पूँजी बाज़ार की नियामक संस्था भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के अनुसार, 1 जनवरी, 2021 से म्यूचुअल फंड कंपनियाँ योजनाओं को लॉन्च करते समय उनकी विशेषताओं के आधार पर उन्हें एक जोखिम स्तर प्रदान करेंगी। इनका मूल्यांकन रिस्क-ओ-मीटर के छह स्तरीय मापदंड के अनुसार मासिक आधार पर किया जाएगा।
जोखिम स्तर का निर्धारण, किसी योजना में होने वाले जोखिम के गणना-मूल्य के आधार पर किया जाएगा, जिसके अनुसार जोखिम मूल्य का मान 1 से कम होने पर जोखिम का स्तर निम्न तथा 5 से अधिक होने पर अत्यधिक होगा।
इसका उद्देश्य योजनाओं के जोखिम स्तर को रिस्क-ओ-मीटर पर 'निम्न' से 'अत्यधिक' के बीच छह-स्तरीय पैमाने पर दर्शाना है। रिस्क-ओ-मीटर के छह जोखिम स्तरों में- निम्न (Low), निम्न से मध्यम (Low to Moderate), मध्यम (Moderate), मध्यम से उच्च (Moderately High), उच्च (High) और अत्यधिक (Very High) हैं।
प्रत्येक फंड कंपनी को अपनी वेबसाइट के साथ एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) की वेबसाइट पर भी अपनी योजनाओं के जोखिम स्तर की जानकारी प्रत्येक माह के अंतिम 10 दिनों के भीतर प्रकाशित करनी होगी।
निवेशकों द्वारा खरीदी गई किसी म्यूचुअल फंड स्कीम के रिस्क-ओ-मीटर रीडिंग में यदि कोई परिवर्तन होता है तो उस स्कीम से संबंधित इकाई-धारकों को उसकी सूचना उपलब्ध कराई जाएगी। इससे निवेशकों को किसी म्यूचुअल फंड स्कीम के जोखिम स्तर की जानकारी आसानी से उपलब्ध हो सकेगी, जिसके आधार पर निवेशक, निवेश से संबंधित निर्णय लेने में अधिक सक्षम होंगे।