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तुंगभद्रा पुष्करालु (Tungabhadra Pushkaralu)

• 20 नवम्बर, 2020 को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने तुंगभद्रा तट के समीप सांकल बाग पुष्कर घाट पर तुंगभद्रा थल्ली की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर 12 दिवसीय पुष्करालु उत्सव की शुरुआत की। मंत्रालयम (जहाँ तुंगभद्रा नदी आंध्र प्रदेश में प्रवेश करती है) पर श्री राघवेंद्र स्वामी मठ के पीठाधीपति तथा अन्य लोगों द्वारा नियत समय पर पवित्र स्नान व पूजा कर इस उत्सव की शुरुआत की जाती है।

• तुंगभद्रा पुष्करालु उत्सव तुंगभद्रा नदी के सम्मान में प्रत्येक 12 वर्षो में एक बार बृहस्पति के मकर राशि में प्रवेश के समय आयोजित किया जाता है। इसमें चार मंडपम; यज्ञशाला-वास्तु, सर्वतोभद्र, योगिनी और नवग्रह मंडपम की प्रार्थना की जाती है।

• तेलंगाना के जोगुलम्बा गड़वाल और आंध्र प्रदेश के कुरनूल ज़िले में तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित हॉस्पेट, हम्पी, कामपल्ली, मंत्रालयम, कुरनूल, आलमपुर प्रसिद्ध मंदिर हैं, जहाँ बड़ी मात्रा में तीर्थयात्री आते हैं।

• अन्य भारतीय त्योहार जो नदियों की पूजा के लिये समर्पित हैं –

  • पुष्करम - इसे पुष्करालु (तेलुगु में)/ पुष्कर (कन्नड़ में) के नाम से भी जाना जाता है, 12 प्रमुख नदियों में से प्रत्येक नदी के किनारे 12 वर्षों में एक बार, यह त्योहार पूर्वजों की पूजा, आध्यात्मिक प्रवचन, भक्ति संगीत और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के रूप में मनाया जाता है।
  • कुम्भ मेला - यह चार नदी-तटीय तीर्थ स्थलों; प्रयागराज (गंगा-यमुना-सरस्वती नदियों का संगम), हरिद्वार (गंगा), नासिक (गोदावरी), उज्जैन (क्षिप्रा) पर 12 वर्षों के चक्र के रूप में मनाया जाता है।
  • गोदावरी महा-पुष्करम- 144 वर्षों में एक बार गोदावरी पुष्करम चक्र की 12वीं पुनरावृत्ति के अवसर पर मनाया जाता है।
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