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म्यूचुअल फंड उद्योग: भारत में स्थिति, विशेषताएँ और भविष्य की दिशा

(प्रारंभिक परीक्षा: भारतीय अर्थव्यवस्था)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास एवं रोज़गार से संबंधित विषय)

संदर्भ

म्यूचुअल फंड भारत में निवेश का एक लोकप्रिय एवं प्रभावी साधन बन चुका है, जो व्यक्तिगत व संस्थागत निवेशकों को पूंजी बाजार में भाग लेने का अवसर प्रदान करता है। यह उद्योग वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देता है और देश की आर्थिक वृद्धि में योगदान करता है। हाल के वर्षों में, विशेष रूप से इक्विटी फंड्स एवं सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) के माध्यम से म्यूचुअल फंड उद्योग ने उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है।

म्यूचुअल फंड के बारे में

  • म्यूचुअल फंड एक सामूहिक निवेश योजना है जिसमें कई निवेशकों का धन एकत्रित कर पेशेवर फंड मैनेजरों द्वारा इक्विटी, डेब्ट, मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स या अन्य प्रतिभूतियों में निवेश किया जाता है। 
  • आय एवं लाभ को निवेशकों के बीच नेट एसेट वैल्यू (NAV) के आधार पर आनुपातिक रूप से वितरित किया जाता है। 
  • म्यूचुअल फंड विभिन्न निवेश लक्ष्यों, जैसे- रिटायरमेंट, शिक्षा या धन संचय के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं।

म्यूचुअल फंड के प्रकार

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने म्यूचुअल फंड को निम्नलिखित श्रेणियों में वर्गीकृत किया है:

  • इक्विटी फंड: लंबी अवधि में पूंजी वृद्धि पर केंद्रित
  • उप-श्रेणियां:
    • लार्ज कैप फंड: शीर्ष 100 कंपनियों में निवेश, कम जोखिम
    • मिड कैप फंड: मध्यम आकार की कंपनियों (101-250 रैंक) में निवेश
    • स्मॉल कैप फंड: छोटी कंपनियों (251+ रैंक) में निवेश, उच्च जोखिम एवं अधिक रिटर्न
    • फ्लेक्सी कैप फंड: सभी बाजार पूंजीकरण में निवेश, विविधीकरण
    • सेक्टोरल/थीमैटिक फंड: विशिष्ट क्षेत्र (जैसे- बैंकिंग, टेक्नोलॉजी) या थीम (जैसे- इंफ़्रास्ट्रक्चर) में निवेश
    • इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS): धारा 80C के तहत कर छूट, 3 वर्ष का लॉक-इन
    • डेब्ट फंड: नियमित आय एवं स्थिरता पर ध्यान
  • उप-श्रेणियाँ:
    • लिक्विड फंड: अल्पकालिक निवेश (91 दिन तक)
    • शॉर्ट-टर्म फंड: 1-3 वर्ष की अवधि
    • लॉन्ग-टर्म फंड: लंबी अवधि के डेब्ट सिक्योरिटीज में निवेश
    • हाइब्रिड फंड: इक्विटी एवं डेब्ट का मिश्रण, जोखिम व रिटर्न का संतुलन
    • उप-श्रेणियां: कंजर्वेटिव, बैलेंस्ड एवं डायनामिक हाइब्रिड फंड
    • सॉल्यूशन ओरिएंटेड फंड: विशिष्ट लक्ष्य, जैसे- रिटायरमेंट या बच्चों की शिक्षा के लिए
  • अन्य फंड:
    • इंडेक्स फंड: निफ्टी 50 जैसे सूचकांकों का अनुसरण
    • गोल्ड ETF: सोने की कीमतों से संबद्ध 
    • फंड ऑफ फंड्स (FoF): अन्य म्यूचुअल फंड में निवेश

भारत में म्यूचुअल फंड उद्योग की स्थिति

  • वृद्धि: इस उद्योग ने विगत एक दशक में तेजी से वृद्धि की है। मई 2014 में कुल परिसंपत्ति (Assets Under Management: AUM) 10 लाख करोड़ को पार कर गया और जून 2025 तक 74.41 लाख करोड़ तक पहुंच गया, जो 10 वर्षों में 6 गुना वृद्धि दर्शाता है।
  • फोलियो संख्या: जून 2025 तक कुल फोलियो संख्या 24.13 करोड़ थी, जो जून 2020 के 9.15 करोड़ से ढाई गुना अधिक है।
  • SIP की लोकप्रियता: SIP निवेश में 48% की वृद्धि हुई है, जो नवंबर 2023 में 17,073 करोड़ से बढ़कर जून 2025 में 27,268.79 करोड़ हो गई।

विशेषताएँ 

  • विविधीकरण: जोखिम कम करने के लिए इक्विटी, डेब्ट एवं अन्य परिसंपत्तियों में निवेश
  • पेशेवर प्रबंधन: फंड मैनेजर द्वारा बाजार विश्लेषण के आधार पर पोर्टफोलियो प्रबंधन
  • लिक्विडिटी: ओपन-एंडेड फंड में निवेशक किसी भी कार्यदिवस पर NAV के आधार पर खरीद-बिक्री कर सकते हैं।

म्यूचुअल फंड उद्योग महत्त्वपूर्ण आंकडे (जून 2025)

  • कुल परिसंपत्तियां (AUM): ₹74.41 लाख करोड़
  • इक्विटी फंड में निवेश: 23,587 करोड़ (मई 2025 से 24% वृद्धि)
  • SIP खाते: 8.64 करोड़
  • फ्लेक्सी कैप फंड में निवेश: 5,733.16 करोड़
  • स्मॉल और मिड-कैप फंड में निवेश: क्रमशः 4,024.5 करोड़ व 3,754.42 करोड़
  • डेब्ट फंड में आउटफ्लो: 1,711.47 करोड़
  • हाइब्रिड फंड में निवेश: 23,222.65 करोड़

हालिया इक्विटी निवेश में बदलाव

  • इक्विटी निवेश में वृद्धि: जून 2025 में इक्विटी फंड में निवेश 24% बढ़कर 23,587 करोड़ हो गया (मई 2025: 19,013.12 करोड़)।
  • SIP में रिकॉर्ड: जून 2025 में SIP योगदान 27,268.79 करोड़ तक पहुंचा, जिसमें 8.64 करोड़ खाते शामिल थे।
  • फ्लेक्सी कैप फंड: सर्वाधिक निवेश 5,733.16 करोड़
  • हाइब्रिड फंड: 23,222.65 करोड़ का निवेश, जो जोखिम एवं रिटर्न के संतुलन को दर्शाता है।
  • डेब्ट फंड में आउटफ्लो: 1,711.47 करोड़, विशेष रूप से लिक्विड फंड से 25,196.09 करोड़ का आउटफ्लो।

प्रभाव एवं महत्व

  • निवेशक विश्वास : लगातार 52 महीनों तक सकारात्मक निवेश एवं निफ्टी 50, मिड/स्मॉल-कैप सूचकांकों की रैली से निवेशक विश्वास में वृद्धि 
  • वित्तीय समावेशन : SIP से छोटे निवेशकों को बाजार में भाग लेने के लिए प्रोत्साहन
  • आर्थिक विकास : घरेलू बचत को उत्पादक क्षेत्रों में ले जाकर अर्थव्यवस्था को गति
  • नौकरी सृजन : फंड मैनेजरों, वितरकों व सलाहकारों के लिए रोजगार के अवसर

चुनौतियाँ

  • बाजार अस्थिरता : वैश्विक एवं घरेलू अनिश्चितताएँ निवेशक विश्वास को प्रभावित करती हैं।
  • विनियामक जटिलताएँ : KYC एवं कर नियमों की जटिलता नए निवेशकों को हतोत्साहित करती है।
  • वित्तीय साक्षरता : ग्रामीण एवं अर्ध-शहरी क्षेत्रों में साक्षरता की कमी
  • प्रतिस्पर्धा : डायरेक्ट स्टॉक और वैकल्पिक निवेश विकल्पों से चुनौती
  • जोखिम प्रबंधन : स्मॉल एवं मिड-कैप फंड्स में उच्च जोखिम

आगे की राह

  • विनियामक सुधार: KYC सरलीकरण और डेब्ट फंड्स के लिए कर सुधार
  • डिजिटल नवाचार: ऑनलाइन एडवाइजरी और डिजिटल प्लेटफॉर्म से पहुंच बढ़ाना
  • वित्तीय साक्षरता: ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान
  • नए उत्पाद: पेंशन एवं ESG (पर्यावरण, सामाजिक एवं शासन) फंड्स को बढ़ावा
  • निवेशक शिक्षा: दीर्घकालिक निवेश एवं जोखिम-रिटर्न संतुलन पर जोर

निष्कर्ष

म्यूचुअल फंड उद्योग भारत में तेजी से बढ़ रहा है जो निवेशकों को विविध एवं अनुशासित निवेश के अवसर प्रदान करता है। SIP एवं इक्विटी फंड्स में वृद्धि, AMFI और SEBI के प्रयासों से उद्योग मजबूत हुआ है। बाजार अस्थिरता और साक्षरता की कमी जैसी चुनौतियों के बावजूद डिजिटल नवाचार व शिक्षा के माध्यम से यह उद्योग भारत की आर्थिक प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

महत्वपूर्ण शब्दावली

  • AUM (Assets Under Management): म्यूचुअल फंड द्वारा प्रबंधित कुल परिसंपत्तियों का बाजार मूल्य।
  • NAV (Net Asset Value): प्रति यूनिट फंड की कीमत, परिसंपत्तियों के कुल मूल्य को यूनिट्स से विभाजित करके निकाली जाती है।
  • SIP (Systematic Investment Plan): नियमित अंतराल पर निश्चित राशि का निवेश।
  • फोलियो: प्रत्येक निवेशक को आवंटित अद्वितीय नंबर।
  • ELSS: कर बचत के लिए इक्विटी फंड, 3 वर्ष के लॉक-इन के साथ।
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