'हैप्पी हाइपोक्सिया' उस स्थिति को कहते हैं, जब मरीज़ का ऑक्सीजन संतृप्ति स्तर निम्न हो जाता है, किंतु उसमें निम्न ऑक्सीजन स्तर के स्पष्ट लक्षण दृष्टिगत नहीं होते हैं। परिणामस्वरूप बीमारी बढ़ जाने पर फेफड़े गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो जाते हैं।
हैप्पी हाइपोक्सिया की स्थिति मुख्यतः युवाओं में देखी जाती है क्योंकि उनकी रोग-प्रतिरोधकता तुलनात्मक रूप से बेहतर होती है। अतः ऑक्सीजन संतृप्ति स्तर 81 से नीचे आने तक उन्हें साँस लेने में दिक्कत या अन्य तरह की समस्या सामने नहीं आती।
कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान संक्रमित लोगों में युवाओं की अधिक संख्या को देखते हुए चिकित्सकों ने हैप्पी हाइपोक्सिया की स्थिति की आशंका व्यक्त की है। दरअसल, कोरोना के नए वेरिएंट में रैश, डायरिया, नेत्र-शोथ, जोड़ो के दर्द जैसे नए लक्षण देखे जा रहे हैं; जिनका उल्लेख आर.टी.- पी.सी.आर. संबंधी राज्य या केंद्र के प्रोटोकॉल में नहीं है।
बेहतर रोग-प्रतितिरोधक क्षमता के अतिरिक्त भारत में अधिकांशतः परिवार के युवा सदस्य आर्थिक गतिविधियों में संलग्न होते हैं, अतः उनके संक्रमित होने की संभाव्यता स्वाभाविक रूप से बढ़ जाती है। युवाओं के विपरीत वृद्ध लोगों में ऑक्सीजन संतृप्ति स्तर 92 आने पर हाइपोक्सिया के लक्षण दिखने लगते हैं।