हाल ही में, वाणिज्य मंत्रालय ने मोरिंगा पाउडर की बढ़ती वैश्विक माँग और पोषण गुणों को ध्यान में रखते हुए इसका निर्यात शुरू कर दिया है। इसका वानस्पतिक नाम 'मोरिंगा ओलीफेरा' है। इसे सहजन, ड्रमस्टिक, हॉर्सरैडिश, बेन ऑयल या बेंज़ोलिव ट्री नामों से भी जाना जाता है। भारत मोरिंगा पाउडर का सबसे बड़ा उत्पादक है।
मोरिंगा जंगलों में तेज़ी से विकसित होने वाला सूखा प्रतिरोधी पेड़ है, जो भारतीय मूल के मोरिंगसेई परिवार से संबद्ध है। साथ ही, मध्य अमेरिका व कैरिबियाई देशों, उत्तरी अमेरिका के दक्षिणी देशों, दक्षिण-पूर्व एशिया, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और ओशेनिया में भी इसकी खेती की जाती है।
इसके पोषकीय व औषधीय गुणों तथा भोजन पकाने में उपयोग के चलते विश्व स्तर पर मोरिंगा लीफ पाउडर और मोरिंगा ऑयल जैसे उत्पादों की माँग में वृद्धि देखी गई है। इसमें एंटीफंगल, एंटीवायरल, एंटीडिप्रेसेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। इसका उपयोग मुख्यतः स्वास्थ्य, सौंदर्य प्रसाधन तथा रोग निदान के लिये किया जाता है।
मोरिंगा में कई स्वास्थ्यवर्धक यौगिक, विटामिन्स तथा खनिज पाए जाते हैं। इसमें वसा की मात्रा बहुत कम होती है तथा कोई हानिकारक कोलेस्ट्रॉल भी नहीं होता है। इसके कुछ दुष्प्रभाव भी हैं, जैसे इसमें प्रजनन-रोधी गुण होते हैं, इसलिये गर्भवती महिलाओं के लिये इसे अनुशंसित नहीं किया जाता है।
तेलंगाना स्थित मेडिकोंडा न्यूट्रिएंट्स ने मोरिंगा निर्यात गतिविधियों को योजनाबद्ध तरीके से शुरू करने का समर्थन किया है। इस कंपनी के पास 240 हेक्टेयर में मोरिंगा बागान हैं।