(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1: भारतीय विरासत और संस्कृति, विश्व का इतिहास एवं भूगोल व समाज, महिलाओं की भूमिका और महिला संगठन, जनसंख्या एवं संबद्ध मुद्दे, गरीबी व विकासात्मक विषय, शहरीकरण, उनकी समस्याएँ तथा उनके रक्षोपाय) |
संदर्भ
यूनेस्को (UNESCO) की वैश्विक शिक्षा निगरानी (GEM) रिपोर्ट (2018–2023) के अनुसार, विश्व स्तर पर STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग एवं गणित) स्नातकों में महिलाओं की हिस्सेदारी मात्र 35% है और इसमें पिछले दशक में कोई खास सुधार नहीं हुआ है।
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष
- शिक्षा में असमानता : प्रारंभिक कक्षाओं से ही लड़कियों को गणित एवं विज्ञान में अच्छे प्रदर्शन के बावजूद लड़कों की तुलना में उन्हें कम ‘उपयुक्त’ समझा जाता है जिससे लड़कियाँ आगे इन क्षेत्रों से कट जाती हैं।
- रोजगार में असमानता : AI एवं डाटा साइंस जैसी उच्च तकनीकी नौकरियों में महिलाओं की भागीदारी 26%, इंजीनियरिंग में 15% और क्लाउड कंप्यूटिंग में मात्र 12% है।
- भारत जैसे देशों में STEM डिग्री प्राप्त महिलाओं में से केवल 14–18% ही कार्यबल का हिस्सा बन पाती हैं।
- मानसिक एवं सामाजिक अवरोध : ‘लड़कियाँ के गणित में कमजोर होने’ जैसी लैंगिक रूढ़ियाँ लड़कियों की STEM में रुचि को प्रभावित करती हैं।
- कार्यस्थलों पर लैंगिक भेदभाव, वेतन असमानता एवं नेतृत्व की कमी STEM से महिलाओं के पलायन को बढ़ावा देती है।
- नीतिगत हस्तक्षेप का अभाव : GEM रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर 68% देशों में STEM शिक्षा को समर्थन देने की नीतियाँ हैं। इनमें से केवल आधी नीतियाँ ही विशेष रूप से लड़कियों एवं महिलाओं पर केंद्रित हैं।
प्रभाव
- महिलाओं की STEM में कम भागीदारी नवाचार, समावेशी विकास एवं आर्थिक उत्पादकता को सीमित करती है।
- इससे लैंगिक समानता (SDG 5) एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा (SDG 4) के लक्ष्यों को प्राप्त करना कठिन हो जाता है।
- प्रौद्योगिकी विकास पुरुष केंद्रित हो जाता है, जिससे लैंगिक दृष्टिकोण छूट जाता है।
प्रमुख सिफारिशें
GEM रिपोर्ट में STEM तथा तकनीकी एवं व्यावसायिक शिक्षा व प्रशिक्षण (TVET) में लिंग-संतुलन सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी नीतिगत हस्तक्षेप की सिफारिश की गई है जिसकी प्रमुख सिफारिशें निम्नलिखित हैं-
- मार्गदर्शन एवं मेंटरशिप कार्यक्रम : विद्यालयों में लक्षित करियर काउंसलिंग, मेंटरशिप योजनाएं और ऐसे कार्यक्रम शुरू किए जाएं जो अकादमिक विषयों को लेकर मौजूद लिंग आधारित रूढ़ियों को तोड़ने में सहायक हों।
- इसके अलावा शिक्षकों और काउंसलरों को लिंग-संवेदनशील मार्गदर्शन हेतु व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाए ताकि वे लड़कियों को पारंपरिक लिंग भूमिका से परे जाकर करियर विकल्पों के प्रति प्रेरित कर सकें।
- अभिभावकों की भूमिका को सशक्त बनाना : करियर मार्गदर्शन कार्यक्रमों के माध्यम से माता-पिता को जागरूक किया जाए ताकि वे लिंग आधारित पूर्वग्रहों से मुक्त होकर लड़कियों के करियर विकल्पों में सहायक भूमिका निभा सकें।
- प्रेरणादायक महिला रोल मॉडलों की उपस्थिति : रिपोर्ट में लड़कियों के लिए STEM क्षेत्र में प्रेरित करने वाली महिला वैज्ञानिकों, इंजीनियरों एवं तकनीकी विशेषज्ञों जैसे रोल मॉडलों की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है।
- STEM क्लबों की स्थापना : स्कूलों में महिला शिक्षकों एवं छात्राओं के नेतृत्व में STEM क्लब बनाए जाएँ, जहाँ वे सक्रिय रूप से STEM गतिविधियों में भाग ले सकें।
- डिजिटल साक्षरता को प्रोत्साहन : लड़कियों की डिजिटल साक्षरता को सशक्त कर कौशल आधारित लिंग अंतराल को कम किया जाए। इसके लिए डिजिटल दक्षता ढाँचा (Digital Competency Framework) तैयार किया जाना चाहिए जो सभी शिक्षार्थियों के लिए आवश्यक कौशलों का निर्धारण करे।
- शैक्षिक सामग्री की समीक्षा : पाठ्यपुस्तकों और शिक्षण सामग्री की समीक्षा कर यह सुनिश्चित किया जाए कि उनमें लिंग आधारित पूर्वग्रह या ‘उपयुक्त अध्ययन विकल्पों’ जैसी रूढ़ियाँ न हों।
- प्राथमिक स्तर से शुरुआत : प्रारंभिक शिक्षा में ही STEM विषयों को लिंग-निरपेक्ष भाषा में पढ़ाया जाए। लड़कियों को STEM गतिविधियों में भाग लेने के पर्याप्त अवसर दिए जाएं और कक्षा में महिला STEM पेशेवरों को आमंत्रित कर उन्हें प्रेरित किया जाए।
भारत के संदर्भ में प्रासंगिकता
- भारत जैसे विकासशील देश के लिए STEM में लैंगिक असमानता न केवल लैंगिक समानता के लक्ष्य को बाधित करती है, बल्कि आर्थिक वृद्धि एवं नवाचार की क्षमता को भी सीमित करती है।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 STEM पर बल देती है किंतु इसे लैंगिक दृष्टिकोण से संवेदनशील बनाना आवश्यक है।
- महिला वैज्ञानिकों (जैसे- टेसी थॉमस, गुनीला शर्मा, राधा भट्ट) को छात्रों के सामने प्रस्तुत कर प्रेरणा दी जा सकती है।
- अटल नवाचार मिशन एवं STEM में लड़कियों को प्रोत्साहन देने वाली योजनाओं को ग्रामीण व पिछड़े क्षेत्रों तक पहुँचाना होगा।
मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न
प्रश्न: ‘STEM क्षेत्र में महिलाओं की सीमित भागीदारी सामाजिक और नीतिगत विफलताओं का परिणाम है’। इस कथन की आलोचनात्मक विवेचना कीजिए। साथ ही, STEM में लैंगिक समानता सुनिश्चित करने हेतु उपाय सुझाइए।
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