• हाल ही में, ‘प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम’ के अंतर्गत वर्तमान वित्तीय वर्ष में विगत वर्ष की अपेक्षा 44% अधिक ऋण आवेदन स्वीकार किये गए हैं।
• ‘प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम’ का उद्देश्य, ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में ‘सिर्फ नए स्थापित होने वाले’ लघु ‘गैर-कृषि उद्योगों’ को ऋण उपलब्ध कराना है, ताकि स्वरोज़गार सृजन की दर बढ़ाई जा सके।
• इसके तहत स्थापित होने वाले ‘विनिर्माण उद्योगों’ को अधिकतम ₹25 लाख तक का, जबकि ‘सेवा उद्योगों’ को अधिकतम ₹10 लाख तक का ऋण उपलब्ध कराया जाएगा। ध्यातव्य है कि इन ऋणों पर सरकार ऋण-सब्सिडी भी प्रदान करती है।
• ऋण प्राप्त करने हेतु पात्र– 18 वर्ष से अधिक आयु का व्यक्ति, स्वयं सहायता समूह, ‘सोसायटी पंजीकरण एक्ट, 1860’ के तहत पंजीकृत संस्थान, चेरीटेबल ट्रस्ट आदि, जबकि पहले से स्थापित इकाइयाँ व सरकार (केंद्र या राज्य) से सहायता प्राप्तकर्ता संस्थान इस कार्यक्रम के तहत अपात्र माने जाएंगे।
• ऋण प्रदाता संस्थाएँ– सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, को-ऑपरेटिव बैंक व सरकार द्वारा चयनित निजी बैंक।
• उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2008-09 में लॉन्च किया गया यह कार्यक्रम ‘सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यम मंत्रालय’ का फ्लैगशिप कार्यक्रम है, जिसे इसी मंत्रालय के सर्वोच्च निकाय ‘खादी व ग्रामोद्योग आयोग’ (KVIC) द्वारा लागू किया जा रहा है। ‘खादी व ग्रामोद्योग आयोग’ के.वी.आई.सी. एक्ट, 1956 के तहत गठित एक सांविधिक संस्था है, जिसका मुख्यालय मुम्बई में है।