‘लोधा जनजाति’ ओडिशा के मयूरभंज ज़िले पाए जाने वाले ‘विशेष रूप से कमज़ोर आदिवासी समूह’ (PVTGs) की 3 प्रमुख जनजातियों में से एक है। इस समूह की दो अन्य जनजातियाँ खादिया और मनकिडिया हैं।
लोधा का शाब्दिक अर्थ मछली का टुकड़ा होता है। ये मुंडा नृजातीय समूह से संबंधित हैं तथा मुंदारी भाषा बोलते हैं। इसके अतिरिक्त, इस क्षेत्र में कोल्हा, संथाल, भूमिजा, भाटूडी, हो और गोंड आदि जनजातियाँ भी पाई जाती हैं।
इनकी आजीविका का प्रमुख स्त्रोत लघु वनोपज हैं, जिनमें सामन्यतया जंगली मशरूम, फल, हरी पत्तियाँ, टसर सिल्क और सियाली रेशे शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि मनकिडिया जनजाति सियाली रेशे से रस्सी बनाकर जीवन-यापन करती है।
हाल ही में, सिमलीपाल टाइगर रिज़र्व (मयूरभंज) में वनाग्नि के कारण इनकी आजीविका प्रभावित हुई है।