New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM Teachers Day Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 6th Sept. 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 25th Sept., 11:00 AM Teachers Day Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 6th Sept. 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 25th Sept., 11:00 AM

थेन्नावनीश्वरम शिव मंदिर की खोज

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम, कला एवं संस्कृति)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1: भारत का इतिहास)

संदर्भ

तमिलनाडु के मदुरै जिले में उत्तर पांड्य काल का 800 वर्ष पुराना शिव मंदिर खोजा गया है।

थेन्नावनीश्वरम शिव मंदिर के बारे में

Thennavaneeswaram-Shiva-Temple

  • अवस्थिति : उदमपट्टी गांव, मेलुर तालुका, मदुरै (तमिलनाडु) 
  • अनुमानित काल : 1217-1218 ई.
  • निर्माता : पांड्य वंश के मारवर्मन सुंदर पांड्या के शासनकाल के दौरान निर्मित। 
  • विवरण : तमिलनाडु राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा 1974-75 में प्रकाशित दस्तावेजों में इस क्षेत्र में प्राचीन मंदिरों के अस्तित्व का वर्णन किया गया था किंतु उनमें से अधिकांश खंडहर हो चुके हैं और कुछ लगभग गायब हो चुके हैं।
  • वर्तमान स्थिति : वर्तमान में मंदिर की केवल नींव ही बची है किंतु इस पर तमिल भाषा में अंकित शिलालेख महत्वपूर्ण हैं क्योंकि उनसे पता चलता है कि मंदिर आर्थिक रूप से किस प्रकार स्वतंत्र था।  
  • खोज में शामिल प्रमुख व्यक्तित्व 
    • प्रो. पी. देवी अरिवु सेल्वम (मंदिर वास्तुकार एवं शोधकर्ता) 
    • सी. संथालिंगम (पुरातत्वविद्, पांड्या नाडु ऐतिहासिक अनुसंधान केंद्र)

मंदिर से प्राप्त ऐतिहासिक साक्ष्य 

  • आधारशिला पर उत्कीर्णित चित्रों एवं शिल्प शास्त्र के संदर्भ से यह पता चला है कि यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित था।
  • शिलालेखों में गांव का नाम अत्तूर अंकित है और मंदिर का नाम थेन्नावनीश्वरम।
    • थेन्नावन वास्तव में पांड्यों द्वारा प्रयोग की जाने वाली उपाधि है।
  • शिलालेखों में एक जल निकाय की बिक्री का विलेख है जोकि कलावलिनाडु के सरदार अलागापेरुमल ने नम्बी पेरम्बल कुथन उर्फ ​​कांगेयन को बिक्री किया था। 
  • नागनकुडी नामक जल निकाय को गीली एवं सूखी भूमि के साथ 64 कासु (सिक्के) में बेचा गया था। 
  • शिलालेखों में भूमि एवं बिक्री किए गए जल निकाय की चार सीमाओं को परिभाषित किया गया है। 
  • यह भी उल्लेख किया गया है कि भूमि का देय कर अत्तूर के थेन्नावनीश्वरम के भगवान को उसके दैनिक व्यय के लिए दिया जाना चाहिए।

खोज का महत्त्व

मंदिर से प्राप्त शिलालेख उदमपट्टी के प्राचीन नाम को दर्शाते हैं जिसे तब अत्तूर कहा जाता था। उत्तरवर्ती पांड्य काल के दौरान सामाजिक-आर्थिक गतिशीलता को भी दर्शाते हैं।

पांड्य वंश के बारे में

  • परिचय : यह दक्षिण भारत का एक प्राचीनतम व महत्वपूर्ण तमिल राजवंश था। 
    • इसे ‘मदुरै के पांड्य’ के नाम से भी जाना जाता है।
    • यह दक्षिण के चार महान साम्राज्यों में से एक है, अन्य तीन हैं- पल्लव, चोल व चेर
  • प्रतीक चिन्ह : मछली 
  • शासन काल : तीसरी सदी ईसा पूर्व से 15वीं सदी तक
  • शासन क्षेत्र : तमिलनाडु, केरल एवं श्रीलंका सहित दक्षिण भारत में 
  • राजधानी : पहले कोरकाई (एक प्राचीन बंदरगाह शहर) थी जो बाद में राजधानी मदुरै में स्थानांतरित हो गई और एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक व राजनीतिक केंद्र बन गई।
  • व्यापार : मोती, कीमती पत्थर, मसाले, घोड़े व हाथी आदि का व्यापार।
  • संस्कृति : साहित्य, कला, वास्तुकला व धर्म के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

पांड्य राजवंश के महत्वपूर्ण शासक

SOUTH-INDIA

  • नेदुन्जेलियन : तीसरी सदी ई. पू. से दूसरी सदी ई. पू. तक
  • अरिकेसरी मारवर्मन : 624-674 ई.
  • कोचादयान रणधीरा : 700-730 ई.
  • मारवर्मन राजसिम्हा प्रथम : 730-765 ई. 
  • श्रीमारा श्रीवल्लभ : 815-862 ई.
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X