मैग्नेटोटेल्यूरिक (MT) एक भू-भौतिकीय विधि है, जिसमें भूगर्भिक संरचनाओं एवं गतिविधियों के अध्ययन के लिये पृथ्वी के चुंबकीय एवं विद्युत क्षेत्रों की भिन्नता का उपयोग किया जाता है। इस विधि के द्वारा भूकंप उत्प्रेरण की संभावना को बढ़ाने वाले तत्त्वों, जैसे मैग्मा आदि की आवृत्ति को मापा जाता है।
इस विधि द्वारा 300 से 10,000 मीटर तक की गहराई में उच्च आवृत्तियों को रिकॉर्ड किया जा सकता है। इसके लिये प्रायः तीन प्रमुख भूकंपीय स्रोतों, महेंद्रगढ़-देहरादून फॉल्ट (MDF), सोहना फॉल्ट (SF) और मथुरा फॉल्ट (MF) से मापों को लिया जाता है।
मैग्नेटोटेल्यूरिक तकनीक को सर्वप्रथम 1940 के दशक में जापानी वैज्ञानिकों द्वारा प्रस्तुत किया गया था। इस पर 1950 के दशक में रूसी और फ्रांसीसी भू-भौतिकीविदों द्वारा स्वतंत्र रूप से कार्य शुरू किया गया।
भूकंपीय खतरे के सटीक अनुमान के साथ-साथ इस जानकारी का उपयोग भूकंप-रोधी इमारतों, औद्योगिक इकाइयों और महत्त्वपूर्ण संरचनाओं जैसे अस्पतालों और स्कूलों आदि को डिज़ाइन करने के लिये भी किया जा सकता है। वाणिज्यिक उपयोगों में हाइड्रोकार्बन (तेल और गैस) अन्वेषण, भू-तापीय अन्वेषण, कार्बन अनुक्रम, खनन अन्वेषण तथा हाइड्रोकार्बन और भूजल की निगरानी में भी इसका उपयोग किया जा सकता है।