प्रारम्भिक परीक्षा – पर्यावरण संरक्षण मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन पेपर-3 |
संदर्भ
- उत्तराखंड के विश्व प्रसिद्ध जिम कार्बेट पार्क और राजाजी राष्ट्रीय उद्यान में बड़ी तादाद में हाथी पाए जाते हैं। यह दोनों उद्यान एशिया में हाथियों के लिए सबसे ज्यादा सुरक्षित माने जाते हैं, परंतु कुछ सालों में इन दोनों उद्यानों में हाथियों की मौत का सिलसिला तेजी से बढ़ा है।
प्रमुख बिंदु
कारण
- राजाजी राष्ट्रीय उद्यान के बीच में से होकर रेल गुजरती है और यह रेल हाथियों के लिए सबसे बड़ी जान की जोखिम बनी हुई है।
- राज्य में रेल से कटकर हाथियों की मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। पिछले दिनों हरिद्वार लक्सर रेल पटरी पार करते हुए रेल की चपेट में आने से हाथी की मौत हो गई जिसने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि कब तक हाथी ट्रेन से कट कर मरते रहेंगे।
- उत्तराखंड बने हुए 23 साल हो गए हैं और इस दौरान 508 हाथियों की मौत विभिन्न वजहों से हुई है, जिनमें से 23 हाथी रेल से कट कर मौत के शिकार हुए हैं।
- अकेले 16 हाथी राजाजी राष्ट्रीय उद्यान के बीच से होकर गुजरने वाली देहरादून हरिद्वार देहरादून रेल पटरी को पार करते हुए रेल की चपेट में आने से मरे। उनमें ज्यादातर की मौत गढ़वाल मंडल में हुई है।
- 2001 से लेकर अब तक 184 हाथी प्राकृतिक कारणों से मरे हैं और बाकी हाथी या तो रेल से कट कर मरे हैं या फिर हाथी आपसी द्वंद के कारण मौत का शिकार हुए हैं।
हाथी और मानव के बीच संघर्ष में वृद्धि
- उत्तराखंड के जंगलों में हाथियों की बढ़ती तादाद के बाद चारे की कमी हो गई है जिस कारण हाथी जंगल से निकलकर गांवों की ओर आते हैं।
- धान और गन्ने की फसल के दौरान हाथी खेतों की तरफ कूच करते हैं और फसलों को तहस- नहस कर देते हैं और इस दौरान जो भी किसान या अन्य व्यक्ति उनके सामने आता है वह उसे मौत की घाट उतार देते हैं।
- इस तरह हाथियों और मानव के बीच उत्तराखंड में संघर्ष की घटनाएं भी लगातार बढ़ रही हैं।
- उत्तराखंड के देहरादून जनपद के रायवाला, डोईवाला, हरिद्वार जनपद के लक्सर पट्टी के गांव जगजीतपुर, मिसरपुर, जियापोता, नूरपुर पंजन हेड़ी, सुल्तानपुर और कुमाऊं मंडल के उधम सिंह नगर और नैनीताल जिले के तराई वाले क्षेत्रों में जंगली हाथियों का प्रभाव अधिक है।
- वन विभाग के खिलाफ कई बार स्थानीय जनता ने प्रदर्शन भी किए हैं और वन विभाग ने जंगली हाथियों को रोकने के लिए कई उपाय भी किए हैं जो सफल साबित नहीं हुए हैं।
उत्तराखंड में हाथियों की तादाद बढ़ी
- उत्तराखंड में इस समय हाथियों की तादाद लगभग सवा दो हजार से ज्यादा है । वयस्क नर और मादा हाथी का लैंगिक अनुपात 1:2.50 पाया गया है जो एशियाई हाथियों की आबादी में बेहतर माना गया है।
- उत्तराखंड के जंगलों में 2012 में 1,559, 2015 में 1797 और 2017 में 1,839 और 2020 में 2026 हाथियों की तादाद थी।
विश्व हाथी दिवस
- हाथियों के संरक्षण और संवर्धन के लिए हर साल 12 अगस्त को विश्व स्तर पर विश्व हाथी दिवस मनाया जाता है ।
उद्देश्य
- इसका मुख्य उद्देश्य हाथियों से जुड़ी प्रमुख चुनौतियों के बारे में जन जागरूकता बढ़ाना है । विश्व हाथी दिवस अभियान की शुरुआत 2012 में हुई थी।
वन विभाग का जंगली हाथियों को शहरों और गांवों में जाने से रोकने का प्रयास
- उत्तराखंड के वन मंत्री सुबोध उनियाल का कहना है कि वन महकमा जंगली हाथियों को शहरों और गांवों में जाने से रोकने के लिए युद्ध स्तर पर कई प्रयास कर रहा है जिसके कारण आने वाले समय में जंगली हाथियों के शहरों और गांवों में जाने की घटनाओं में कमी आएगी।
प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न: निम्नलिखित में से भारत का सबसे पुराना राष्ट्रीय उद्यान कौन-सा है?
(a) कान्हा राष्ट्रीय उद्यान
(b) गिर राष्ट्रीय उद्यान
(c) जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान
(d) काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान
उत्तर: (c)
मुख्य परीक्षा प्रश्न: राष्ट्रीय उद्यान वन्य जीवों के लिए क्यों महत्वपूर्ण हैं? स्पष्ट कीजिए।
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