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एक्स्ट्रा-लॉन्ग स्टेपल (ELS) कपास

(प्रारंभिक परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-1)
(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3 प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन)

संदर्भ

केंद्रीय बजट 2025-26 ‘कपास उत्पादकता मिशन’ की शुरुआत की गई है। 

कपास उत्पादकता मिशन के बारे में 

  • बजट आवंटन : 500 करोड़
  • समयावधि : पाँच  वर्ष
  • लक्ष्य : भारत में कपास की पैदावार को मौजूदा 450-500 किग्रा. प्रति हेक्टेयर से बढ़ाकर 1,000 किग्रा. प्रति हेक्टेयर तक करना
  • उद्देश्य : 
    • कपास की खेती की उत्पादकता और स्थिरता में महत्वपूर्ण सुधार लाना 
    •  एक्स्ट्रा-लॉन्ग स्टेपल (ELS) कपास किस्मों को बढ़ावा देना
    • भारतीय कपड़ा और परिधान क्षेत्र के लिए कच्चे माल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ ही किसानों की आय  में वृद्धि करना 

एक्स्ट्रा-लॉन्ग स्टेपल (ELS) कपास के बारे में 

  • परिचय : ELS किस्म की कपास में 30 मिमी. और उससे अधिक लंबाई के रेशे होते हैं। इसे  सामान्यत: मिस्र या पिमा कपास के रूप में जाना जाता है।
  • वंश (Genus): गॉसिपियम(Gossypium)
  • परिवार(Family):मालवेसी (Malvaceae)
  • उत्पादक देश : मुख्य रूप से चीन, मिस्र, ऑस्ट्रेलिया , पेरू, सूडान, भारत एवं ऑस्ट्रेलिया, आदि 
  • कपास का वर्गीकरण :कपास को उसके रेशों की लंबाई के आधार पर लंबे, मध्यम या छोटे स्टेपल के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। 
  • भारत में उगाए जाने वाले कपास का लगभग 96% हिस्सा मध्यम स्टेपल श्रेणी का है जिसके रेशों की लंबाई 25 से 28.6 मिमी. तक होती है।
  • उपयोग: ELSकपास का उपयोग आम तौर पर उच्च गुणवत्ता वाले रिंग-स्पिन यार्न के निर्माण के लिए किया जाता है। 
  • मानव निर्मित फाइबर के विकास से पहले, ELSका व्यापक औद्योगिक और सैन्य उपयोग किया जाता था जिनमें टायर कॉर्ड, वर्दी और मशीन-गन के लिए सैन्य बेल्टिंग और पैराशूट रिबिंग शामिल थे। 

भारत में ELS कपास की स्थिति 

  • वर्तमान में भारत में लगभग 2 लाख हेक्टेयर में ELS कपास उगाया जाता है, जो मुख्यतः कर्नाटक के धारवाड़, हावेरी क्षेत्र, तमिलनाडु के कोयंबटूर, इरोड, डिंडुगल जिलों और मध्य प्रदेश के रतलाम क्षेत्र के अंतर्गत है। 
  • वैश्विक प्रतिस्पर्धा और भारत के लिए बाजार हिस्सेदारी बनाए रखने और कृषकों की  आय में सुधार करने के लिए ELS कपास उत्पादन को प्राथमिकता देना आवश्यक है।

भारत में ELS कपास के कम उत्पादन के कारण:  

  • प्रति एकड़ कम उपज : इसका मुख्य कारण प्रति एकड़ औसत से कम पैदावार है। जहाँ मध्यम स्टेपल किस्म की उपज प्रति एकड़ 10 से 12 क्विंटल के बीच होती है वहीं ELS कपास की उपज केवल 7-8 क्विंटल होती है। 
  • सीमित बाजार पहुँच : उच्च गुणवत्ता के बावजूद, किसानों को प्राय: ऐसे बाजारों तक पहुंचने में कठिनाई होती है जो ELS कपास के लिए आसानी से प्रीमियम मूल्य का भुगतान करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप अनिश्चित लाभ होता है।
  • संकर कपास से प्रतिस्पर्धा: संकर (Hybrid) कपास की किस्में प्रायः अधिक व्यापक रूप से उपलब्ध होने के साथ ही उन्हें उगाना आसान होता है, जिसके कारण ELS कपास के लिए उपयुक्त भूमि के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ जाती है।
  • जलवायु एवं सिंचाई की आवश्यकता: ELS कपास को विशिष्ट जलवायु परिस्थितियों और विश्वसनीय सिंचाई की आवश्यकता होती है, जो भारत जैसे उत्पादन क्षेत्रों में आसानी से उपलब्ध नहीं होती। 

निष्कर्ष 

वर्तमान में, भारत में कपास की प्रति एकड़ उपज अन्य देशों की तुलना में काफी कम है। ऐसे मे कपास उत्पादकता मिशन के शुभारंभ से भारत को इस संबंध में सुधार करने और ELS कपास जैसी प्रीमियम किस्मों को उगाने में मदद मिलेगी।

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