जैव विविधता के संरक्षण तथा इसके सम्बंध में जागरूकता बढ़ाने के लिये संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रत्येक वर्ष 22 मई को 'अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस' (IDB) मनाया जाता है।
- संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा पहली बार 29 दिसम्बर, 1993 को जैव विविधता दिवस मनाया गया था, किंतु वर्ष 2000 से यू.एन.जी.ए. ने 22 मई को 'अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस' मनाए जाने का संकल्प पारित किया। इसका उद्देश्य 22 मई, 1992 को पारित हुए नैरोबी एक्ट का अनुपालन सुनिश्चित करना है।
- वर्ष 2020 के लिये आई.डी.बी. का विषय है- 'हमारे समाधान प्रकृति में हैं।' यह विषय कोविड-19 महामारी के समय में आशा, एकजुटता तथा साथ मिलकर कार्य करने के महत्त्व को दर्शाता है, ताकि इस महामारी से उबरने के साथ-साथ विभिन्न राष्ट्रों एवं समुदायों के मध्य लचीलापन बढ़ाकर, महामारी के उपरांत 'बेहतर सामाजिक, आर्थिक एवं पर्यावरणीय पुनर्निर्माण' (Build Back Better) को सुनिश्चित किया जा सके।
- उल्लेखनीय है कि धरातलीय, महासागरीय तथा अन्य जलीय पारिस्थितिकीय तंत्रों में पाए जाने वाले जीव-जंतुओं व वनस्पतियों की विविधता को समग्र रूप में 'जैव विविधता' कहते हैं।
- जैव विविधता की दृष्टि से विश्व में भारत का 17वाँ स्थान है, विश्व में पाई जाने वाली विभिन्न जीव-जंतुओं एवं वनस्पतियों की प्रजातियों का लगभग 7-8% हिस्सा भारत में पाया जाता है। विश्व में कुल 34 जैव विविधता हॉटस्पॉट हैं, जिनमें से 4 भारत में हैं।