‘शिगमो’ अथवा ‘शिगमोत्सव’ गोवा के आदिवासी समुदायों द्वारा 'धान की समृद्ध और सुनहरी फसल' के लिये मनाया जाने वाला उत्सव है। कुनबी, गावड़ा और वेलिप सहित विभिन्न कृषि समुदाय इस त्यौहार को मनाते है। यह त्योहार वसंत की शुरुआत का भी प्रतीक है।
शिगमोत्सव हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन-चैत्र माह के दौरान एक पखवाड़े से अधिक समय तक चलता है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर में प्रत्येक वर्ष मार्च-अप्रैल का समय होता है। यह त्योहार 'नमन' प्रथा के साथ शुरू होता है, जिसमें स्थानीय देवताओं का वंदन किया जाता है।
इस दौरान प्रतिभागी पौराणिक स्थापनाओं, चित्रित चेहरों और विभिन्न रंग की पारंपरिक व रंगीन वेशभूषा से सुसज्जित होते हैं। यह रंगों, गीतों और नृत्यों का एक जीवंत उत्सव है जो गोवा की संस्कृति व परंपराओं से जुड़ा हुआ है।
इस दौरान प्रतिभागी घोड़ेमोदिनी (घुड़सवार योद्धाओं का नृत्य), गोपा और फुगड़ी जैसे लोक नृत्यों का प्रदर्शन करते हैं। साथ ही, घुमत, ढोल, मढ़ले और ताशे जैसे वाद्य यंत्रों का भी प्रयोग इसमें किया जाता है।