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भारत में एसिड अटैक की समस्या

(प्रारंभिक परीक्षा : भारतीय राज्यतंत्र और शासन- संविधान, लोकनीति, अधिकारों संबंधी मुद्दे इत्यादि)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : संसद और राज्य विधायिका- संरचना, कार्य, कार्य-संचालन, शक्तियाँ एवं विशेषाधिकार एवं इनसे उत्पन्न होने वाले विषय)

चर्चा में क्यों

हाल ही में, दिल्ली की एक छात्रा पर हुए एसिड अटैक (तेज़ाब हमलों) की घटना ने पुन: एसिड अटैक जैसे जघन्य अपराध एवं संक्षारक पदार्थों एवं खतरनाक रसायनों (अम्ल) की आसान उपलब्धता पर ध्यान केंद्रित किया है। एसिड अटैक पीड़िता को सामाजिक कलंक, सामाजिक अलगाव एवं मनोवैज्ञानिक आघात का सामना करना पड़ता है। 

प्रमुख बिंदु

  • राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2019, 2020 एवं 2021 में एसिड अटैक से संबंधित मामलों की संख्या क्रमश: 150, 105 एवं 102 है।
  • उल्लेखनीय है कि एसिड अटैक से संबंधित मामलों में पश्चिम बंगाल तथा उत्तर प्रदेश निरंतर शीर्ष पर बने हुए हैं, जहाँ सामान्यत: वर्ष-दर-वर्ष देश के कुल मामलों का लगभग 50% घटित होता है।
  • गौरतलब है कि वर्ष 2021 के आंकड़ों के अनुसार ऐसे मामलों में चार्जशीट दर्ज़ करने की दर 89% है जबकि दोषसिद्धि की दर 20% दर्ज की गयी।
    • वर्ष 2015 में गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को तेजाब हमलों के मामलों में त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिये एक एडवाइजरी जारी की थी।

भारत में एसिड अटैक से संबंधित कानून

  • भारत में वर्ष 2013 तक एसिड अटैक को पृथक अपराध नहीं माना जाता था। इसे भारतीय दंड सहिंता की धारा-326 के तहत ही अपराधों में शामिल किया जाता था।
  • यद्यपि भारतीय दंड सहिंता में संशोधन करते हुए एसिड अटैक को एक पृथक धारा- 326A के अंतर्गत रखा गया। इसके लिये न्यूनतम 10 वर्ष की सज़ा से लेकर आजीवन कारावास के साथ आर्थिक दंड का प्रावधान किया गया।
  • इस कानून में पीड़ित व्यक्ति के इलाज से इनकार करने पर या पुलिस अधिकारी द्वारा प्राथमिकी पंजीकृत न करने पर या सबूत को दर्ज़ करने से इनकार करने पर भी सजा का प्रावधान है।

एसिड की बिक्री के नियंत्रण के लिये प्रावधान

संबंधित नियम 

  • वर्ष 2013 में उच्चतम न्यायालय ने एसिड अटैक का संज्ञान लेते हुए क्षयकारी पदार्थों की बिक्री के नियमन पर एक आदेश पारित किया था।
  • इसके आधार पर, गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को एसिड की बिक्री को विनियमित करने और विष अधिनियम, 1919 के तहत आदर्श विष परिग्रह एवं बिक्री नियम, 2013 तैयार करने के लिये एक सलाह जारी की। 
    • राज्यों को मॉडल नियमों के आधार पर अपने नियम बनाने को कहा गया। विदित है कि यह राज्य के अधिकार क्षेत्र से संबंधित मामला है।

पहचान दर्ज़ करने की आवश्यकता 

  • गृह मंत्रालय के निर्देशों एवं मॉडल नियमों के अनुसार, एसिड की ओवर-द-काउंटर बिक्री के लिये विक्रेता को बिक्री का पूरा विवरण (क्रेता का विवरण, मात्रा, पता एवं एसिड खरीदने का कारण) रखना आवश्यक है।
  • एसिड की खरीद के लिये विक्रेता को सरकार द्वारा जारी पहचान पत्र प्रस्तुत करना एवं क्रेता की न्यूनतम आयु 18 वर्ष होना आवश्यक है।
  • एसिड का भंडारण करने वाले शैक्षिक संस्थानों, अनुसंधान प्रयोगशालाओं, अस्पतालों, सरकारी विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के विभागों को एसिड के उपयोग का एक रजिस्टर/रिकॉर्ड रखने तथा उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (SDM) के साथ साझा करने के निर्देश दिये गए हैं।

पीड़ितों के लिये उपबंध

  • गृह मंत्रालय ने राज्यों को एसिड अटैक के पीड़ित व्यक्ति के लिये कम-से-कम 3 लाख रुपए के मुआवजे का प्रावधान करने का निर्देश दिया है।
    • घटना के 15 दिनों के भीतर पीड़ित को चिकित्सा देखभाल एवं इससे संबंधित अन्य खर्च के लिये 1 लाख रुपए की राशि का भुगतान किया जाना चाहिये।
    • 2 लाख रुपए की शेष राशि का भुगतान यथासंभव शीघ्रता से दो महीने के भीतर किया जाना चाहिये।
  • इसके अतिरिक्त राज्य द्वारा पीड़ित को सार्वजनिक या निजी किसी भी अस्पताल में निःशुल्क उपचार उपलब्ध कराने की अपेक्षा की जाती है।
  • साथ ही, सार्वजानिक एवं निजी क्षेत्र के चिह्नित अस्पतालों में एसिड अटैक पीड़ितों के लिये 1-2 बिस्तर आरक्षित रखे जाते हैं।     
  • गृह मंत्रालय ने सुझाव दिया है कि राज्यों को पीड़ितों के लिये सामाजिक एकीकरण कार्यक्रमों का भी विस्तार करना चाहिये।
    • इसके लिये एन.जी.ओ. को विशेष रूप से उनकी पुनर्वास आवश्यकताओं की देखभाल के लिये वित्तपोषित किया जा सकता है।

आगे की राह

  • विशेषज्ञों के अनुसार, एसिड की बिक्री से संबंधित नियम काफी हद तक अभियुक्तों पर नज़र रखने में मदद करते हैं जबकि यह अपराधों की रोकथाम में अधिक प्रभावी नहीं हैं। नियमों के सख्त कार्यान्वयन की आवश्यकता है।
  • बाज़ार में अभी भी एसिड आसानी से उपलब्ध है, जिसका नियंत्रण आपराधिक प्रवृतियों को कम करने में मदद करेगा।
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