गरीब व कमज़ोर वर्ग के लोगों को निःशुल्क विधिक सहायता प्रदान करने के लिये टेली-लॉ योजना को शुरू किया गया है। इस अवधारणा से तात्पर्य राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण (SALSA) तथा सामान्य सेवा केंद्रों (CSCs) में कार्यरत वकीलों के एक पैनल के माध्यम से सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का उपयोग कर ज़रूरतमंदों को विधिक जानकारी एवं सलाह प्रदान करना है।
इस परियोजना के तहत चिह्नित 50,000 सी.एस.सी. में कार्यरत पैरा-लीगल वालंटियर्स द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से नागरिकों को वकीलों से जोड़ने की पहल की गई है। इसके लिये सी.एस.सी. के विशाल नेटवर्क पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग जैसी स्मार्ट तकनीक व त्वरित कॉलिंग की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 की धारा 12 के अंतर्गत उल्लिखित निःशुल्क कानूनी सहायता के पात्र व्यक्तियों के लिये इस सेवा को नि:शुल्क रखा गया है, जबकि अन्य सभी को इसके तहत सेवा प्राप्त करने के लिये एक मामूली शुल्क देना होता है। इससे समय तथा धन की बचत होगी।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 39क समाज के गरीब व कमज़ोर वर्गों को समान अवसर के आधार पर न्याय को बढ़ावा देने के लिये निःशुल्क विधिक सहायता प्रदान करने का प्रावधान करता है। इसलिये वास्तविक समानता सुनिश्चित करने के लिये सभी के लिये विधिक सहायता सुनिश्चित करना आवश्यक है।