‘सिद्दी’ भारत और पाकिस्तान में पाया जाने वाला एक जनजातीय समुदाय है। भारत में यह जनजाति मुख्यतः पश्चिमी घाट में पाई जाती है, इसके निवास क्षेत्रों में कर्नाटक, गुजरात, गोवा और दमन व दीव सम्मिलित हैं।
- ऐसा माना जाता है कि सिद्दी लोग अफ्रीकी मूल के हैं और गुलाम के रूप में भारत लाए गए थे। भारत में इन्हें हब्शी और बादशां जैसे विभिन्न नामों से भी जाना जाता है।
- इनकी पोशाक पारम्परिक हिंदू और मुस्लिम पोशाकों का संयोजन है। सिद्दी लोगों की नृजातीय विशेषताएँ नीग्रोइड प्रजाति के समरूप हैं।
- ये अधिकांशतः माँसाहारी होते हैं, लेकिन जंगली उत्पादों का भी प्रयोग करते हैं। इनके कुल (Clan) को मोरवॉना, मोरी, बगिया, सिरवान, वालिया, नोबी आदि नामों से जाना जाता है।
- सिद्दियों में ‘ममेरे/फुफेरे भाई-बहनों’ (Cross-Cousins) के बीच विवाह को प्राथमिकता दी जाती है, लेकिन ‘चचेरे भाई बहनों’ (Parallel-Cousins) के बीच विवाह निषिद्ध है। इनके समाज में वधू-मूल्य प्रथा का प्रचलन है। विवाह के दौरान रसड़ा नामक लोक नृत्य काफी प्रचलित है। इनके यहाँ धमाल लोक नृत्य भी प्रचलित है।
- सिद्दियों में प्रायः एकल परिवार प्रणाली पाई जाती है। इनमें खोलोबोरो (Kholoboro) प्रथा प्रचलित है, जिसमें गर्भावस्था के सातवें माह में गर्भवती महिला की गोद भराई की रस्म निभाई जाती है।
- हाल ही में, परिवारा (Parivara) और तलवारा (Talawara) जनजातियों सहित कर्नाटक की बेलागाँवी व धारवाड़ में रहने वाली सिद्दी जनजाति को अनुसूचित जनजाति में सम्मिलित करने सम्बंधी ‘संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक’ को लोक सभा में पारित किया गया है।
- संविधान का अनुच्छेद-342 अनुसूचित जनजातियों से और अनुच्छेद-338(क) अनुसूचित जनजाति आयोग से सम्बंधित है।
- वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत की जनसंख्या में अनुसूचित जनजातियों का प्रतिशत 8.6 है। अनुसूचित जनजातियों की सर्वाधिक प्रतिशतता मिज़ोरम और लक्षद्वीप में, जबकि सर्वाधिक संख्या मध्य प्रदेश में है। उल्लेखनीय है कि पंजाब तथा हरियाणा में कोई अनुसूचित जनजाति नहीं है।
- अनुसूचित जनजातियों का लिंगानुपात 990 और साक्षरता दर 58.96% है।