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एजियन सागर के द्वीपों पर विवाद

(प्रारंभिक परीक्षा- विश्व का भूगोल एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-1 व 2 : विश्व के भौतिक भूगोल की मुख्य विशेषताएँ, महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ)

संदर्भ

हाल ही में, तुर्की ने आरोप लगाया है कि ग्रीस एजियन सागर के द्वीपों पर अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ाकर लॉज़ेन और पेरिस संधियों का उल्लंघन कर रहा है। इसके अलावा, एजियन सागर के ऊपर हवाई क्षेत्र का कथित उल्लंघन भी दोनों देशों के बीच विवाद का विषय रहा है।

एजियन द्वीप विवाद
aegean-sea

  • एजियन सागर भूमध्य सागर के एक हिस्से के रूप में दो लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विस्तृत है। यह पूर्वी भूमध्यसागरीय बेसिन में स्थित है, इसके पश्चिम में ग्रीस प्रायद्वीप और पूर्व में तुर्की स्थित है। 
  • एजियन सागर में एक हजार से अधिक द्वीप हैं, जिसमें से लगभग सभी द्वीप ग्रीस के निकट है, जबकि कुछ तुर्की के पश्चिमी तट पर स्थित हैं। 
  • विदित है कि 1970 के दशक से ही ग्रीस और तुर्की के मध्य एजियन सागर से जुड़े कई मुद्दों पर क्षेत्रीय विवाद रहा है। वर्ष 1996 में एजियन सागर में निर्जन द्वीपों को लेकर दोनों देश युद्ध के कगार पर आ गए थे, जिन्हें ग्रीस में इमिया द्वीप समूह और तुर्की में कार्दक द्वीप समूह के रूप में जाना जाता है।
  • वर्ष 2020 में, दोनों देशों के बीच तनाव उस समय बढ़ गया जब तुर्की ने अपने भूकंपीय अनुसंधान पोत ओरुक रीस (Oruc Reis) को ग्रीक द्वीप कास्टेलोरिज़ो के निकट तेल और प्राकृतिक गैस के अनुसंधान के लिये भेजा था। 

एजियन द्वीपों के संबंध में अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ

  • एजियन द्वीपों से जुड़े संघर्ष को सुलझाने के लिये वर्ष 1923 में तुर्की और ग्रीस ने लॉज़ेन संधि पर हस्ताक्षर किया था। इस संधि के तहत ग्रीस को एजियन सागर द्वीपों को विसैन्यीकृत रखने के लिये बाध्य किया गया था।
  • द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में वर्ष 1947 की पेरिस शांति संधियों के तहत डोडेकेनीज़ द्वीप समूह (Dodecanese Islands) को स्थायी और पूर्ण विसैन्यीकरण के दायित्व के साथ ग्रीस को सौंप दिया गया था। डोडेकेनीज़, एजियन सागर में 12 द्वीपों का एक समूह है।
  • विदित है कि तुर्की और ग्रीस एजियन सागर में अपने संबंधित क्षेत्रीय जल की सीमा, हवाई क्षेत्र, विशिष्ट आर्थिक क्षेत्रों (ई.ई.जेड.), सैन्यीकरण और कुछ द्वीपों की संप्रभुता का दावा करते हैं।

प्रादेशिक समुद्री क्षेत्र पर दावा

  • वर्ष 1995 में ग्रीस ने समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन, 1982 (UNCLOS) की पुष्टि की, जो तटीय देशों के समुद्री क्षेत्रों की सीमाओं को पहचानने के लिये एक कानूनी ढांचा प्रदान करता है। 
  • विदित है कि 160 से अधिक देश इस संधि के पक्षकार हैं, लेकिन तुर्की ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किया है क्योंकि तुर्की का मानना है कि, उसने केवल 6 समुद्री मील तक ही प्रादेशिक समुद्र पर दावा किया है। जबकि यू.एन.सी.एल.ओ.एस. के अनुसार किसी देश का प्रादेशिक समुद्र अपने तट की आधार रेखा से 12 समुद्री मील (एनएम) तक फैला हुआ होता है, जिस पर उस देश का संप्रभु अधिकार होता है। 

समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन 

  • यू.एन.सी.एल.ओ.एस. के अनुसार, एक तटीय देश की संप्रभुता ‘अपने भूमि क्षेत्र और आंतरिक जल से परे’ ‘समुद्र के आसन्न बेल्ट, तक फैली हुई होती है, जिसे प्रादेशिक समुद्र (Territorial Sea) के रूप में वर्णित किया जाता है। 
  • एक देश का प्रादेशिक समुद्र अपने तट की आधार रेखा से 12 समुद्री मील (एन.एम.) तक फैला हुआ होता है और उस पर इसका संप्रभु अधिकार होता है। विदित है कि एक समुद्री मील 1.852 किलोमीटर के बराबर होता है।
  • विशेष आर्थिक क्षेत्र (ई.ई.जेड.), एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें किसी देश को अन्वेषण, प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग, पवन एवं जल विद्युत उत्पादन तथा अन्य आर्थिक गतिविधियों जैसे पाइपलाइन बिछाने, मछली पकड़ने आदि के विशेष अधिकार होते हैं। ई.ई.जेड. का विस्तार समुद्र तट से 200 एन.एम. तक होता है।
  • यू.एन.सी.एल.ओ.एस.  के अनुसार, एक देश के पास अपने प्रादेशिक समुद्र के ऊपर के हवाई क्षेत्र पर भी संप्रभु अधिकार होता है।
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