शॉर्ट न्यूज़: 03 अगस्त, 2022
बादल फटना
रुपए में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार निपटान की अनुमति
बादल फटना
चर्चा में क्यों
हाल ही में, अमरनाथ गुफा के निकट अचानक अत्यधिक मात्रा में वर्षा के कारण फ्लश फ्लड जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई। इसे बादल फटने की घटना (Cloudbursts) से जोड़ा जा रहा है किंतु मौसम वैज्ञानिकों का मत इससे भिन्न है।
क्या है ‘बादल फटना’
- बादल फटने से आशय अल्पावधि में अत्यधिक मात्रा में बारिश होने से है, जिसमें कभी-कभी ओले व तेज गरज के साथ मूसलाधार बारिश भी होती है।
- भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, जब लगभग 20 से 30 वर्ग किमी. के क्षेत्र में प्रति घंटे 100 मिमी. (10 सेमी) से अधिक वर्ष हो, तो इसे बादल फटने की श्रेणी में रखा जाता है। वर्षा की अत्यधिक मात्रा के परिणामस्वरूप बाढ़ आने की संभावना उत्पन्न हो जाती है।
भौगोलिक परिस्थिति
- बादल फटने की घटना मुख्य रूप से भू-भाग और ऊँचाई के कारण पहाड़ी क्षेत्रों में अधिक घटित होती है।
- जब नमी युक्त हवाएँ पहाड़ी क्षेत्रों से ऊपर उठकर ‘कपासी वर्षा मेघों’ का ऊर्ध्वाधर निर्माण करती हैं, तो प्राय: बादल फटने की घटना होती है।
अन्य बिंदु
- विशेषज्ञों के अनुसार बादल फटने का पूर्वानुमान लगाना मुश्किल है तथा भारत में बादल फटने की सटीक संख्या पर निश्चित आँकड़े भी उपलब्ध नहीं हैं। इस परिघटना के बहुत छोटे क्षेत्र से संबंधित होने के कारण इसकी सटीक पहचान करना आसान नहीं होता।
- वर्ष 2013 में केदारनाथ में आई विनाशकारी बाढ़ पर हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन में बादल फटने के मौसमी कारकों की जाँच में पाया गया कि घटना के दौरान कम तापमान और धीमी हवाओं के साथ सापेक्षिक आर्द्रता एवं बादलों का आवरण अधिकतम था।
रुपए में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार निपटान की अनुमति
चर्चा में क्यों
हाल ही में, भारतीय रिजर्व बैंक ने भारत और अन्य देशों के बीच रुपए में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार निपटान (International Trade Settlements) की अनुमति देने की घोषणा की है।
कार्यप्रणाली
- किसी भी देश के साथ व्यापार लेन-देन के निपटान के लिये भारत में बैंक व्यापारिक भागीदार देश के कॉरस्पॉडेंट बैंक (Correspondent Bank) के वोस्ट्रो खाते खोलेंगे।
- वोस्ट्रो एक ऐसा खाता होता है जो एक कॉरस्पॉडेंट बैंक दूसरे बैंक की ओर से रखता है। उदाहरण के लिये एच.एस.बी.सी. (HSBC) वोस्ट्रो खाता भारत में एस.बी.आई. (SBI) द्वारा प्रबंधित किया जाता है।
- भारतीय आयातक इन खातों में अपने आयात का भुगतान रुपए में कर सकते हैं। इस आय का उपयोग भारतीय निर्यातकों को भारतीय मुद्रा में भुगतान करने के लिये किया जा सकता है।
भुगतान की वर्तमान प्रणाली
- वर्तमान में, यदि कोई कंपनी निर्यात या आयात करती है, तो लेन-देन हमेशा किसी विदेशी मुद्रा में होता है। इसलिये आयात के मामले में भारतीय कंपनी को विदेशी मुद्रा (मुख्यतः डॉलर) में भुगतान करना पड़ता है।
- भारतीय कंपनी को निर्यात के मामले में विदेशी मुद्रा में भुगतान प्राप्त होता है और कंपनी उस विदेशी मुद्रा को रुपए में बदल देती है, क्योंकि उसे अधिकतर मामलों में रुपए की जरूरत होती है।
- वर्तमान में नेपाल और भूटान के साथ ही रुपए में भुगतान की अनुमति है।
भारत को लाभ
- इस कदम से मुख्यतः रूस के साथ व्यापारिक लाभ होने की संभावना है, जबकि डॉलर के बहिर्वाह और रुपए के मूल्य ह्रास को रोकने में आंशिक तौर पर मदद मिलने की संभावना है।
- निर्यात को प्रोत्साहन मिलने के साथ ही वैश्विक कारोबारियों के बीच रुपए की स्वीकार्यता बढ़ेगी।
- महँगाई में कमी आएगी और भू-राजनीतिक संकट के दुष्प्रभावों से निपटना आसान होगा।
- भारत रुपए में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कर सकेगा जिससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रुपया मजबूत होगा।
- आयात का भुगतान रुपए में किया जा सकेगा जिससे विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि होगी।