नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने राजस्थान के श्रीगंगानगर शहर में सिंथेटिक ड्रग मेफेड्रोन बनाने वाली एक गुप्त प्रयोगशाला का खुलासा किया है। इस छापेमारी में 780 ग्राम मेफेड्रोन जब्त की गई, जिसकी अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमत करोड़ों रुपए है।
मेफेड्रोन (Mephedrone) के बारे में
- परिचय : यह मानसिक रूप से उत्तेजना पैदा करने वाला एक सिंथेटिक ड्रग है जो नशे की प्रतिक्रिया में उत्तेजना, ऊर्जा एवं खुशी का अनुभव कराता है।
- इसे ‘म्याऊ म्याऊ’ भी कहा जाता है।
- यह एम्फेटामाइन एवं कैटिनोन वर्ग से संबंधित है।
- रासायनिक नाम : 4-मिथाइलमेथकैटिनोन (4-MMC)
- उत्पत्ति : इसका विकास वर्ष 1920 में हुआ किंतु 2000 के दशक में अवैध रूप से लोकप्रिय हुआ।
- प्रभाव:
- यह तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित करता है जिससे खुशी, उत्साह एवं ऊर्जा का अहसास होता है।
- इसके प्रभाव में मानसिक उत्तेजना, चिंता एवं नशे की स्थिति भी हो सकती है।
- दिल की धड़कन तेज़ होना, रक्तचाप का बढ़ना और मूड स्विंग्स इसके सामान्य प्रभाव होते हैं।
- उपयोग:
- मेफेड्रोन को प्राय: ओरल, इन्हालेशन (स्निफ़) या इंजेक्शन के रूप में लिया जाता है।
- इसे पार्टी ड्रग के रूप में भी उपयोग किया जाता है।
मेफेड्रोन का स्वास्थ्य पर प्रभाव
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- इसके लगातार उपयोग से मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव होता है।
- इसकी लत से मानसिक विकार, अवसाद एवं शारीरिक कमजोरी हो सकती है।
- दिल की बीमारियाँ, किडनी की समस्याएँ और अनियंत्रित रक्तचाप के खतरे बढ़ सकते हैं।
- कानूनी स्थिति : भारत एवं कई अन्य देशों में मेफेड्रोन अवैध है।
- भारत में मेफेड्रोन नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 के तहत एक नियंत्रित पदार्थ के रूप में वर्गीकृत है और इसका उत्पादन, बिक्री या उपयोग गैरकानूनी है।
- नियंत्रण:
- मेफेड्रोन का उपयोग अत्यधिक खतरनाक हो सकता है और इसके अवैध व्यापार पर नियंत्रण रखने की आवश्यकता है।
- इसके प्रभावों से बचने के लिए सरकारों एवं समाज को मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है।