वर्ष 2011 से इथोपिया इसका निर्माण ब्लू नील नदी पर कर रहा है।
- 6.45 गीगावाट की क्षमता वाला यह बाँध अफ्रीका का सबसे बड़ा जल-विद्युत संयंत्र होगा। पूरा होने के बाद यह विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा बाँध होगा। यह मुख्यतः एक गुरुत्व बाँध (Gravity dam) है।
विवाद
- मिस्र (जो बाँध निर्माण स्थल से लगभग 2500 किमी. दूर स्थित है) तथा सूडान (जिसकी इथोपिया के साथ सीमा से 15 किमी. पूर्व की ओर यह बाँध निर्मित हो रहा है) इस बाँध का लगातार विरोध करते आए हैं क्योंकि इनका मानना है कि बाँध के बन जाने से इन देशों की जल-आपूर्ति बाधित होगी।
- इस बाँध के निर्माण से न सिर्फ इथोपिया में बाढ़ की तीव्रता में कमी आएगी, बल्कि वहाँ की तीन-चौथाई जनता तक बिजली की पहुँच भी सुनिश्चित होगी।
- बाँध बन जाने के बाद जलाशय भरने में लगभग 5-15 वर्ष लगेंगे जो कि उस समय की हाइड्रोलॉजिकल परिस्थितयों और इथोपिया-सूडान-मिस्र के बीच हुए समझौते पर निर्भर करेगा। ध्यातव्य है कि अब तक इस बाँध का लगभग 70% निर्माण कार्य पूरा हो चुका है।